" फर्जी बलात्कार " मुकदमो में फैसले ओर विरोधियों को फंसाने का हथियार बना

 फर्जी बलात्कार  मुकदमो में फैसले ओर विरोधियों को फंसाने का हथियार बना

बलात्कार एक ऐसा शब्द जिसकी पीड़ित से हमदर्दी ओर मुल्ज़िम को हिकारत की नजर से देखा जाता था। एक दशक पूर्व तक बलात्कार की घटनाएं कम सामने आती थी लेकिन अब यह शब्द शातिरों के लिए वरदान बन चुका है अगर किसी के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ ओर आरोपी जेल गए तो तलाश की जाती है ऐसी महिला की जो कुछ पैसों के लालच में वादी या उसके परिजनों के खिलाफ फर्जी बलात्कार का मुकदमा दर्ज करा सके और गरीबी के भंवर में फंसी ऐसी महिलाएं फर्जी बलात्कार की वादिया बन जाती है अगर किसी को फर्जी बलात्कार का मुकदमा दर्ज करने के लिए पैसे वाली महिला नही मिलती तो खुद को बचाने या विरोधी को फंसाने के लिए इंसान इतना गिर जाता है कि अपने परिवार की महिलाओं से भी फर्जी बलात्कार का मुकदमा दर्ज कराने से पीछे नही हटना चाहता है। बहुत सारे ऐसे मामले सामने आए की हत्या जैसे संगीन आरोप में जेल काट रहे शातिर लोग विरोधियों के खिलाफ धारा 376 का इस्तेमाल कर जेल से छूट जा रहे है और तो ओर जब से न्यायलय का दहेज उत्पीड़न में पति को छोड़कर बाकी को रिलीफ देने का हुक्म हुआ है तब से मामूली पारिवारिक झगड़े में भी पत्नि अपने पति व देवर पर दुष्कर्म ओर अप्राकृतिक कुकर्म जैसे झूठे संगीन तथा ससुर सास ननद पर सहयोग करने के आरोप का भी चलन चल पड़ा है।
बागपत में हेड कांस्टेबल ने लिखाया अपने बेटे के साले के विरूद्ध "' रेप """
अमरोहा जनपद की एक महिला बिजनोर आबकारी विभाग में सिपाही है उसकी शादी अलीगढ़ में एक हेड कांस्टेबल के बेटे से हुई थी हेड कांस्टेबल हापुड़ में तैनात है उसके बेटे और बहू में विवाद हुआ तो बहु अपने ससुराल से आ गयी। तब हेडकांस्टेबल ने अमरोहा के शकूरबाद की एक महिला से बलात्कार लिखाने को कहां पैसे के लालच में आकर महिला ने बागपत कोतवाली में महिला सिपाही के भाई के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा लिखा दिया बागपत पुलिस की जांच में जब मुकदमा झूठा पाया गया तो सच्चाई सामने आई और एक बेक़सूर शायद रेप के आरोप में जेल जाने से बच जाए
कोतवाली पुलिस ने लिखा वादी ओर उसके भाई पर फर्जी बलात्कार
गौरतलब है कि मुज़फ्फरनगर की कोतवाली शहर पर फर्जी चेक से पैसे निकालने के संबंध में कुछ लोगो पर मुकदमा हुआ पुलिस की दबिश ओर एक मुल्ज़िम की गिरफ्तारी से आरोपियों ने अपने पड़ोस में रहने वाली एक महिला से मुकदमे के वादी शादाब ओर उसके भाई के खिलाफ बलात्कार का झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया वो तो भला हो एसएसपी मुज़फ्फर नगर अनन्तदेव तिवारी जो फर्जी नामजदगी ओर वादी के खिलाफ झूठा मुकदमा लिखाने के सख्त खिलाफ है जिहोंने शादाब की शिकायत पर कोतवाली पुलिस का निष्पक्ष विवेचना करने का आदेश दिया और इस मुकदमे के विवेचक का जिन्होंने तमाम दबाव के बाद भी इस झूठे मुकदमे में कोई कार्यवाही नही की। दरअसल इस महिला से यह झूठ मुकदमा दर्ज कराने वाले लोगो से रिलेटिड कुछ लोगो ने किदवईनगर मोहल्ले में एक युवक की हत्या कर दी थी जब मुल्ज़िम जेल चले गए तो उनके परिजनों ने फैसले का दबाव बनाया लेकिन जिनका बेटा मौत के आग़ोश में चला गया था वो नही माने तो आरोपियों ने अपने परिवार की एक लड़की से वादी के परिजनों के खिलाफ फर्जी बलात्कार का मुकदमा दर्ज कराकर पुलिस से दबाव बनवाया नतीजा हत्या के वादी को हत्यारो से फैसला करना पड़ा। उसी से प्रेरित होकर शादाब ओर उसके भाई के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया लेकिन शादाब की किस्मत अच्छी थी जो अनंतदेव मुज़फ्फरनगर के वर्तमान में कप्तान है और शादाब को इंसाफ की उम्मीद जगी है
