पाकिस्तान पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की राय

पाकिस्तान पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की राय
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पाकिस्तान के व्यवहार को देखकर यही लगता है कि वह भारत के प्रति दुश्मनी का स्थायी भाव दूर नहीं कर पा रहा है। पानी में भी जोंक की तरह वह टेढ़ा होकर चलता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत गत दिनों असम की राजधानी गुवाहाटी में पूर्वोत्तर राज्यों के महासम्मेलन में संबोधित कर रहे थे। पूर्वोत्तर राज्यों में भी संघ ने अपना मजबूत आधार बना लिया है। भाजपा के इंद्रेश कुमार, अरुण सिंह जैसे नेता इन राज्यों में दबे-कुचलों का पक्ष दृढ़ता के साथ उठाते हैं। इन राज्यों में संघ की ताकत काफी बढ़ गयी है और गुवाहाटी के सम्मेलन में 30-35 हजार संघ कार्यकर्ता मौजूद थे। इसी सम्मेलन में संघ प्रमुख ने पाकिस्तान को लेकर अपने विचार व्यक्त किये और कहा कि देश के विभाजन को भारत भूल गया है लेकिन पाकिस्तान नहीं भूला है। उनका तात्पर्य था कि उस कटुता को भी भारत ने इसलिए भुला दिया क्योंकि इतिहास को पलटा नहीं जा सकता, जो हो चुका है, उसे भूल जाने में ही भलाई है लेकिन पाकिस्तान अपनी जनता को यह बात भूलने नहीं देता। इसी के चलते उसके मन में कटुता भरी हुई है।
इसके साथ ही भागवत ने भारत की जनता की महानता का भी उल्लेख किया। संघ कार्यकर्ताओं को बताया कि आरएसएस की ताकत दिखाने या किसी को डराने की नहीं है। संघ हर किसी की भलाई व समाज को मजबूत करने के लिए है। उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व की महानता इस बात पर निर्भर है उसमें किसी के प्रति कटुता नहीं रहती। हिन्दुत्व सभी विविधताओं को स्वीकार कर लेता है। भारत में विभिन्न धर्मावलम्बी आपस में मिलजुलकर रहते हैं, एक साथ पर्व-त्योहार मनाते हैं। भागवत ने इस बात के माध्यम से कई संदेश दिये हैं। पहला संदेश यही है कि पाकिस्तान की पैरोकारी करने वाले इस बात को समझें कि मोदी की सरकार पाकिस्तान से बातचीत से क्यों परहेज कर रही है। सुरक्षा सलाहकार स्तर की वार्ता रद्द करनी पड़ी है क्योंकि पाकिस्तान की नीयत साफ नहीं है। किसी का इरादा ही गलत है तो उससे बात करने का क्या नतीजा। पाकिस्तान किसी सही बात को नहीं मानता है। उसके यहां आतंकवादी पनाह पाते हैं। मुंबई हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद को उसके प्रधानमंत्री सम्मानजनक शब्दों से पुकारते हैं। उसे हाफिज साहब कहते हैं। अमेरिका ने इसके लिए भी पाकिस्तान को लताड़ लगायी है। अमेरिका ने पाकिस्तान से मुंबई आतंकी हमले के मास्टर माइंड हाफिज मोहम्मद सईद के खिलाफ कानून के अधिकतम दायरे तक मुकदमा चलाने को कहा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नौअर्ट ने एक वक्तव्य जारी कर कहा कि हम हाफिज सईद को आतंकवादी मानते हैं जो विदेशी आतंकवादी संगठन का एक हिस्सा है। उन्होंने कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि 2008 के मुंबई हमलों में जिनमे अमेरिकी लोगों के साथ कई लोग मारे गये थे, वह उस हमले का मास्टर माइंड था।
