सैनिटाइजर का निर्यात कर रहा भारत

सैनिटाइजर का निर्यात कर रहा भारत
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नई दिल्ली। कुछ महीने पहले चीन से हैंड सैनिटाइजर बॉटल डिस्पेंसर आयात करने वाला भारत अब इसके निर्यात करने की स्थिति में पहुंच गया है। यह सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता का एक प्रमुख उदाहरण है।

सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम (एमएसएमई) मंत्रालय के तहत प्रौद्योगिकी केंद्र और टूल रूम की मदद से भारत इस स्थिति को हासिल कर पाया है। एमएसएमई मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'इन पहल तथा हस्तक्षेप की वजह से भारत आज न केवल पर्याप्त मात्रा में हैंड सैनिटाइजर बोतल डिस्पेंसर (पंपध्फ्लिप) की मैन्युफैक्चरिंग कर रहा है, बल्कि अब हम इनका निर्यात करने की भी तैयारी कर रहे हैं।'

गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी की वजह से हैंड सैनिटाइजर और इसकी बोतलों की मांग में जबर्दस्त इजाफा हुआ है। इसी के चलते बोतल डिस्पेंसर या पंप की मांग गई गुना बढ़ गई। मंत्रालय ने कहा कि इससे भारत को हैंड सैनिटाइजर सामग्री (लिक्विड/जेल) में आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद मिली है। साथ ही इससे अन्य सहायक सामान मसलन मास्क, फेस-शील्ड, पीपीई किट, सैनिटाइजर बॉक्स तथा परीक्षण सुविधाओं में भी सुधार हुआ है।

हालांकि, कोविड-19 महामारी से पहले देश में बॉटल डिस्पेंसरध्पंप की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता पांच लाख यूनिट प्रतिदिन थी। इस मांग को पूरा करने के लिए शुरुआत में बड़ी संख्या में डिस्पेंसर का चीन से आयात किया गया। इससे इनकी कीमत भी बढ़कर प्रति डिस्पेंसर 30 रुपये तक पहुंच गई। अब इसकी कीमत 5.50 रुपये के आसपास पहुंच गयी है। कई उत्पादकों के पास इसका सरप्लस स्टॉक है। अब इसका देश में खपत सिर्फ 50 लाख डिस्पेंस प्रतिदिन का ही रह गया है, क्योंकि बहुत से लोग अब रिफिल पैक खरीदने लगे हैं।

एमएसएमई मंत्रालय ने कहा कि इस समस्या को देखते हुए मई की शुरुआत से एमएसएमई मंत्रालय के सचिव ने सभी पक्षों से कई बैठकें की। निजी क्षेत्र को इनका उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित किया गया। मंत्रालय ने कहा कि इन प्रयासों से आज हम इनका निर्यात करने की स्थिति में पहुंच गए हैं। अभी तक स्प्रे पंप के साथ सैनिटाइजर के निर्यात पर रोक थी, जिसे हटा लिया गया है।

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