गैंगरेप से पीड़ित लड़की के परिवार को जब बना दिया था गैंगरेप का आरोपी
कई साल पहले मुज़फ्फर नगर के मंसूरपुर थाना इलाके के पुरबालियान में एक लड़की के साथ गैंगरेप हुआ मुल्ज़िम जेल चले गए उनमे से एक मुल्ज़िम के पिता शौकत ने एक वकील के माध्यम से एक महिला हायर की ओर मीरापुर थाने पर उस लड़की के पिता, भाई, चाचा, चाचा के बेटे और चाची पर गैंगरेप लिखा दिया पुलिस की धींगामस्ती का पता इसी से चलता है कि सब कुछ जानते हुए भी चांदी के जूतों की चमक के बलबूते तत्कालीन इंस्पेक्टर कमल सिंह यादव ने पीड़ित लडक़ी जिसके परिवार को फंसाने के लिए यह मुकदमा लिखाया गया था उसके पिता को जेल भेज दिया। तब लड़की के चाचा ने लखनऊ में आला अफसरों से शिकायत की जांच में मामला झूठा पाया गया तब जाकर विवेचना ट्रांसफर हुई और मुकदमे में एफआर लगी लेकिन उसके बाद भी न्यायलय में तलब कराने का डर दिखा कर शौकत फैसला करने में कामयाब हो गया था।
चरथावल में ज़िम्मेदार लोगो के खिलाफ जाती थी बलात्कार की तहरीर, पैसे लेकर करती थी फैसला
मुज़फ्फरनगर के चरथावल में एक व्यक्ति को एक खराब चालचलन की महिला का मकान खरीदना भारी पड़ गया बैनामे के बाद उक्त महिला अपना मकान वापस मांगने लगी उसने मना किया तो उस पर महिला ने बलात्कार का आरोप लगा दिया कस्बे के ज़िम्मेदार लोग फैसले के लिए आगे आये और महिला की गलती क्या बता दी उसने तो उन संम्मानित लोगो पर खुद से बलात्कार अपने पति से कुकर्म के आरोपो की उन पर झड़ी लगा दी कई लोगो ने फैसला पैसे देकर कर लिया कई ने पुलिस के बड़े अफसरों से शिकायत की तब तत्कालीन सीओ कर्मवीर सिंह और एसपी सिटी श्रवण कुमार ने अपनी जांच में महिला के आरोप झूठे पाए और कोई कार्यवाही नही करने को कहा तो शातिर महिला उसके पति के खिलाफ कार्यवाही कराई तब जाकर चरथावल के इन बेकसूर लोगो की जान बच सकी।
ऐसे बहुत सारे मामले है जिनमे फैसला करने की नीयत से फर्जी बलात्कार लिखाया जाता है अगर पुलिस दबाव में ना आकर ऐसे मुकदमे ना लिखे ओर अगर लिख भी जाये और झूठा मुकदमा हो तो ऐसे मुकदमो के वादी पर मुकदमा कराकर जेल भेज दिया जाए तो बहुत लोगो को इंसाफ ओर आरोपियों को सजा मिल सकती है
जैसे फरवरी 2013 में दिल्ली की फास्ट ट्रैक कोर्ट की जज निवेदिता अनिल शर्मा ने नौकरानी से रेप के आरोपी एक शख्स को बरी करते हुए टिप्पणी की रेप या यौन शोषण के झूठे मामलों का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है, ये खतरनाक है इसे रोकना होगा।
2. फरवरी 2014- जोधपुर में बहला-फुसलाकर दुष्कर्म करने की झूठी एफआईआर कराने पर महानगर मजिस्ट्रेट ने आरोप लगाने वाली महिला को दिन भर कोर्ट में खड़ा रहने और 100 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
3. जून 2014 में शामली की रहने वाली युवती ने चलती कार में रेप का आरोप लगाया। पुलिस की पड़ताल में पता चला जिस लड़के पर आरोप लगाया गया था उसके पार्टनर ही साजिश रची थी। लड़की भी गिरफ्तार की गई।
4. नवंबर 2014- दिल्ली की ट्रायल कोर्ट ने बलात्कार के दो मामलों की सुनवाई करते हुए कहा कि झूठे आरोप लगाने वाली महिलाओं को सजा दी जाए। ऑडिशनल सेशन जज वीरेंद्र भट्ट ने अपने फैसलों में कहा कि अगर किसी शख्स पर रेप का आरोप लगता है तो उसके लिए बेहद दुख और शर्मिंदगी की बात होती है। शर्मिंदगी और अपमान बेगुनाह साबित होने के बाद भी जिंदगी भर पीछा नहीं छोड़ते।
5. सितंबर 2015- हरियाणा के अंबाला मंडल कमिश्नर पर रेप का आरोप लगाने वाली महिला को पंचकुला पुलिस ने फिल्मी स्टाइल में गिरफ्तार किया। बाद पता चला महिला कई और लोगों पर भी ऐसे केस दर्ज करवा चुकी थी। महिला पर पहले एक केस दर्ज था।

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