क्या कोरोना वायरस से लड़ने में मास्क कारगर है?

क्या कोरोना वायरस से लड़ने में मास्क कारगर है?

नई दिल्ली। इस साल की शुरुआत से लेकर अब तक कोरोना वायरस नामक महामारी से पूरा विश्व त्रस्त है। इस महामारी की वजह से दुनियाभर के करोड़ों लोग संक्रमित हुए हैं व इसकी पहुंच दुनिया के 188 देशों में है। 12 अगस्त तक दुनिया में इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 20,807,726 हो गई है। कोरोना संक्रमण के मामले में अमेरिका पहले पायदान पर है। दुनिया भर में अब तक कोरोना महामारी से 1.37 करोड़ से ज्यादा मरीज ठीक हो चुके हैं तो वहीं अब तक दुनिया भर में कोरोना से 7.47 लाख लोगों की जान भी जा चुकी है। भारत में कोविड-19 के नए मामलों की संख्या में वृद्धि जारी है। 13 अगस्त को 24 घंटे में आए नए मामलों की संख्या 66,999 रही। देश में कोरोना संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 23.96 लाख हो गई है और कोरोना से मरने वालों की संख्या 47033 हो गई है।

एक तरफ जहां कई देशों ने कोरोना वायरस से सुरक्षित रहने के लिए लोगों को सलाह दी है और लोगों से कहा गया कि वो अपने-अपने घरों में ही रहे और आपात स्थिति में ही घर से बाहर निकलें। इसके चलते ही भारत समेत कई देशों में 80-90 दिन लॉकडाउन रहा लेकिन अर्थव्यवस्था के चलते भारत समेत कई और देशों में भी धीरे-धीरे लॉकडाउन खोलना शुरू किया है और लोगों से सावधानी बरतने को कहा है। लोगों से कहा गया है कि वे सफाई का ध्यान रखें, हाथों को नियमित तौर पर साफ करते रहें, मास्क पहनें और एक-दूसरे के संपर्क में कम आएं यानी सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन करें। वहीं दूसरी तरफ दुनियाभर में लॉकडाउन के नियमों का पालन न करने और मास्क न पहनने को लेकर सख्ती की जा रही है वहीं कई अजीबोगरीब नियम बनाए गए हैं। नियम तोड़ने के लिए जो फाइन तय किया गया है, वो भी एक अलग ही कहानी है। भारत की बात करें तो किसी राज्य में एक लाख तो कहीं 10 हजार का जुर्माना तय किया है। यही नहीं राज्यों को अब तक इस नियम को तोड़ने पर लगाए गए जुर्माने से अच्छी खासी रकम भी मिली है। बिहार में लॉकडाउन की शुरुआत से लेकर 15 जून तक 23 करोड़ रुपए से ज्यादा जुर्माना पुलिस वसूल चुकी है। वहीं, पंजाब सरकार अब तक 15 करोड़ रुपए से ज्यादा का जुर्माना वसूल चुकी है। मई से लेकर 12 जुलाई तक अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने 1.52 करोड़ रुपए जुर्माने के रूप में वसूले। महाराष्ट्र सरकार 4 जुलाई तक लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने पर 10 करोड़ से ज्यादा जुर्माना वसूल चुकी है, जबकि 29 हजार से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए गए हैं। झारखंड में एक आदेश के तहत लॉकडाउन के नियमों का पालन नहीं करने और मास्क नहीं पहनने वालों को दो साल तक की जेल की सजा और एक लाख रुपए जुर्माना देना पड़ सकता है। कोरोना को लेकर यह अब तक का सबसे सख्त फैसला है लेकिन इन सबके बीच एक सवाल ये भी पूछा जा रहा है कि क्या मास्क पहनने से बचाव संभव है? या क्या मास्क पहनना सुरक्षित है? लेकिन जितना आसान आप इस सवाल का जवाब सोच रहे हैं ये उतना है नहीं। बहुत से देश जैसे कि ब्रिटेन, अमेरिका और सिंगापुर में लोगों को सलाह दी गई है कि अगर वो बीमार नहीं है तो मास्क न ही पहनें। यह सलाह विश्व स्वास्थ्य संगठन के आधार पर जारी की गई है। एक्सपट्र्स का कहना है कि बात सर्जिकल मास्क की हो या एन95 रेस्पिरेटर मास्क की ये सभी गंभीर वायरस से बचाने में एक लिमिट तक ही प्रभावी है। खासतौर पर एक पूरी तरह स्वस्थ व्यक्ति को प्रोटेक्ट करने का काम ये एक लिमिट तक करते हैं। ये खासतौर पर उस स्थिति में प्रभावी होते हैं, जब एक बीमार इंसान एन95 रेस्पिरेटर मास्क का इस्तेमाल करे ताकि उसके खांसने और छींकने के दौरान बीमारी के वायरस एयर के कॉन्टेक्ट में न आएं और दूसरे लोग इनसे बचे रह सकें लेकिन अगर एयर में इंफेक्शन फैलाने वाले वायरस मौजूद हैं तो मास्क एक लिमिट तक की आपको प्रोटेक्ट कर सकता है। अच्छी बात यह है कि ये मास्क आपके लिए संक्रमण का खतरा कम कर देते हैं।

