जगरनाथ महतो: प्रेरक व्यक्तित्व

जगरनाथ महतो: प्रेरक व्यक्तित्व

नई दिल्ली। राजनीति को अब सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता। इसमें नैतिकता नामक चीज नहीं रह गयी है। अब सिर्फ राज अर्थात् शासन-सत्ता से इसका मतलब है, नीति को ताख पर रख दिया गया है। राजनीति में समाज सेवा के नाम पर इन्ट्री करके खुद की जेब भरने, अपने घर-परिवार को समृद्ध करने का प्रयास होता रहता है। कभी-कभार कोई घोटाले में फंस भी जाता है और जेल की हवा खाता है। इसे भी वह अपना स्टेटस सिम्बल बन लेता है। इसलिए सामान्य व्यक्ति को नेता कह दो तो वह बुरा मान जाता है और इसे गाली जैसा शब्द समझता है। इसके बावजूद जब कोई नेता अनुकरणीय कार्य करता है, तो उसको नमन करने का मन करता है। झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो एक ऐसे ही नेता हैं। बताते हैं कि जब वे शिक्षा मंत्री पद की शपथ ले रहे थे, तब किसी ने उपहास उड़ाते हुए कहा कि 10वीं कक्षा पास व्यक्ति शिक्षा व्यवस्था को केसे संभालेगा? यह बात जगरनाथ महतो को चुभ गयी थी और उसी समय उन्होंने तय किया कि वे अपनी शिक्षा को आगे बढ़ायेंगे। उन्होंने सामान्य व्यक्ति की तरह ही कक्षा 12 में प्रवेश लिया है।

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के नेता जगरनाथ महतो का जन्म 1 जनवरी 1967 को अलारगो नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता नेम नारायण महतो एक किसान हैं और माता श्रीमती गुंजरी देवी सामान्य गृहिणी जगरनाथ महतो पढ़ने के शौकीन हैं लेकिन बड़ा परिवार होने के चलते वे शिक्षा के क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ पाए। वे मुंशी प्रेमचन्द की पुस्तकें बड़े चाव से पढ़ते थे। पढ़ने के दौरान ही छात्र राजनीति भी करने लगे। स्वर्गीय विनोद बिहारी महतो उनके राजनीति के क्षेत्र के आदर्श हैं। जगरनाथ महतो ने ही नियम बनाया कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वालों को ही सरकारी नौकरी मिलेगी। इस पर राजनीतिक विवाद शुरू हो गया।

शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का सरकारी स्कूलों में पढ़ने वालों को ही सरकारी नौकरी का बयान राजनीतिक विवाद का विषय भले ही बन गया है लेकिन इसके पीछे की भावना को भी समझा जाना चाहिए। उनका मकसद सरकारी स्कूलों की गरिमा को स्थापित करना है। उत्तर प्रदेश में भी एक शिक्षामित्र की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक गंभीर फैसला किया था। इस फैसले के तहत किसी भी सरकारी स्कूल के निकट रहने वाले सरकारी कर्मचारी और अधिकारी अपने बच्चे उसी स्कूल में पढ़ाएं। उन्हीं दिनों बिहार से एक खबर आयी थी कि वहां के डीएम ने अपने बच्चे का एडमीशन एक सरकारी प्राइमरी स्कूल में करा दिया। इसके बाद उस प्राइमरी स्कूल के हालात ही बदल गये थे। झारखण्ड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की मंशा भी संभवतः इसी तरह से सरकारी स्कूलों के स्तर को सुधारने की है। उनका निजी स्कूलों से कोई विरोध नहीं है और शिक्षा की इस दोहरी प्रणाली को आसानी से बदला भी नहीं जा सकता। शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाकर एक संदेश यह भी दिया है कि वे शिक्षा के प्रति बहुत गंभीर हैं। देश भर में सरकारी स्कूलों की जो स्थिति है, उसमें सुधार के लिए जगरनाथ महतो जैसे शिक्षा मंत्री की जरूरत है।

कहते हैं कि पढ़ने-लिखने की कोई उम्र सीमा नहीं होती बस इच्छा और जज्बा होना चाहिए। ऐसा ही नजारा देखने को मिला झारखंड में। झारखंड की राजनीति में हमेशा अलग-अलग कारणों से सुर्खियों में रहने वाले 10वीं पास सूबे के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो अब इंटर की पढ़ाई करेंगे। मंत्रालय की जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ अब मंत्री जी स्कूल में अपनी क्लासरूम की बेंच पर बैठकर पढ़ाई भी करते नजर आएंगे। बता दें कि सूबे के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने अपने ही डुमरी विधानसभा क्षेत्र के नवाडीह स्थित देवी महतो स्मारक इंटर महाविद्यालय में 10 अगस्त को इंटरमीडिएट में दाखिला लिया है। अब वो अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए नियमित क्लास भी करेंगे। मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि जब राज्य में हमें शिक्षा मंत्री पद की शपथ दिलाई जा रही थी तब कुछ लोगो ने मजाक उड़ाते हुए कहा था कि 10वीं पास को शिक्षा मंत्री बनाया गया है। ऐसे में शिक्षा नीति कैसे बेहतर होगी, ये क्या करेंगे।

