EVM को लेकर लापरवाही

EVM को लेकर लापरवाही

नई दिल्ली। प्रजातंत्र में निष्पक्ष चुनाव होना जरूरी मानकर तत्कालीन मुख्य निर्वाचन आयुक्त टीएन शेषन ने मतपेटी की जगह इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से मतदान कराने की शुरुआत की थी। हालांकि ईवीएम को लेकर शुरू से ही शिकायतें रही हैं और इसी के चलते ईवीएम के साथ वीवीपैट का इस्तेमाल किया जाने लगा। इससे यह पता चल जाता है कि मतदाता ने जिस प्रत्याशी को वोट डाला है, उसी को मिला है अथवा नहीं मिला। वीवीपैट में एक प्रिंटेड पर्ची आ जाती है। इस बार जब पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, तब ईवीएम को लेकर एक नया विवाद शुरू हो गया है। हालांकि इस विवाद में लापरवाही मुख्य रूप से सामने आयी है लेकिन ईवीएम को लेकर लापरवाही जनता के बीच भी संदेह के बीज बो रही है। पहले असम में एक भाजपा प्रत्याशी की कार में ईवीएम रखी पायी गयी। हंगामा हुआ तो पता चला कि चुनाव अधिकारी की गाड़ी खराब हो गयी थी और उन्होंने भाजपा प्रत्याशी से लिफ्ट मांगी। उनकी कार में ईवीएम लेकर जा रहे थे, तभी किसी ने वीडियो बना लिया। अब पश्चिम बंगाल में तीसरे चरण का मतदान होने जा रहा था, तब एक ईवीएम तृणमूल कांग्रेस के नेता के घर में मिली। इस मामले में भी चुनाव अधिकारी की लापरवाही सामने आयी है।

पश्चिम बंगाल में जब चुनाव का तीसरा चरण चल रहा था, तभी ईवीएम को लेकर विवाद सामने आया। हावड़ा इलाके में 5 अप्रैल की रात एक ईवीएम तृणमूल कांग्रेस के नेता के घर में मिली। भाजपा ने चुनाव में धांधली करने का आरोप लगाया। शिकायत मिलने पर चुनाव आयोग ने कार्रवाई की और चुनाव अधिकारी को निलंबित कर दिया है। दरअसल, हावड़ा जिले में उलवेरिया इलाके में तृणमूल कांग्रेस के नेता गौतम घोष के घर से ग्रामीणों ने ईवीएम और 4 वीवीपैट मशीनों को बरामद कराया। यह मामला बंगाल की विधानसभा सीट नं. 177 के सेक्टर 17 का है। चुनाव आयोग ने शुरुआती जांच करायी। जांच में पांया गया कि चुनाव सेक्टर अधिकारी तपन सरकार रिजर्व ईवीएम और वीवीपैट मशीनों के साथ अपने सेक्टर में मौजूद थे। रात हो गयी तो उन्हें लगा कि पोलिंग बूथ की जगह अपने एक रिश्तेदार के घर इत्मीनान से सोया जाए। जाहिर है कि ईवीएम और वीवीपैट मशीनों को वे कहां छोड़ते। मशीनें अपने साथ ले गये। रिश्तेदार के घर सो गये। उनके रिश्तेदार टीएमसी के नेता हैं। इस प्रकार ईवीएम और वीवीपैट का तृणमूल कांगे्रस, जो कि राज्य में सरकार भी चला रही है, नेता के घर में बरामद होना चुनाव आयोग की फजीहत का कारण बन गया।

इस लापरवाही की वजह से चुनाव आयोग ने सेक्टर अफसर तपन सरकार के साथ-साथ सुरक्षा के लिए लगायी गयी पूरी पुलिस टुकड़ी को भी निलंबित कर दिया। चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट किया कि जो ईवीएम टीएमसी नेता के घर मिली, वो रिजर्व (अतिरिक्त) थी, उसका मतदान से कोई लेना-देना नहीं है। फिर भी चुनाव आयोग के जनरल आब्जर्वर नीरज पवन की निगरानी में इन मशीनों को सील कर अलग रखवा दिया गया है। इससे पूर्व असम में एक ईवीएम सत्तारूढ़ भाजपा नेता की कार में पायी गयी थी। इसको लेकर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने हंगामा खड़ा कर दिया था।

