गहलोत विस में परीक्षा को तैयार

गहलोत विस में परीक्षा को तैयार

जयपुर। राजस्थान में चल रहे सियासी संकट के बीच अशोक गहलोत सरकार के उद्योग मंत्री परसादीलाल मीणा ने संकेत दिए हैं कि 14 अगस्त से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में फ्लोर टेस्ट होगा। इसका मतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निश्चय कर लिया है कि अब वे मैदान में मुकाबला करेंगे। विधानसभा में परीक्षा देंगे। हालांकि सरकार अब तक आधिकारिक तौर पर विधानसभा सत्र में फ्लोर टेस्ट के मसले पर चुप्पी साधे हुई थी। उद्योग मंत्री ने कहा कि हमारे पास 103 विधायकों का समर्थन है। राज्यपाल के समक्ष विधायकों की परेड करा दी गई है । हमारे पास पूर्ण बहुमत है। सरकार को कोई खतरा नहीं है। इसके साथ ही उन्होने यह भी तय कर लिया कि सचिन पायलट के साथ उन्हें नहीं रहना है। सचिन पायलट को कांग्रेस से भी पूरी तरह काटने के लिए ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें निकम्मा तक कह दिया। ऐसा लगता है कि अशोक गहलोत अपनी राह निष्कंटक बनाना चाहते हैं। उन्हें पता है कि सचिन पायलट उनके साम्राज्य को कभी भी छीन सकते हैं, इसीलिए सचिन को खुली गालियां देने लगे लेकिन कांग्रेस नेतृत्व भी इस बात को समझ गया कि गहलोत की नीयत कैसी है। इसलिए गहलोत को इस बात के लिए फटकार पड़ी कि उन्होंने सचिन को निकम्मा क्यों कहा। ऐसे हालात में गहलोत विधानसभा फ्लोर पर बहुमत साबित करने जा रहे हैं।

गहलोत ने यह हिम्मत क्यों जुटाई है, इसके पीछे कारण बताया जा रहा है भारतीय ट्रायबल पार्टी का भरोसा। राजस्थान में 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश के आदिवासी इलाकों में भाजपा और कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर ऊभरी भारतीय ट्राइबल पार्टी ने दावा किया कि राज्य के राजनीतिक संकट के समाधान में उसकी भूमिका निर्णायक होगी। प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता की शुरुआत में बीटीपी ने अपने विधायकों राजकुमार रोत और रामप्रसाद डिंडोर को तटस्थ रहने को कहा था।

पार्टी ने 13 जुलाई को व्हिप जारी कर दोनों विधायकों से कहा था कि वे भाजपा, कांग्रेस (गहलोत या पायलट दोनों को) किसी के पक्ष में मतदान न करें। लेकिन बाद में मौजूदा सरकार के साथ समझौता होने के बाद बीटीपी ने खुलकर गहलोत सरकार का समर्थन किया है। गुजरात आधारित पार्टी के महेशभाई सी वसावा ने गत दिनों कहा, वर्तमान राजनीतिक स्थिति में हम किंग मेकर बनने की स्थिति में हैं।

पार्टी के एक अन्य नेता ने बताया कि हमारी मांग आदिवासी इलाके में भर्तियों में आरक्षण, आदिवासी इलाके के फंड को केवल आदिवासी कल्याण पर खर्च करने से जुड़ी है। 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव से पूर्व 2017 में गुजरात से राजस्थान में प्रवेश करने वाली पार्टी ने राजस्थान के दक्षिण इलाकों के आदिवासी क्षेत्र में 11 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे और दो विधायकों ने जीत दर्ज की थी। अधिकतर पार्टी उम्मीदवार युवा थे और रोत जब चुनाव जीते थे उस समय केवल 26 साल के थे। श्री बसावा कहते है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से आदिवासी इलाकों में विकास और आदिवासी हितों से जुड़ी मांगें मानने के आश्वासन के बाद हमने अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन देने का निर्णय लिया। इसी के बाद उद्योग मंत्री ने संकेत दिए कि 13 अगस्त को सभी विधायक जयपुर आ जाएंगे।

