प्रवासी मजदूरों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार..

प्रवासी मजदूरों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार..

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह राज्य का दायित्व है कि वे उन प्रवासी श्रमिकों की पहचान करें, जो घर जाना चाहते हैं।

मुंबई प्रवासी मजदूरों से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई है.कोर्ट ने राज्य सरकार के हलफनामे पर भी सवाल उठाए हैं. अदालत ने कहा कि महाराष्ट्र के दृष्टिकोण को स्वीकार नहीं किया जा सकता है कि सभी प्रवासियों को सुविधा प्रदान की जा रही है। अदालत ने कहा कि यह राज्य का दायित्व है कि वे उन प्रवासी श्रमिकों की पहचान करें, जो घर जाना चाहते हैं। इसके साथ ही एससी ने कहा कि वह राज्य के रुख की सराहना नहीं करता है कि उसे प्रवासी कामगारों से निपटने में किसी कमी की कोई जानकारी नहीं है और उनमें से किसी को भी घर भेजने के लिए नहीं छोड़ा नहीं गया है. कोर्ट ने कहा कि राज्य ये नहीं कह सकता कि उसके यहां सब ठीक है और सभी प्रवासियों को खाना व सुविधाएं मिल रही हैं. आपने इस मामले को प्रतिकूल याचिका के तौर पर लिया है. अदालत ने कहा कि राज्य पता लगाए कि प्रवासियों को क्या समस्या है. अदालत ने अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने को कहा. मामले की अगली सुनवाई 17 जुलाई को होगी।

महाराष्ट्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, अब प्रवासियों की रोजगार के लिए शहरों में लौटने की इच्छा है.महाराष्ट्र में जो प्रवासी पहले छोड़ना चाहते थे, उन्होंने अब वापस रहने का फैसला किया है क्योंकि राज्य ने रोजगार के अवसर खोले हैं। 1 मई से, लगभग 3,50,000 कामगार फिर से काम करने के लिए वापस आए। बिहार की ओर से रंजीत कुमार ने कहा, बिहार में रिवर्स माइग्रेशन हो रहा है। प्रवासियों को वापस जाना है। बिहार से शहर जाने वाली रेलगाड़ियां भरी हुई हैं। अदालत ने 9 जून को प्रवासी मजदूरों को भेजे जाने, रजिस्ट्रेशन, और उनके रोजगार की व्यवस्था जैसे बिंदुओं पर केंद्र व राज्यों के लिए दिशा निर्देश जारी किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से प्रवासियों के कल्याण के लिए योजना मांगी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रवासियों को 15 दिनों में वापस भेजा जाए, इसके साथ ही प्रवासियों को नौकरी देने के लिए एक स्कीम तैयार हो। रोजगार प्रदान करने के लिए डेटा की जांच हो। साथ ही प्रवासियों की पहचान के लिए योजना निर्धारित हो। प्रवासियों की स्किल मैपिग हो ताकि तय करना आसान हो कि उन्हें कुशल या अकुशल कौन सा कार्य सौंपा जाए। प्रवासियों के खिलाफ सभी शिकायतों व मुकदमों को को वापस लेने पर विचार हो. जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने आदेश सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र/राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से प्रवासी श्रमिकों की पहचान करने के लिए कहा जो अपने कार्यस्थल से घर जाना चाहते हैं और उनकी यात्रा की व्यवस्था करने को कहा.सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सभी शेष प्रवासी श्रमिकों के परिवहन की प्रक्रिया 15 दिनों में पूरी होनी चाहिए।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सभी प्रवासी श्रमिकों को पंजीकरण के माध्यम से पहचाना जाएगा.श् केंद्र और राज्य प्रवासियों को रोजगार देने के लिए योजनाएं प्रस्तुत करें. सभी राज्य सरकारें अपनी स्कीम कोर्ट को दें, जिसमें इस बात का जिक्र हो कि प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के लिये उनके पास क्या योजना है। रोजगार की योजना तैयार हो. स्किल मैपिंग हो। कोर्ट ने कहा कि राज्य और केंद्रशासित प्रदेश उन प्रवासी श्रमिकों की पूरी सूची तैयार करेंगे जो अपने राज्य में पहुंच चुके हैं। वे उस काम का उल्लेख करेंगे जो वो तालाबंदी से पहले कर रहे थे। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से इन प्रवासी श्रमिकों के लिए तालाबंदी के बाद की योजनाओं को बताने को कहा. आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, श्श्पलायन करने का मन बना चुके प्रवासी श्रमिकों को आज से 15 दिनों के अंदर अपने गांव या जहां वो जाना चाहें, भेजने का समुचित इंतजाम सुनिश्चित किया जाय। राज्य श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर रोजगार देने की स्कीम तैयार करें. इसके लिए पलायन कर गए सभी श्रमिकों की पहचान कर पूरी विस्तृत जानकारी वाला डाटा तैयार किया जाए. फिर उनको समुचित रोजगार देने की स्किम बनाई जाए।

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