जन्मदिन विशेष- पुलिस और पब्लिक के बीच तालमेल बना लेते हैं प्रवीण त्रिपाठी

जन्मदिन विशेष- पुलिस और पब्लिक के बीच तालमेल बना लेते हैं प्रवीण त्रिपाठी

मेरठ। बीट कांस्टेबल और हलके के दरोगा को किसी भी घटना की जानकारी सबसे पहले मिलती है, फिर वह अपने आला अफसरों को घटना से अवगत कराते हैं। वजह इन दोनों का पब्लिक के बीच रहना, लेकिन यूपी में एक आईपीएस अफसर ऐसा भी है, जिसको बतौर पुलिस कप्तान बीट कांस्टेबल और हलके के दरोगा से पहले तत्काल सूचना मिल जाती थी। सूचना के मामले में होता उल्टा था, कप्तान अपने थानेदार को कहता था कि फलां जगह यह घटना हो गई है, तुरंत मौके पर पहुंचे। हैरान थानेदार सोचता था कि कप्तान तक सूचना मुझसे पहले कैसे चली गई । अफसर की कार्यशैली का ही कमाल था कि हर गांव , गली एवं मोहल्ले के लोग उन्हें पसंद करते थे, यही कारण था कि वह जिस भी जिले में कप्तान रहे वहां की पब्लिक और पुलिस के बीच बेहतर तालमेल बना रहा। उस अफसर का नाम है वर्तमान में मेरठ रेंज के आईजी एवं 2001 बैच के आईपीएस अफसर प्रवीण कुमार त्रिपाठी।

मुजफ्फरनगर, नोएडा, लखनऊ जैसे महत्वपूर्ण जिलों के पुलिस कप्तान रह चुके आईपीएस प्रवीण कुमार त्रिपाठी से वहां का आम नागरिक अब तक भी जुड़ा रहता है। आईपीएस प्रवीण कुमार त्रिपाठी का हंसमुख अंदाज , अपनेपन से मिलना और न्याय संगत कार्यवाही करने का ही कारण है, जो उनको लोकप्रिय बनाये रखता है। आईपीएस प्रवीण कुमार की कार्यशैली उनको उत्कृष्ट अफसरों की जमात का हिस्सा बनाती है। उन पर कभी भी सत्ता का प्रभाव नहीं है, बसपा के शासन में जहां उन्होंने एक ही जनपद में दो साल से ज्यादा टिके रहने का रिकाॅर्ड बनाया तो वहीं भाजपा की सत्ता में राज्य में कानून व्यवस्था साधने की कमान उनको सौंपी गई। उन्होंने काम को तरजीह दी और इसका लाभ भी उनको मिला। पुलिस विभाग में वह अकेले ऐसे अफसर हैं, जिनको अयोध्या के राम मंदिर विवाद में हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक कानून व्यवस्था को एक पुलिस प्रमुख के रूप में संभालने का काम करना पड़ा। आईपीएस प्रवीण कुमार त्रिपाठी ने अपनी पोस्टिंग के दौरान सत्ता या विपक्ष की गलत बात ना मानकर, सही काम किया इसलिए उन पर किसी दल विशेष का होने का ठप्पा नहीं लगा। 19 साल के आईपीएस सर्विस के कार्यकाल में बेदाग रहकर काम करने वाले आईपीएस प्रवीण कुमार त्रिपाठी के जन्मदिन पर विशेष।



