केन्द्रीय हाॅल में गोष्ठी का हुआ आयोजन- मूल कर्तव्यों का कराया गया पाठन

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मुजफ्फरनगर। उच्च न्यायालय इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से प्राप्त पत्रों के अनुपालन में जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मुजफफरनगर राजीव शर्मा, की अध्यक्षता व कुशल निर्देशन में उच्च न्यायालय व शासन द्वारा कोविड-19/ कोरोना वायरस के संक्रमण के सम्बन्ध में जारी किये गये दिशा निर्देशों का पालन करते हुए दीवानी न्यायालय परिसर में स्थित केन्द्रीय हाॅल में संविधान दिवस के सम्बन्ध में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका संचालन सलोनी रस्तोगी, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा किया गया।

गोष्ठी में मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के अध्यक्ष मलखान सिंह, प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय, पंकज अग्रवाल, सभी न्यायिक अधिकारीगण, मध्यस्थ अधिवक्तागण, पैनल अधिवक्तागण, तथा कर्मचारीगण द्वारा भाग लिया गया। राजीव शर्मा, जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा संविधान की उद्देशिका तथा मूल कर्तव्यों का निर्वह्न करने हेतु सभी को प्रेरित करते हुए संविधान की प्रस्तावना व मूल कर्तव्यों का पाठन कराया गया, उनके द्वारा कहा गया कि प्रत्येक व्यक्ति के अपने समाज के प्रति कुछ कर्तव्य होते है। इन कर्तव्यों के अनुपालन में ही उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता एवं पूर्ण विकास सम्भव है। यदि हम सभी अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहे तो हम सभी के अधिकार स्वतः ही सुनिश्चित हो जायेगे। संविधान के भाग 4-क के अनुच्छेद 51-क में दिये मौलिक कर्तव्य वर्ष 1976 में जोडे गये हैं परन्तु भारतीय परम्पराओं तथा चिंतन की धाराओ ने सदियो से कर्तव्यों के निर्वह्न पर बहुत अधिक बल दिया है। जिसे धर्म कहा जाता था। हम अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक व ईमानदारी से निर्वह्न करते हुए जिम्मेदार नागरिक बने जिससे राष्ट्र विकास व उन्नति की नई उचाईयों को छूू ले।

प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय द्वारा बताया गया कि हमें संविधान निर्माताओं के संघर्ष तथा परिश्रम को सदैव याद रखना चाहिए। संविधान के आदर्शो, स्वतंत्रता आन्दोलनों, राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगान, का सम्मान करना चाहिए आपस में भाईचारे की भावना बनाये रखें जो जाति धर्म के भेद भाव से परे हों। मलखान सिंह, अध्यक्ष मोटर दुर्घटना दावा प्राधिकरण द्वारा कहा गया कि अपने देश की गौरवशाली परम्परा के महत्व को समझे तथा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य करें। ऐसी सभी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरूद्ध हो। संविधान दिवस की इस गोष्ठी में संविधान की उद्देशिका तथा नागरिकों के मूल कर्तव्यों के सम्बन्ध में अन्य न्यायिक अधिकारीगण द्वारा भी अपने अपने विचार व्यक्त किये गये।

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