प्रशान्त की पुलिस का खौफ........जेलों में बदमाशों का हाऊसफुल

प्रशान्त की पुलिस का खौफ........जेलों में बदमाशों का हाऊसफुल
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मेरठ। लगभग दो दशक पहले तक जब भी कोई ब्लाॅक बस्टर मूवी रिलीज होती थी तो सिनेमा हाॅल पर एक बोर्ड टांग दिया जाता था, हाऊसफुल। ऐसा ही आजकल मेरठ जोन की 9 जेलों में भी बदमाशों का हाऊसफुल चल रहा है। चले भी क्यो ना! मेरठ जोन के एडीजी प्रशान्त कुमार की पुलिस बदमाशों को जेल के बाहर घूमने की इजाजत नहीं दे रही है। खोजी न्यूज के कार्यकारी सम्पादक सुनील जैन की खास रपट.......



रौबिले चेहरे पर रौबिले अंदाज की मूंछ रखने वाले आईपीएस अफसर प्रशान्त कुमार का हमेशा बदमाशों पर भी बडा रौब रहा है। वो जिस भी जनपद मे बतौर पुलिस कप्तान पोस्ट रहे, वहां बदमाश उनकी टीम से हमेशा बदहवास रहे। गाजियाबाद एसएसपी रहते हुए तो उन्होंने कुख्यात् बदमाशों को नरकलोक भेजना शुरू किया था, तो उम्मीद से ज्यादा पार कर गयी थी। अब मेरठ जोन के एडीजी के रूप में 23 माह के अपने कार्यकाल में प्रशान्त कुमार की पुलिस ने बदमाशों का सकून छीन लिया है। बदमाश या तो कारागार में कैद हो गये है या दुनिया को अलविदा कर गये हैं। जो बचे हैं, वो जान की दुहाई मांग रहे हैं। मेरठ जोन में जब प्रशान्त कुमार की एंट्री हुई तो बदमाश जेल की चारदीवारी के बाहर मौज ले रहे थे। 2017 में कांवड यात्रा के दौरान चार्ज सम्भालने वाले एडीजी प्रशान्त कुमार ने पहले कांवड यात्रा सकुशल सम्पन्न करायी। जैसे ही कांवड यात्रा का समापन हुआ, तो मेरठ जोन के बदमाशों की मानों जैसे आफत ही आ गयी हो। बदमाश वारदात करते या क्राईम करने की कोशिश करते तो बैकफुट पर रहने वाली पुलिस बदमाशों का डटकर मुकाबला करने लगी। एडीजी प्रशान्त कुमार के 23 माह के कार्यकाल में कोई दिन ऐसा नहीं गया, जिस दिन पुलिस एनकाउटर में बदमाश के मारे जाने या हाॅफ फ्राई करने की खबर अखबार की सुर्खिया न बनी हों। ताबडतोड एनकाउन्टर का ऐसा असर हुआ कि कुछ बदमाश अपनी जमानत तुडवाकर, तो कुछ लुकाछुपी का खेल खेलकर अदालतों में सिरेंडर कर गये। इस दौरान कई जिलों से ये भी खबरे आती रहीं कि बदमाश अपराध से तौबा-तौबा करते हुए थानों में पहुंचने लगे। पुलिस की बदमाशों के खिलाफ की जा रही कार्यवाही का रिजल्ट आया कि मेरठ जोन की सहारनपुर देवबन्द, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद डासना, गौतमबुद्धनगर व बुलन्दशहर की जेलों मे बदमाशों का हाऊसफुल चल रहा है। मई-जून की तपती गर्मी मे जेल की बैरकों में क्षमता से ज्यादा संख्या में बदमाश होने के कारण उत्पन्न सडी गर्मी को पुलिस के डर से घर के एसी की ठंडक से बेहतर मान रहे हैं।



सहारनपुर जेल में 533 बन्दियों को रखने की क्षमता है, मगर यहां की जेल में 1450 अपराधी जेल की हवा ख् ाा रहे हैं। ऐसे ही क्राईम कैपिटल के नाम से मशहूर मुजफ्फरनगर की जेल में 2142 बदमाश निरूद्ध हैं, जबकि जेल में बन्दियों को रखने की क्षमता कुल 821 है। सहारनपुर जनपद की उपकारागार देवबन्द में 121 बदमाशों को रखा जा सकता है, लेकिन यहां बदमाशो की संख्या डबल हो गयी है। यानी 248 बदमाश जेल में बंद हैं। मेरठ कारागार में ढ़ाई हजार से अधिक बदमाश जेल में बंद हैं, जबकि इस जेल की क्षमता 1750 बदमाशो का बोझ उठाने की है। ऐसी बुलन्दशहर की जिला कारागार मंे 890 बन्दियो को बन्द किया जा सकता है, लेकिन यहां की जेल में 1900 बन्दी जेल की बैरकों में बंद पडे हैं। दिल्ली-यूपी बार्डर के जनपद गाजियाबाद की डासना जेल में तो 1704 बन्दियों की क्षमता वाली कारागार में 4500 से अधिक बन्दी जेल की हवा खा रहे हैं। एडीजी जोेन प्रशान्त कुमार की पुलिस की लगातार क्रीमिनलो पर चलाई जा रही गोलीमार कार्यवाही का ही असर है कि बदमाश अपनी जमानत नहीं करवा रहे हैं, जिसकारण मेरठ जोन के जेलों पर बदमाशों का हाऊसफुल का बोर्ड टंगा हुआ है।

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