पिछले दिनों की बात है जब असम में चुनाव के बीच एक चैंकाने वाला मामला सामने आया है। असम के पथरकंडी विधानसभा क्षेत्र में सफेद रंग की बोलेरो कार में ईवीएम मिली। ये कार करीमगंज जिले की पथरकंडी सीट से विधायक और बीजेपी उम्मीदवार कृष्णेंदु पॉल की थी। उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में भी इस कार जिक्र किया है। कांग्रेस व अन्य दलों ने इस मामले को लेकर बीजेपी ही नहीं, चुनाव आयोग पर भी सवाल उठाए हैं। चुनाव आयोग ने अधिकारियों से घटना पर जवाब मांगा। चुनाव आयोग के सूत्र इस घटना के पीछे कुछ अलग ही कहानी बता रहे थे। बहरहाल, चुनाव आयोग ने 4 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है और बूथ पर फिर से वोटिंग कराने का आदेश दे दिया। इधर कृष्णेंदु पॉल ने ईवीएम चोरी जैसी किसी भी बात से इंकार किया है।

बोलेरो कार में ईवीएम मिलने की ये घटना गुरुवार 1 अप्रैल को रात करीब साढ़े दस बजे सामने आई थी। उस दिन असम में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में वोटिंग के दौरान करीमगंज में भी मतदान हुआ था। स्थानीय लोगों ने जब कार को घेरा तो ड्राइवर कार को छोड़कर भाग गया। आरोप हैं कि उस समय कार के अंदर न तो चुनाव आयोग का कोई अधिकारी और न ही सुरक्षाकर्मी मौजूद थे। बीजेपी नेता कृष्णेंदु पॉल भी वहां नहीं थे। कार में ईवीएम मिलने की खबर फैलने के बाद बड़ी तादाद में लोग वहां लोग जमा हो गए। माहौल तनावपूर्ण हो गया। जैसे-तैसे रात को मामला शांत कराया गया। उस दिन असम के अलावा पश्चिम बंगाल में भी दूसरे चरण के लिए 30 सीटों पर वोट पड़े थे। वहां भी कार में ईवीएम मिलने की घटना के बाद तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जमकर विरोध किया था। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। लोग इलेक्शन कमीशन के इंतजाम पर भी सवाल उठा रहे थे। राजनीतिक दल भी आक्रामक थे। असम कांग्रेस के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने चुनाव के बायकॉट की धमकी दे दी। चुनाव आयोग से तुरंत कार्रवाई की मांग की। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी घटना पर चिंता जताई और ईवीएम के इस्तेमाल पर फिर से विचार करने की मांग उठा दी। प्रियंका ने ट्वीट में लिखा- जब भी इलेक्शन होता है, ईवीएम के साथ प्राइवेट गाड़ियां पकड़ी जाती हैं। इस बात में कोई आश्चर्य नहीं है कि इन सबमें ये बातें कॉमन हैं। वाहन ज्यादातर बीजेपी या उनके सहयोगियों के ही होते हैं। ऐसी विडियो फुटेज को अक्सर बस एक घटना कहकर नकार दिया जाता है। बीजेपी की पूरी सोशल मीडिया मशीनरी वीडियो बनाने वाले को ही नाकारा साबित करने में लग जाती है। ऐसे बहुत से वीडियो आए लेकिन किसी पर भी एक्शन नहीं लिया गया। इस पर इलेक्शन कमीशन को फौरन एक्शन लेना चाहिए। सभी पार्टियों के साथ बैठ कर ईवीएम के इस्तेमाल पर पुनर्विचार होना चाहिए।

विपक्षी दल कह रहे वोटों की खरीद फेल, प्रत्याशियों की खरीद फेल, जुमलेबाजी फेल, दोहरे सीएम फेल, सीएए पर दोहरी बातें फेल। हार चुकी बीजेपी के पास अब एक ही रास्ता बचा है, ईवीएम की चोरी। यह लोकतंत्र की हत्या है। शुरुआत में इस तरह का बाते आईं कि क्या वाकई में कार बीजेपी प्रत्याशी की है लेकिन बाद में यह साफ हो गया कि कार बीजेपी प्रत्याशी कृष्णेंदु पॉल की ही थी। लेकिन जांच में यही पता चला कि चुनाव अधिकारी की गाड़ी खराब हो गयी और वे कार में लिफ्ट लेकर ईवीएम मशीन लेकर आ रहे थे। कार भाजपा नेता की थी। (हिफी)




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