भारत ने लगाये एक अरब कोविड टीके

भारत ने लगाये एक अरब कोविड टीके

नयी दिल्ली। भारत ने कोविड टीकाकरण अभियान के अंतर्गत एक अरब कोविड टीके लगाने का लक्ष्य हासिल कर लिया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने एक ट्वीट में जानकारी देते हुए समस्त देशवासियों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए कहा है कि यह भारत के लिए गौरव का क्षण है। उन्होंने एक ट्वीट श्रृंखला में कोविड टीके के निर्माण और उसके आपूर्ति का ब्यौरा दिया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्रीय निदेशक डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने भारत में एक अरब कोविड टीके दिए जाने को असाधारण उपलब्धि बताया है।

भारत ने इस वर्ष 21 जून को देश भर में निशुल्क कोविड टीकाकरण अभियान आरंभ किया था। इस दौरान व्यापक स्तर पर टीकाकरण अभियान चलाया गया और लोगों को चरणबद्ध ढंग से टीके लगाए गए। देश के पूर्वोत्तर पहाड़ी और दूरदराज के इलाकों में विशेष अभियान चलाए गए और ड्रोन से भी टीके की आपूर्ति की गई।

ताजा आंकड़ों के अनुसार बृहस्पतिवार तक भारत में 100 करोड से अधिक कोविड टीके लगाए जा चुके हैं। देश की लगभग 95 प्रतिशत पात्र आबादी को कोविड टीका लगाया जा चुका है। यह आबादी यूरोपीय संघ के सभी देशों और समस्त अमेरिका की कुल आबादी के लगभग बराबर है।

आंकड़ों में कहा गया है कि राज्यों को अभी तक 103.5 करोड़ से अधिक कोविड टीकों की आपूर्ति की जा चुकी है जबकि 10.85 करोड़ से अधिक टीके आपूर्ति की प्रक्रिया में है

देश में 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को निशुल्क कोविड टीका लगाया जा रहा है। गोवा, सिक्किम, चंडीगढ़, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्यों में पूरी पात्र आबादी को कम से कम एक कोविड-19 टीका लग चुका है। दूसरी ओर बड़े राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों में टीकाकरण अभियान तेजी से चल रहा है हालांकि पूर्वोत्तर राज्यों तथा कुछ पहाड़ी राज्यों में टीकाकरण के अभियान की गति अभी धीमी है। भौगोलिक बाधाओं के कारण दूर-दराज में बसी आबादी तक कोविड टीका पहुंचाना मुश्किल हो रहा है। इन राज्यों में टीकाकरण स्थलों तक कोविड टीका पहुंचाने के लिए ड्रोन की सेवाएं ली जा रहे हैं। पूर्वोत्तर राज्यों में टीकाकरण को प्रोत्साहन देने के लिए मोबाइल फोन, टीवी, मिक्सर ग्राइंडर जैसे उपकरण देने के प्रलोभन भी दिए जा रहे हैं।

इस वर्ष 21 जून से शुरू हुए भारतीय टीकाकरण अभियान को शुरुआत में राजनीतिक विरोध, अफवाह और अंधविश्वास का भी सामना करना पड़ा। कुछ राजनीतिक दलों ने भारतीय टीके की प्रभावशीलता और सुरक्षा तथा विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड तथा महाराष्ट्र के आदिवासी क्षेत्रों और जम्मू कश्मीर में कोविड टीके को अंधविश्वास का सामना करना पड़ा। इससे निपटने के लिए सरकार को स्थानीय सामाजिक नेताओं, डॉक्टरों, अध्यापकों और ग्राम पंचायतों की मदद लेनी पड़ी।

भारतीय टीके कोविशिल्ड और कोवैक्सिन को अंतरराष्ट्रीय कारोबारी दबाव भी झेलना पड़ रहा है। ब्रिटेन जैसे राष्ट्रों ने भारतीय टीकों को मान्यता देने से इनकार कर दिया और भारतीय कंपनी भारत बायोटेक की कोवैक्सिन को विश्व स्वास्थ्य संगठन की जटिलताओं से जूझना पड़ रहा है।

कोविड टीकाकरण अभियान में बुनियादी सुविधाओं का अभाव सबसे बड़ी अड़चन रही है। देश के दूरदराज के इलाकों में कोविड टीका पहुंचाना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है।

सूत्रों ने कहा कि इसके लिए स्थानीय स्तर पर युवाओं को तैयार किया गया है। इसके अलावा आशा कार्यकर्ता स्वास्थ्य कर्मियों और कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राओं की भी मदद ली गई है।

टीकाकरण अभियान को सफल बनाने के लिए सरकार ने उच्च स्तर पर एक निगरानी तंत्र विकसित किया है। प्रतिदिन के आधार पर पूरी प्रक्रिया की समीक्षा की जाती है और जरूरत के अनुसार कदम उठाए जाते हैं।

वार्ता

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