इस प्रकार अमेरिका साफ-साफ कह रहा है कि हाफिज सईद आतंकवादी है लेकिन भारत के कहने पर वह हाफिज को भारत नहीं भेज रहा है। इसका मतलब कि भारत के प्रति उसका अविश्वास है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इंसानियत के नाते पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जन्मदिन पर बधाई देने लाहौर तक चले जाते हें। इससे पूर्व प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी बाजपेयी ने लाहौर तक बस यात्रा की थी ताकि दोनों देशों के बीच पुरानी कटुता को भुलाकर सौहार्दपूर्ण संबंध बनाये जा सकें लेकिन पाकिस्तान के मन मंे शत्रुता का स्थायी भाव भरा है और उसने अटल बिहारी बाजपेयी की दोस्ती की भावना को नहीं समझा। इसके विपरीत आचरण करते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने भारत को धोखे में रखकर कारगिल की पहाड़ियों पर अपने सैनिक भेज दिये। पाकिस्तान ने नाटक किया कि कारगिल में उसके सैनिक नहीं बल्कि अफगानी तालिबानी थे। उसने नीचता की हद तो तब कर दी जब भारत की बहादुर सेना ने दुर्गम कारगिल की पहाड़ियों के नीचे से ऊपर बैठे शत्रु के सैनिकों को मार गिराया, तब उसने अपने ही सैनिकों के शव लेने से मना कर दिया था।
देश के विभाजन के समय पाकिस्तान ने हर तरह से अपनी मनमानी कर ली। ब्रिटिश हुकूमत ने देश का बंटवारा करते हुए भारत के दो तरफ पाकिस्तान को बसा दिया था। शासन चलाने के लिए पाकिस्तान को काफी पैसा भी दिया गया था। इसके बावजूद पाकिस्तान ने कबायलियों से हमला करवा दिया और कश्मीर को हड़प जाना चाहता था। उस समय कश्मीर स्वतंत्र था और महाराज हरि सिंह ने अपने राज्य का विलय भारत में किया तो तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल ने कबालियों को मार भगाया। पाकिस्तान ने कश्मीर के एक छोटे से हिस्से पर कब्जा कर रखा है जो मूल रूप से उसी कश्मीर का भाग है जो भारत का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। भारत दिन पर दिन प्रगति करता जा रहा है और पाकिस्तान कर्ज में डूबा हुआ है। उसको अमेरिका से आतंकवाद उन्मूलन के नाम पर अरबों रुपये मिलते थे, इस सहायता को अमेरिका ने रोक दिया तो पाकिस्तान तिलमिला गया है और भारत की सीमा पर गोलीबारी करता रहता है।
जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी अब तक पाकिस्तान की वकालत करती रही है लेकिन पाकिस्तान की हरकतों से वे भी तंग आ गयीं। गत दिनों महबूबा मुफ्ती ने कहा कि खुदा के वास्ते जम्मू-कश्मीर को जंग का अखाड़ा न बनाएं। उन्होंने जम्मू संभाग के सीमांत इलाकों में पाक सैनिकों द्वारा की जा रही अचानक गोली-बारी पर चिंता जतायी। मुख्यमंत्री महबूबा ने यह चिंता उस समय जतायी है जब उत्तरी कश्मीर के जिला वारामूला में सीमा (एलओसी) से सटे उड़ी सेक्टर के अंतर्गत शीरी स्थित पुलिस ट्रेनिंग सेन्टर में पुलिस के 473 ट्रेनी रक्षकों के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थी। पुंछ में पाकिस्तान के सैनिक लगातार गोलियां चला रहे हैं। वहां के नागरिकों को सुरक्षा कैम्पों में पहुंचाया गया है। इससे पहले महबूबा मुफ्ती कहती थीं कि कश्मीर में शांति के लिए वार्ता में पाकिस्तान को भी शामिल करना चाहिए लेकिन अब उनका इरादा बदल गया है।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने यही आशय जताया है कि जो लोग आरोप लगाते हैं अथवा वकालत करते हैं कि पाकिस्तान से वार्ता करके शांति क्यों नहीं स्थापित की जाती, उन्हें यथार्थता को देखना चाहिए और वह सच्चाई यही है कि हम तो सन् 1947 के दर्द को भी भूल कर पाकिस्तान को एक अच्छे पड़ोसी के रूप में देखना चाहते हैं बल्कि भारत अपने बड़प्पन का ध्यान रखकर पाकिस्तान को छोटे भाई की तरह स्नेह देना चाहता है लेकिन यह छोटा भाई तो अपने हाथों में खंजर लिये हुए है। उसकी राजनीति ही भारत विरोध पर चल रही है तो उसके साथ मैत्री संबंध कैसे स्थापित हो सकते हैं। संघ प्रमुख की यह बात नरेन्द्र मोदी की सरकार समझ रही है और उसने पाकिस्तान से साफ-साफ कह दिया कि जब तक सीमा पार गोलियां चलती रहेंगी तब तक कोई वार्ता नहीं होगी। श्री भागवत की इस बात को कुछ विपक्षी नेता भी समझ लें तो अच्छा होगा।

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