ध्यान रहे कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार गिराने के लिए कथित रूप से विधायकों को रिश्वत देने के मामले में, स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने एक साथ दो नोटिस मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को बयान दर्ज कराने के लिए थमा दिए थे। एसओजी के एडिशनल एसपी ने ये नोटिस 10 जुलाई को दिए, जिसमें उन्होंने कहा कि, वह सचिन पायलट का सीआरपीसी की धारा 160 के तहत बयान दर्ज करना चाहते हैं। इस मामले में गहलोत ने स्पष्टीकरण देते हुए ट्वीट किया, कांग्रेस ने शिकायत की थी कि बीजेपी धन के जरिए विधायकों को लुभाने की कोशिश कर रही है, जिसपर एसओजी ने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, चीफ व्हिप एवं अन्य कुछ मंत्रियों व विधायकों को बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस दिए हैं लेकिन कुछ मीडिया संस्थान तथ्य को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत कर रहे हैं। इस मामले में सचिन पायलट के करीबी सूत्रों ने कहा कि, इस नोटिस ने उपमुख्यमंत्री को नाराज कर दिया जिसे गहलोत के इशारे पर भेजा गया है, क्योंकि गृह विभाग उन्हीं के पास है। सूत्र ने कहा कि, इससे पायलट अपमानित महसूस कर रहे हैं और वे अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली के लिए रवाना हो गए। इन समर्थकों में तीन निर्दलीय- ओम प्रकाश हुडला, सुरेश टांक और खुशवीर सिंह शामिल थे।

पायलट का दावा है कि उन्हें 30 विधायकों का समर्थन हासिल है और करीब 20 दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न स्थानों पर हैं। यहां तक कि पायलट के करीबी माने जाने वाले पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र प्रताप सिंह भी मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं हुए थे। हालांकि, उन्होंने ट्वीट किया कि वह अपनी बीमार बहन को देखने के लिए दिल्ली गए हैं। उस समय एक कांग्रेस सूत्र का कहना था कि, उसे 116 विधायकों का समर्थन है, जबकि बीजेपी के पास 72 विधायक हैं। अगर पायलट कांग्रेस छोड़ने का फैसला करते हैं तो और भी विधायक उनके साथ आ सकते हैं। इस तरह एसओजी के नोटिस ने गहलोत और पायलट के संबंधों में आखिरी कील ठोक दी थी।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मधुर व्यवहार के लिए जाने जाते हैं, लेकिन हाल के उनके बयान और व्यवहार ने कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं को भी हैरान कर दिया। वहीं, सचिन पायलट की जिद अब उन्हें कांग्रेस के अपने शुभचिंतकों के मन से नीचे उतारने लगी है। टीम राहुल गांधी के एक सदस्य का कहना है कि सचिन पायलट का बचपना और अशोक गहलोत का अमर्यादित आचरण दोनों ठीक नहीं है। सूत्र का कहना है कि राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट का विवाद सतह पर आने के बाद तमाम युवा नेताओं ने उन्हें फोन किया। इनमें से बहुत से नेताओं की सचिन पायलट के साथ सहानुभूति थी। गौरतलब है कि इस बारे में वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल, शशि थरूर समेत कुछ और के भी बयान आए थे। झारखंड और बिहार के कांग्रेस पार्टी के युवा नेताओं को भी यह स्थिति हजम नहीं हुई। छत्तीसगढ़ के एक विधायक का भी कहना है कि एक मुख्यमंत्री और एक उप मुख्यमंत्री में इस तरह का टकराव हैरानी पैदा करने वाला है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का सचिन पायलट को निकम्मा, बेकार कहना कांग्रेस अध्यक्ष को भी अच्छा नहीं लगा। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह किसी मुख्यमंत्री और अशोक गहलोत जैसे नेता का बयान नहीं होना चाहिए। सूत्र का कहना है कि अशोक गहलोत को अपनी मर्यादा बनाए रखने की सलाह दे दी गई है।

सचिन पायलट गुट के एक युवा नेता का कहना है कि दिल्ली के कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट से सहानुभूति रख रहे हैं। अब भी कुछ नेता चाहते हैं कि सचिन पायलट मान जाएं। ऐसा करने पर उन्हें दिल्ली में अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी। भरतपुर जिले के एक नेता का यह कहना था।

राजस्थान में चल रही राजनीतिक उठापटक के बीच राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने भी फ्लोर टेस्ट की वकालत की है। उन्होंने कहा कि केवल फ्लोर टेस्ट से ही इस बात का फैसला किया जा सकता है कि सरकार के पास सत्ता में बने रहने के लिए पर्याप्त संख्या है या नहीं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया ने कहा कि राज्य इस समय सांविधानिक संकट से गुजर रहा है। पुनिया ने कहा कि अगर राज्यपाल चाहते हैं तो 21 दिनों के नोटिस पर या मौजूदा स्थिति के अनुसार एक विधानसभा सत्र बुलाया जा सकता है। पुनिया ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि सरकार के पास पर्याप्त संख्याबल है। अब गहलोत के मंत्री ने संकेत दे दिया है, तो 14 अगस्त तक इंतजार करना होगा।

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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