उन्होंने कहा कि उसी विरोध और मजाक का आज जबाब दे रहा हूं। मैं उन लोगों को बताना चाहता हूं कि हममें वो जोश और जज्बा है कि अपनी पढ़ाई पूरी करेंगे, मंत्रालय भी देखेंगे, खेती भी करेंगे और जनता की सेवा भी करेंगे। मंत्री ने कहा कि पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती है, इसलिए हम पढ़ाई पूरी करेंगें। सूबे के शिक्षा मंत्री का यह जोश और जज्बा एक प्रेरणा देता है, अगर आप चाह ले तो उम्र के किसी भी पड़ाव में आप सीख सकते हैं।

किसान परिवार से आने वाले मंत्री जगरनाथ महतो ने दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। उन्होंने मीडिया को इसकी वजह ये बताई है कि उस वक्त झारखंड आंदोलन अपने चरम पर था। हम भी नौजवान थे तो विनोद बिहारी महतो के नेतृत्व में आंदोलन में कूद पड़े। इसके बाद राजनीति में आ गए। इसी कारण पढ़ाई आगे नहीं बढ़ पाई, लेकिन अब इसे पूरा करूंगा।

झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो 53 साल की उम्र में फिर से पढ़ाई शुरू करेंगे। उन्होंने बोकारो के नावाडीह के देवी महतो इंटर कॉलेज की ग्यारहवीं क्लास में एडमिशन लिया है। 1995 में मैट्रिक करने के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी। शिक्षा मंत्री बनने के बाद लोग दबी जुबान में अक्सर यह मुद्दा उठाते थे कि दसवीं पास व्यक्ति कैसे शिक्षा मंत्रालय का कार्यभाल संभालेगा।

कॉलेज के प्राचार्य दिनेश प्रसाद वर्णवाल ने खुद शिक्षा मंत्री का आर्ट्स संकाय में रजिस्ट्रेशन किया। कॉलेज के कार्यालय कक्ष में जाकर मंत्री महतो ने नामांकन फॉर्म भरा और 1100 रुपये शुल्क के साथ उसे जमा करवाया। शिक्षा मंत्री ने कहा कि वह सारा काम देखते हुए सब कुछ करेंगे। 'क्लास भी करेंगे और मंत्रालय भी संभालेंगे। घर में किसानी का काम भी करेंगे, ताकि मेरे काम को देखकर अन्य लोग भी प्रेरित हों।

इसी साल जनवरी में उन्होंने शिक्षा मंत्री का पदभार ग्रहण किया। तभी कुछ लोगों ने कमेंट किया था दसवीं पास को शिक्षा विभाग दे दिया गया है। इसके बाद ही उन्होंने तय किया था कि वे आगे की पढ़ाई करेंगे। जगरनाथ महतो ने कहा, शिक्षा हासिल करने की कोई उम्र सीमा नहीं होती। नौकरियों करते हुए लोग आईएएस, आईपीएस की तैयारी करते हैं और सफल भी होते हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा कि उनके अंदर कुछ करने का जज्बा है। शिक्षामंत्री ने बताया कि राज्य सरकार शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। गत 10 अगस्त को ही उन्होंने राज्यभर में 4,416 आदर्श इंटर स्कूल स्थापित करने के लिए विभाग की एक संचिका पर हस्ताक्षर किया है। यह प्रस्ताव कैबिनेट में जाएगा और राज्य मंत्रिपरिषद से स्वीकृति मिलने के बाद राज्यभर में आदर्श स्कूल स्थापित कर ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि उनकी यह कोशिश है कि गरीब विद्यार्थियों को निःशुल्क और बेहतर शिक्षा मिल सके। जब से जगरनाथ विधायक बने हैं तभी से वो गरीब बच्चों की उच्च शिक्षा पर होने वाले खर्च का वहन कर रहे हैं।

ध्यान रहे कि एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव में दाखिल शपथ पत्र के अनुसार झारखंड में जगरनाथ महतो के अलावा कई और मंत्री है जो दसवीं पास है। बन्ना गुप्ता (स्वास्थ्य मंत्री), चंपई सोरेन (परिवहन मंत्री), जोबा मांझी (समाज कल्याण मंत्री) और सत्यानंद भोक्ता ( श्रम मंत्री) भी दसवीं पास है। इन्हें भी प्रेरणा मिलेगी।

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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