इत्तेफाकः पति-पत्नी 5 बार हुए फेल, दोनों इंजीनियर, अब हैं IAS-IPS

इत्तेफाकः पति-पत्नी 5 बार हुए फेल, दोनों इंजीनियर, अब हैं IAS-IPS

मुजफ्फरनगर। कोई व्यक्ति अपने लक्ष्य को पाने के लिये तैयारी करता है और वह उसमें कई बार असफल हो जाता है तो समाज कहीं न कहीं उन पर ताने मारने लगते हैं। समाज के इन तानों के बीच में अपने आपको टूटने न देना एक ना एक दिन सफलता का कारण बन जाता है। एक कहावत है कि हारना सबसे बड़ी असफलता नहीं है परंतु हारने के बाद प्रयास करना छोड़ देना हमारी सबसे बड़ी असफलता है। यह कहावत साल 2021 बैच के आईपीएस अफसर व्योम बिंदल और उनकी पत्नी आईएएस नूपुर गोयल पर एकदम फिट बैठ रही है। आईपीएस व्योम बिंदल ने सिविल सर्विसेज एग्जाम में पांच बार असफलता मिलने के बाद भी खुद को टूटने नहीं दिया और अंत में मंजिल को हासिल कर लिया। साल 2020 में सिविल सर्विसेज की परीक्षा क्रेक करने के बाद साल 2021 बैच के आईपीएस अफसर बन गये। यह इत्तेफाक ही है कि उनकी पत्नी का भी पांच बार सलेक्शन न होने की वजह से उनका भी आखिरी प्रयास में ही यूपीएससी क्लियर हुआ। आईपीएस अफसर व्योम बिंदल मुजफ्फरनगर में एएसपी के रूप में कार्यरत हैं, जो फिलहाल मुजफ्फरनगर सीओ सिटी का कार्यभार संभाले हुए हैं। साल 2021 बैच के आईपीएस अफसर व मुजफ्फरनगर सीओ सिटी व्योम बिंदल की सक्सेस स्टोरी पर पेश है खोजी न्यूज की स्पेशल स्टोरी...

आईपीएस व्योम बिंदल ने 5 अगस्त 1992 को हिमाचल प्रदेश के सोलन में रहने वाले बिजनेसमैन अरविन्द बिंदल के घर पर जन्म लिया। उनकी माता गृहिणी है, जिनका नाम राधा बिंदल है। व्योम बिंदल का एक छोटा भाई भी है। अगर व्योम बिंदल की शिक्षा की बात करें तो उन्होंने सोलन जिले एक प्राइवेट स्कूल गीताधर से 10वीं तक और बीएल सेंट्रल पब्लिक सकूल से 12वीं तक की शिक्षा ग्रहण की। प्रांरभिक शिक्षा से लेकर 10वीं कक्षा तक वह टाॅप-3 या टाॅप-4 में शामिल रहे। वर्ष 2010 की बात है, जब उनका सिलेक्शन एनआईटी हमीरपुर हिमाचल प्रदेश में हो गया था। वर्ष 2014 में बी.टेक पास कर ली थी। बीटेक करने के बाद वह इंटर्नशिप के लिये स्पेन भी गये थे, जहां उन्हें जाॅब के लिये आॅफर किया गया था लेकिन उनका मकसद सिविल सर्विसेज में जाना था, जिसके वजह से उन्होंने उस ऑफर को स्वीकार करने से इंकार कर दिया था।


खोजी न्यूज के यूपीएससी में आने के सवाल पर आईपीएस व्योम बिंदल ने जवाब देते हुए बताया कि मैं एक ऐसे परिवार से आता हूं, मेरे पिता जी वनवासियों की सेवा से हमेशा जुड़े रहे। मेरे परिवार में समाजसेवा की भावना निश्चित ही रही है। जब मैं उनका कार्य करते देखता था तो मुझे एक चीज महसूस हुई कि यूपीएससी का एग्जाम क्लियर करके हमेशा एक ऐसा अवसर मिल सकता है तो हम और भी बड़े पैमाने पर सेवा कर सकते हैं। इसलिए व्योम बिंदल बीटेक करने के बाद इस दिशा में आए। उन्होंने यूपीएएसपी के दो पक्ष रखते हुए कहा कि एक पक्ष सेवा है और दूसरा पक्ष यह है कि अच्छी नौकरियों में गिनी जाती है और सरकार से अच्छा वेतन भी मिलता है। उन्होंने कहा कि बिजनेस में आप सिर्फ पैसा कमा सकते हैं और दान करने के लिये उसमें से कुछ हिस्सा निकालना होगा। लेकिन नौकारी में अपने कर्तव्य के साथ-साथ समाजसेवा करने का भी मौका मिलता है।

