भारत में हर तीसरे व्यस्क को है हाइपरटेंशन : डॉ सत्यम राजवंशी

भारत में हर तीसरे व्यस्क को है हाइपरटेंशन : डॉ सत्यम राजवंशी

मुजफ्फरनगर भारत की व्यस्क आबादी में हर तीसरा व्यक्ति हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित है । 41 से 75 वर्ष आयु वर्ग में तो हर दूसरा व्यक्ति हाइपरटेंशन का शिकार हैं। स्त्री-पुरुष दोनों में ही इस खतरे की आशंका लगभग बराबर है।

इनमें से केवल एक तिहाई लोगों को ही अपनी बीमारी का ज्ञान है । दुर्भाग्य यह है की इस बीमारी के बारे में पता होने के बाद भी केवल एक तिहाई लोग ही इसका इलाज़ कराते हैं । विश्व में ह्रदय रोगों के बढ़ते प्रकोप के लिए हाई बीपी या उच्च रक्तचाप एक मुख्य कारण है।

विश्व हाइपरटेंशन दिवस क्या है?

हाई बीपी (ब्लड प्रेशर) या उच्च रक्तचाप को चिकित्सक हाइपरटेंशन कहते हैं।

हर वर्ष "वर्ल्ड हाइपरटेंशन लीग" इस बीमारी की जागरूकता बढ़ाने के लिए 17 मई को विश्व हाइपरटेंशन दिवस मनाती है । कोविड महामारी के चलते वर्ष 2020 में यह दिवस 17 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस साल का सन्देश है - "नो योर नंबर्स, मेज़र ब्लड प्रेशर एक्यूरेटली" यानी सही माप करके अपने ब्लड प्रेशर को जानें ।

क्यों बढ़ता जा रहा है ब्लड प्रेशर ?

आधुनिक जीवनशैली में शारीरिक व्यायाम का अभाव, बढ़ता दिमागी तनाव, धूम्रपान व तम्बाकू शराब आदि का नशा, खाने में अत्यधिक वसा, नमक, मीठा तथा ताज़े फल और सब्ज़ियों का अभाव - ये सब बढ़ते ब्लड प्रेशर के मुख्य कारण हैं। हाई बीपी के साथ बढ़ते मोटापे, शुगर और कोलेस्ट्रॉल के मेल से ही युवा वर्ग में भी ह्रदय रोग तेज़ी से बढ़ते जा रहे हैं।

समस्या एक, बीमारी अनेक

हमारे शरीर की धमनियों में ब्लड का प्रेशर बढ़ने से सभी अंगों पर दुष्प्रभाव पड़ता है इसीलिए हाइपरटेंशन को "साइलेंट किलर" भी कहा जाता है।

हार्ट फेलियर / हार्ट अटैक - दिल की मासपेशियां पर अतिरिक्त दबाव पड़ने से और नसें संकुचित होने से दिल फ़ैल जाता है और हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है।

ब्रेन स्ट्रोक या हैमरेज - दिमाग में अत्यधिक बीपी से नसों के फट जाने या खून जमने से जानलेवा लकवा हो सकता है।

नेफ्रोपैथी - गुर्दों की नसों में क्षति के कारण गुर्दों का फ़ैल होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

रेटिनोपैथी - आँख के परदे की नसों के संकुचित होने से धीरे धीरे दृष्टि कम हो जाती है और नस फटने से अंधापन आ सकता है।

पुरुषों में नपुंसकता - लिंग की धमनियों में अत्यधिक बीपी से क्षति पहुंचने के कारण पुरुषों में नपुंसकता बढ़ रही है।

140/90 के ऊपर हर 10 एमएम बीपी बढ़ने से हार्ट अटैक / दिल के फैलने / लकवा होने / गुर्दे खराब होने का खतरा 40 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।

कैसे करें बचाव ?

जीवनशैली में ये 5 मूल बदलाव इस रोग की चपेट में आने से हमारी रक्षा करते हैं -

1. प्रतिदिन 45 मिनट का व्यायाम और योग साधना - हर रोज़ कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें और 15 मिनट प्राणायाम और सूर्य नमश्कार की क्रिया करें। अपने वज़न को हर हफ्ते एक बार नोट करें और उससे बढ़ने न दें।

2. संतुलित आहार - अत्यधिक नमक, मीठा, घी, तेल, वसा युक्त भोजन, फ़ास्ट फ़ूड, मांसाहारी व डब्बा बंद भोजन की आदत को छोड़ें. इसके विकल्प में ज़्यादा से ज़्यादा ताज़े फल, सलाद, हरी सब्ज़ी, बादाम व अखरोट का सेवन करें। गेंहू में चने का आटा मिला कर मिस्सी रोटी खाएं। खाना पकाने के लिए न्यूनतम मात्रा में सरसों के तेल का प्रयोग करें।

3. धूम्रपान, तम्बाकू, शराब, और नशा हो बंद - धूम्रपान और अन्य सभी तंबाकू युक्त चीज़ों का सेवन, शराब और अन्य नशीले पदार्थों का प्रयोग बंद करें. कम उम्र में पड़ने वाले 70 प्रतिशत हार्ट अटैक के लिए ये सभी ज़िम्मेदार है।

4. दिमागी तनाव से छुटकारा - जीवन में अत्यधिक भाग दौड़ और प्रतिस्पर्धा से बचें। अपनी ज़रूरतों को कम करके संतोष रखें तथा अपने जीवन साथी, परिवारजन, और मित्रों के साथ समय बिताएं।

5. स्वास्थ की नियमित जांच - 18 साल की उम्र के बाद चिकित्सकी सलाह के अनुसार नियमित रूप से ब्लड प्रेशर और स्वास्थ की जांच कराएं। अपने ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल, और वज़न को बढ़ने न दें।

इन 5 मन्त्रों को अपने जीवन में धारण करने से हम एक निरोगी जीवन का आनंद ले सकते हैं.

रहे स्वस्थ व सुरक्षित

डॉ सत्यम राजवंशी

(डी. एम्. कार्डियोलॉजी)

ह्रदय रोग विशेषज्ञ

राजवंश हॉस्पिटल

मुज़फ्फरनगर

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