यौमे पैदाइश~ जब एसएसआई वासिक बोले अल्लाह आपको तरक्की दे अभिषेक यादव साहब

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मुजफ्फरनगर पुलिसिंग को यदि चुनौतियों, दुश्वारियों और अवसाद का दूसरा नाम कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी, पुलिसिंग से जुड़ा फोर्स का प्राइमरी विंग आरक्षी और उप निरीक्षक सबसे ज्यादा तनाव ग्रस्त है। इस तनाव के कई कारण सामने आते हैं, यदा कदा हम इसी तनाव के कारण पुलिस कर्मियों के द्वारा उठाये गये घातक कदमों का दर्दनाक अंजाम देख चुके है, लेकिन मुजफ्फरनगर में पुलिसिंग चुनौती और दुश्वारियों से लड़ते हुए अपनी ड्यूटी को हर मोर्चे पर अंजाम देते नजर तो आती है, पर यहां तनाव दूर की कौडी बना हुआ है। इसके लिए एसएसपी अभिषेक यादव का 'बर्थ-डे' अभियान काफी कारगर साबित हुआ है। इस अभियान के दौरान कई प्रेरक प्रसंग सामने आये है, जिनको अपना जन्म दिन कभी याद नहीं रहा, कभी मनाया नहीं, कभी परिवार वालों से भी जन्म दिन पर कोई बधाई नहीं मिल पायी, ऐसे पुलिस कर्मियों के लिए जब थानों के साथ ही कार्यस्थलों पर अफसरों के द्वारा मौजूद रहकर हैप्पी बर्थ डे टू यू कहा गया तो भावनाओं की बयार बहने लगी।





एसएसपी के इस बर्थ डे अभियान में ऐसा ही एक प्रसंग एक दिसम्बर को भी जुड़ा, जब जनपद के भोपा थाना में तैनात एसएसआई उप निरीक्षक वासिफ सिद्दीकी का थाना प्रभारी एसएस गिल की अगुवाई में पुलिस कर्मियों ने एक परिवार की भांति जश्न के साथ जन्म दिन मनाया। पुलिस फोर्स में आने के बाद यह पहला अवसर था, जबकि उप निरीक्षक वासिफ सिद्दीकी ने अपना जन्म दिन मनाया। यह भावुक क्षण भी था। एसएसआई वासिफ सिद्दीकी की इस यादगार जन्मदिन पार्टी के फोटो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुए तो थाने की इस पार्टी का पैगाम वासिफ सिद्दीकी के परिवार तक भी जा पहुंचा। एसएसआई को जहां थाने में बर्थ डे केक के साथ पुलिस कप्तान आईपीएस अभिषेक यादव का बधाई संदेश मिला तो वहीं उनकी बहनों और परिवार के अन्य लोगों ने भी उनको फोन करके बधाई दी। वासिफ कहते हैं, ''पुलिस विभाग में ड्यूटी करते हुए वह अपना जन्मदिन तो क्या परिवार को भी भूल बैठे, उनके बच्चों का जन्म दिन कब है, यह भी उनको याद नहीं, उनको अपना जन्म दिन कैसे याद रहेगा। वह कहते हैं कि पहली बार उन्होंने जन्म दिन मनाया है। थाने में एक पारिवारिक माहौल था, थाना प्रभारी ने काफी अच्छा प्रबंध किया था। जब बहनों ने फोन किया तो उन्होंने भी पार्टी के फोटो सोशल मीडिया पर देखने की बात बतायी और कहा कि वह भी उनका जन्म दिन भूल चुकी थी। एसएसआई वासिफ सिद्दीकी एसएसपी अभिषेक यादव के इस अभियान को पुलिस फोर्स के लिए एक बड़ा उपहार बताते हुए कहते हैं कि मैं काफी भावुक हो गया था, मैं एसएसपी को इस अभियान के लिए दुआ देता हूं, इस अभियान ने पुलिस में एक पारिवारिक माहौल पैदा किया है। परिवार से दूर होने के कारण इस तरह के आयोजन हम भुला चुके हैं, लेकिन एसएसपी ने पुलिस कर्मियों को एक परिवार के होने का अहसास कराया है।





वासिफ सिद्दीकी 2001 बैच के पुलिस कर्मी हैं। वह इलाहाबाद, प्रतापगढ़, फतेहपुर और सहारनपुर जनपद के बाद वर्तमान में मुजफ्फरनगर में तैनात हैं। वासिफ प्रतापगढ़ में उदयपुर, मंडोर और जठवारा थानों में करीब ढाई साल एसओ रहे। वहां वह पुलिस कप्तान विजय गर्ग और मोहित अग्रवाल के पीआरओ भी रहे। सहारनपुर में वासिफ सिद्दीकी एसओ चिलकाना के साथ ही घंटाघर चौकी इंचार्ज भी रहे। वहां उन्होंने थाना मण्डी और कोतवाली में भी तैनाती के दौरान अच्छा कार्य किया। मुजफ्फरनगर में आने के बाद वह शहर कोतवाली में तैनात रहे। मन्सूरपुर थाने में एसएसआई रहे और वर्तमान में भोपा थाने में एसएसआई हैं।

सहारनपुर जनपद में मण्डी थाना में तैनाती के दौरान उन्होंने चमन सिंह चावडा के साथ मिलकर एक चुनौतीपूर्ण अपहरण केस को सुलझाया था। बच्चे के अपहरण के इस केस में उनको अण्डर ट्रेनी आईपीएस कलानिधि नैथानी और अजय पाल शर्मा जैसे अफसरों का साथ भी मिला। मण्डी थाना क्षेत्र में एक व्यक्ति के द्वारा आत्मदाह करने की घटना के बाद कानून व्यवस्था के लिए बनी चुनौती को उनके द्वारा सूझबूझ के साथ लोगों को समझा-बुझाकर निपटवाने में भूमिका निभायी गयी। भोपा थाना में रहकर एसएसआई वासिफ सिद्दीकी देवां ब्लाइंड केस के लिए वर्कआउट स्पेशलिस्ट बन गये हैं। उनके द्वारा यहां पर जंगल में मृत मिली मेरठ निवासी दिव्यांशी के केस के साथ ही हाल ही में साध्वी सुनीता नाथ और बंगाली पंडित के ब्लाइंड मर्डर केस की गुत्थी को सुलझाकर अपने अफसरों के विश्वास को जीतने का काम किया है।

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