पूरी दुनिया में कोहराम मचाने वाले वायरस के साइज की बात करें तो उसका साइज एक बिंदु (डॉट) से भी 2 हजार गुना छोटा है यानि अगर आप एक पन्ने पर एक बिंदु (डॉट) डालते हैं उसका जो आकार होगा उससे भी 2000 गुना छोटा यह जानलेवा कोरोना वायरस है। जब माइक्रोस्कोप के जरिए इस बेहद खतरनाक कोरोना वायरस की तस्वीर सामने आई तो इसने लोगों को चैंका दिया। माइक्रोस्कोप मे कोरोना वायरस को देखने के लिए इस वायरस को एक मिलीमीटर के एक लाखवें हिस्से के छोटे टुकड़े में विभाजित करना होगा, ताकि इसे मापा जा सके। इस वायरस का आकार माइक्रोमीटर में है जो एक मिलीमीटर का हजारवां हिस्सा है। वायरस 20 नैनोमीटर के बीच व्यास में होते हैं। एक नैनोमीटर एक माइक्रोमीटर का एक हजारवां हिस्सा है। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए मार्केट में कई तरह के मास्क उपलब्ध हैं। इनमें सर्जिकल मास्क, हैंडमेड मास्क, केएन-95 मास्क के अतिरिक्त बांधनी मास्क भी शामिल हैं। इसके अलावा जिस व्यक्ति को जो रंग और कपड़ा अच्छा लगता है, उसका मास्क बनाकर पहन लेता है। किसी भी कपड़े का मास्क पहनने में कोई बुराई नहीं है, अगर आप इस बात को लेकर पूरी तरह श्योर हैं कि इस कपड़े के महीन छिद्रों से कोरोना वायरस आपको सांसों में नहीं जा पाएगा तो आप गलत है। जब किसी मास्क को कपड़े से बनाया जाता है तो उसमें दो तरफ से बुनाई के धागे चलते हैं। इनमें एक को ताना और दूसरे को बाना कहते हैं। ताना-बाना की प्रक्रिया से जब कपड़ा बनता है तो कपड़े के बीच बहुत महीन छेद दिखाई पड़ते हैं। ये छेद वही गैप होता है, जो ताने से बाने को गूथते वक्त दो गूथ के बीच रह जाता है। इन छिद्रों की चैड़ाई आमतौर पर 1 मिलीमीटर से लेकर 0.1 मिलीमीटर तक होती है। जबकि कोरोना वायरस युक्त हवा में तैरने वाली ड्रॉपलेट्स का साइज इन छिद्रों से हजार गुना छोटा होता है। यानी इन कपड़ों की सिंगल लेयर के बीच से कोरोना ड्रॉपलेट्स बहुत ही आराम के साथ संक्रमित व्यक्ति के शरीर से बाहर जा सकती हैं और बाहर से किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकती हैं। कोरोना वायरस के पार्टिकल्स का साइज हेल्थ एक्सपट्र्स द्वारा 0.08 माइक्रोमीटर्स बताया जा रहा है। सांस के अतिरिक्त जब खांसी और छींक के साथ ये ड्रॉपलेट्स संक्रमित व्यक्ति के शरीर से बाहर निकलती हैं तो इनकी गति सांस के जरिए बाहर आने वाली ड्रॉपलेट्स की गति से कहीं अधिक होती है। पिछले दिनों हेल्थ एक्सपट्र्स की तरफ से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि मौसम में अगर नमी हो तो कोरोना ड्रॉपलेट्स बिना हवा के भी 13 फीट दूर तक जा सकती हैं। इस स्थिति में 13 फीट तक की दूरी में स्थित लोगों के संक्रमित होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। मोमबत्ती टेस्ट के जरिए घर बैठे ही बहुत आराम से इस बात का पता लगाया जा सकता है कि आप जो मास्क पहन रहे हैं, वह कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने में प्रभावी है या नहीं। इसके लिए आप एक मोमबत्ती को जलाकर रख लें। अब अपने चेहरे पर मास्क पहनकर इस मोमबत्ती को फूंक मारकर बुझाने की कोशिश कीजिए। यदि आपके मुंह से निकली हवा इस मास्क को पारकर मोमबत्ती को बुझा देती है तो समझ जाइए कि आपका मास्क कोरोना वायरस को रोक पाने में सक्षम नहीं है। यदि आपके मास्क से हवा नहीं निकलती है और मोमबत्ती की लौ एकदम सामान्य तरीके से जलती रहती है तो समझ जाइए कि आपका मास्क आपको कोरोना से संक्रमण से बचा रहा है। आपके मन में यह सवाल आ सकता है कि आखिर मोमबत्ती से उपयोगिता कैसे सिद्ध होती है? तो इसका जवाब है जब आपकी सांसों की हवा मास्क को भेदकर बाहर जा सकती है तो सांस लेने और बातचीत करने के दौरान बाहर की हवा आपके मास्क के अंदर भी आ सकती है। ऐसे में जरा सी भी लापरवाही किसी को भी मुश्किल में डाल सकती है इसलिए सावधान रहें, सतर्क रहें, सुरक्षित रहें।

(नाज़नींन -हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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