खोजी न्यूज के सवाल पर आईपीएस व्योम बिंदल ने कहा कि पांचवी बार जब मैं फेल हुआ था तो मैं यह जानता हूं कि मेरे असफल होने के क्या कारण थे और मैंने उसमें बहुत कुछ सीखा। उन्होंने खोजी न्यूज से बातचीत करते हुए इस सफर को बहुत मुश्किलों भरा बताया। आईपीएस व्योम बिंदल ने बताया कि इस मुश्किलों भरे रास्ते में मेरे साथ मेरे परिवार थे, मेरे दोस्त थे, जिनके कारण मैं बार-बार अपने फेलियर से सीखता चला गया। उन्होंने कहा कि जिसने अपने फेलियर से सीख लिया, वह फेलियर नहीं है। उन्होंने कहा कि मैंने इस चीज का अनुभव किया है, तब तक आपकी हार नहीं होती, जब तक आप हार नहीं मानते। जब तक हार आपने अपने मन से नहीं मानी है ना तब तक तुम्हें कोई नहीं हरा सकता। मंजिल को प्राप्त करने के कई रास्ते हो सकते हैं अगर एक बंद होता है तो दूसरा खुल जायेगा और दूसरा बंद होता है तो क्रमशः ऐसे ही आगे खुलता जायेगा लेकिन हार कभी नहीं माने।


आईपीएस व्योम बिंदल ने बताया कि इस चुनौतीपूर्ण सफर में उनका हौंसला बढ़ाने के लिये उनके पिताजी का सबसे बड़ा रोल रहा है, जिन्होंने उनकी हर असफलता के बाद भी उनका साथ दिया। उनके पिताजी उन्हें यह विश्वास दिलाते थे कि तुम ये कर सकते हो और तुम्हारे अंदर यह काबिलियत है और वह पैसों से लेकर हर तरीके से उनका सपोर्ट करते थे। व्योम बिंदल पढ़ाई के साथ-साथ उनके साथ काम भी करते थे और उनके पिता उन्हें कहते थे कि अगर एग्जाम क्लियर भी नहीं होगा तो हमारे पास दूसरा ऑप्शन भी है।

आईपीएस व्योम बिंदल के परिवार में अधिकतर डाॅक्टर और व्यवसाय ही हैं। व्योम बिंदल ने पांच बार की असफलता के बाद हार न मानते हुए वर्ष 2020 में छठी बार में सिविल सर्विसेज की परीक्षा क्लियर कर 141वी रैंक हासिल की। उन्होंने अपनी तैयारी के दौरान यूं तो सभी गुरूओं को रोल बताया लेकिन उनके इस चुनौतीपूर्ण भरे सफर में उनके कपिल सर का भी अच्छा योगदान रहा है, जो उनको तैयारी कराने के लिये हमेशा तैयार रहते थे। व्योम बिंदल अपने परिवार से पहले आईपीएस अफसर हैं। यूपीएससी की परीक्षा पास कर वह साल 2021 बैच के आईपीएस अफसर बन गये, जिन्हें हिमाचल प्रदेश कैडर मिला लेकिन उनका विवाह साल 2020 बैच की एक आईएएस अफसर नूपुर गोयल से हुआ, जिसकी वजह से दोनों पति-पत्नि उत्तर प्रदेश में अब अपनी सेवाएं दे रहे हैं। आईपीएस अफसर व्योम बिंदल की मुजफ्फरनगर में पहली पोस्टिंग है, जिन्होंने 4 जनवरी 2024 को मुजफ्फरनगर सीओ सिटी का कार्यभार ग्रहण किया।

आईपीएस व्योम बिंदल की पत्नी भी है आईएएस

आईपीएस व्योम बिंदल की पत्नी नूपुर गोयल साल 2020 बैच की आईएएस अफसर हैं। इत्तेफाक यह है कि व्योम बिंदल की तरह ही उनकी पत्नी नूपुर गोयल भी यूपीएससी एग्जाम में फेल हुई लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और ठाना कि एग्जाम क्लियर कर सिविल सर्विसेज में ही जाना है। वर्ष 2014 में पहले प्रयास में ही यूपीएससी के इंटरव्यू तक पहुंची लेकिन किस्मत में देर से सलेक्शन होना लिखा था। लगातार पंाच बार असफलता के बाद आखिरी प्रयास वर्ष 2019 की परीक्षा में पास कर 11वीं रैक हासिल की और 2020 बैच की आईएएस अफसर बन गई।


दूसरा इत्तेफाक यह भी है कि आईपीएस व्योम बिंदल भी इंजीनियर हैं और उनकी पत्नी आईएएस नूपुर गोयल भी। आईएएस नूपुर दिल्ली की रहने वाली हैं और उसकी प्रारंभिक शिक्षा भी वहीं से हुई है। इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूर्ण करने के पश्चात आईएएस नूपुर गोयल ने दिल्ली टेक्नोलाॅजिलकल यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की और इग्नू से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की। यूपीएससी की तैयारी के दौरान ही आईएएस नूपुर गोयल की नौकरी आईबी (इंटेलीजेंस ब्यूरो) में लग गई, जिसके बाद आईबी ने उन्हें इंटेलीजेंस आॅफिसर के तौर पर नियुक्त किया। आईएएस नूपुर गोयल उन्नाव में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के रूप में भी तैनात रही हैं लेकिन अब आईएएस नूपरु गोयल मेरठ जिले के सीडीओ के पद पर कार्यरत हैं।

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