उत्तर प्रदेश के जनपद जालौन में शिव कुमार त्रिपाठी के परिवार में 26 जून 1972 को जन्म लेने वाले आईपीएस प्रवीण कुमार त्रिपाठी 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। इंजीनियरिंग में बैचलर विद ऑनर्स आईपीएस प्रवीण कुमार त्रिपाठी एक अच्छे आईपीएस के साथ ही काबिल वकील भी है। एलएलबी के साथ ही उन्होंने इसमें महारथ पाने के लिए मास्टर डिग्री एलएलएम भी किया है। आईपीएस प्रवीण कुमार त्रिपाठी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मिजाज का अच्छा खासा ज्ञान है। उनकी सर्विस का अधिकांश कार्यकाल यहीं पर रहा है। आईपीएस प्रवीण कुमार त्रिपाठी मुजफ्फरनगर, गौतमबुद्धनगर और लखनऊ जैसे महत्वपूर्ण जनपदों में एसएसपी रहे हैं। इन जनपदों में उनका कार्यकाल सराहनीय रहा। राज्य में साल 2007 में बसपा की सरकार आने के बाद में आईपीएस प्रवीण कुमार त्रिपाठी को साल 2009 में मुजफ्फरनगर का एसएसपी बनाया गया था। उनके द्वारा सर्वाधिक समय तक तैनाती का रिकाॅर्ड बनाया। वह यहां पर दो वर्षों से ज्यादा समय तक तैनात रहे। उनके कार्यकाल में अयोध्या विवाद को लेकर हाईकोर्ट का फैसला सुनाया गया था। इस फैसले के आने से पहले ही आईपीएस प्रवीण कुमार त्रिपाठी ने एसएसपी के तौर पर मुजफ्फरनगर में एक अफसर के बजाये, जनप्रतिनिधि की भांति जनता के बीच पहुंचकर आपसी सद्भाव और सौहार्द कायम किया। जगह जगह दोनों समुदाय के जिम्मेदार लोगों की कमेटियां बनाई और 2010 में जब हाईकोर्ट का निर्णय आया तो मुजफ्फरनगर में आक्रोश नहीं सद्भाव नजर आया था। यह संयोग है कि इस फैसले के करीब 9 साल के बाद जब सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया तो आईपीएस प्रवीण कुमार त्रिपाठी लखनऊ में आईजी कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी निभा रहे थे। उन्होंने प्रदेश में अयोध्या विवाद पर आये फैसले के बाद तेजी से कानून व्यवस्था स्थापित करने के लिए काम किया।

साल 2012 में उनको मुजफ्फरनगर से स्थानांतरित करते हुए गौतमबुद्धनगर का एसएसपी बनाया गया। वहां से फिर उन्हें मुजफ्फरनगर का कप्तान बनाया गया था। जब साल 2013 में यहां पर कवाल कांड के बाद साम्प्रदायिक हिंसा भड़की तो तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आईपीएस प्रवीण कुमार त्रिपाठी पर भरोसा जताया। उनको मुजफ्फरनगर में शांति स्थापित करने के लिए भेजा गया। यहां आईपीएस प्रवीण कुमार त्रिपाठी ने लोगों के बीच जाकर बेहतर प्रयास शुरू किये, लेकिन वह अचानक ही बीमार पड़ गये और स्वास्थ्य कारणों से उनको यहां से जाना पड़ा। बाद में 2014 में एसएसपी लखनऊ के पद पर उनको तैनाती मिली थी। 13 जनवरी 2015 को प्रवीण कुमार को डीआईजी रैंक में प्रमोट किया गया। इसके बाद उनको 2016 में फिर डीआइजी लखनऊ के पद पर तैनाती मिली। यहां उनको बाद में डीआईजी कानून व्यवस्था बना दिया गया। इस पद पर रहते हुए उनको 01 जनवरी 2019 को आईजी रैंक में प्रमोशन मिला और आईजी कानून व्यवस्था के पद पर बने रहे।



इसी पद से उनको 13 जनवरी 2020 को मेरठ रैंज का आईजी बनाकर भेजा गया यहां 17 जनवरी को उन्होंने इस पदभार को ग्रहण किया। फिलहाल वह आईजी मेरठ का जिम्मा संभाल रहे हैं। वह कहते हैं, '' पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आपराधिक, सामाजिक प्रकृति से वह पूरी तरह से परिचित हैं। महिला अपराध और कानून व्यवस्था उनकी शीर्ष प्राथमिकता है।'' मेरठ में आईजी पद संभालने के बाद पहले ही दिन से प्रवीण कुमार ने अपना काम प्रारम्भ कर दिया। उन्होंने हापुड़ और अन्य जनपदों का भ्रमण किया और कानून व्यवस्था की समीक्षा की थी। इसके अलावा उन्होंने यहां सीएए के समर्थन में भाजपा की जन जागरण सभा, जिसमें केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शामिल रहे, के दौरान सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिए बेहतर व्यवस्था बनाकर अपनी प्रबंधन क्षमता को भी साबित किया है।

कोरोना संक्रमण के चलते जब पूरे देश में लाॅकडाउन हुआ तो प्रवासी मजदूरों की यूपी-दिल्ली बाॅर्डर पर लाईन लग गयी थी तब उत्तर प्रदेश शासन ने विपरीत परिस्थितयों को अपनी कार्यशैली से पक्ष में करने की महारत हासिल करने वाले आईपीएस प्रवीण कुमार त्रिपाठी को गाजियाबाद में बाॅर्डर पर कैम्प करने को कहा था। आईपीएस प्रवीण कुमार त्रिपाठी ने बाॅर्डर पर व्यवस्था दुरूस्त कराई थी।

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