उत्तर प्रदेश के लिए जरूरी है एसएसपी अनन्त देव का एस-7, एस-10 माॅडल

उत्तर प्रदेश के लिए जरूरी है एसएसपी अनन्त देव  का एस-7, एस-10 माॅडल

मुजफ्फरनगर : मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश में सियासी निजाम बदलने के बाद जनवरी तक दस माह के सीएम योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में पुलिस के बुलन्द इकबाल को लेकर चर्चा हो रही थी, लेकिन कासगंज बवाल ने फिर से सरकार को चुनौती पेश की है। यूपी में छोटे-छोटे विवाद भी साम्प्रदायिक हिंसा का कारण बन रहे है, लेकिन इसी प्रदेश में कुछ अफसर ऐसे भी हैं, जो अपनी सूझबूझ और कार्यकुशलता से बड़े से बड़े विवाद का अल्पीकरण कराकर शांति बहाल रखने में कामयाब हैं। इनमें आईपीएस अनन्त देव भी शामिल हैं। उनका एस-7 और एस-10 फार्मूला लगातार सफल हो रहा है।

बुलन्दशहर के बाद मुजफ्फरनगर जैसे संवेदनशील जनपद में अनन्त देव का ये माॅडल अप्रत्याशित रूप से सफल रहा है। बता दें कि आईएएस और आईपीएस अफसरों में कई चेहरे ऐसे भी हैं, जिनका काम देश और प्रदेशों में एक नजीर बन गया। इन अफसरों के काम को सरकारों ने समय-समय पर एक माॅडल योजना के रूप में अपनाकर उसको पूरी तरह से लागू कराने का काम किया। यूपी में आईएएस अफसर निखिल चन्द्र शुक्ला का भूमि विवाद निस्तारण को लेकर 'श्रावस्ती माॅडल' आज योगी सरकार ने अपनाकर इसी के आधार पर सूबे के विवादों के निस्तारण की व्यवस्था पर जोर दिया। ऐसे ही कई अफसरों के काम को पहचान मिली, इस कड़ी में आईपीएस अफसर और मुजफ्फरनगर के एसएसपी अनन्त देव का साम्प्रदायिक सौहार्द्र बढ़ाने और गांव का झगड़ा गांव में निपटाने के फार्मूले पर कार्य कर रहा 'एस-7 व एस-10' माॅडल सराहनीय प्रयास हैं।

29 मई 2017 को मुजफ्फरनगर में एसएसपी पद पर कार्यभार ग्रहण करने से पूर्व अनन्त देव ने बुलन्दशहर में तैनाती के दौरान एस-7, एस-10 माॅडल को लागू किया। यहां उनका यह प्रयोग शत प्रतिशत सफल रहा। जब वो मुजफ्फरनगर आये तो आते ही उनके सामने साम्प्रदायिक विवादों की घटनाओं ने एक चुनौती पेश की। उनके द्वारा सर्वप्रथम 20 थानों में क्षेत्रीय लोगों की मीटिंग की। उनको गांव के आपसी विवाद और झगड़े गांव तक ही सीमित कर आपसी समझौते से निपटाने के लिए प्रेरित किया। इन विवादों को सुलझाने को 'कम्युनिटिंग पुलिसिंग' के तहत गांव में ग्राम प्रधान पद पर चुनाव लड़ने वाले तथा जिम्मेदार सात लोगों की कमेटी बनाकर एस-7 का गठन कर पुलिस मित्र का नाम दिया गया। इनको पहचान पत्र निर्गत किये। थाना व चैकियांे में इन पुलिस मित्रों को सम्मान मिला तो गांवों में संघर्ष और झगड़े आपसी समझदारी से निपटने लगे। एसएसपी अनन्त देव का दूसरा फार्मूला एस-10 बड़ी उपलब्धि वाला रहा। ये फार्मूला गांवों व शहरों में साम्प्रदायिक विवादों को निपटाने में कारगर हथियार साबित हो रहा है। एस-10 में मिश्रित आबादी वाले गांवों व क्षेत्रों में 5 हिन्दू और 5 मुस्लिम समाज के सम्भ्रांत व्यक्तियों की कमेटी बनाकर इसका गठन किया गया।
एसएसपी अनन्त देव कहते हैं कि प्रधानी में जीते-हारे लोगों को एक साथ लाकर गांव की जिम्मेदारी देने से पुलिस को छोटे-छोटे विवादों के सिरदर्द से छुटकारा मिलने के साथ ही गांव में रंजिश का दौर भी कम हो रहा है। छोटी मोदी समस्या या विवाद का समाधान गांव में होगा तो थानों और चौकियो दलाली कम होगी। मामले सुलझने से वैमनस्यता घटती है। एसएसपी अनन्त कहते हैं, ''..गांवों में दबिश के दौरान पुलिस एस-7, एस-10 को साथ रख रही है, पुलिस का विरोध भी कम हो रहा है।
कासगंज में 26 जनवरी को एक छोटी सी झड़प योगी सरकार में पहली साम्प्रदायिक हिंसा को जन्म देने वाली साबित हो गई, कई अफसर इसकी बलि चढ़े, ऐसे में अनन्त देव का एस-7 व एस-10 फार्मूला न सिर्फ कारगर साबित हो रहा है, गांवों में अदावत कमजोर पड़ रही है। भाजपा के सत्ता में आते ही यूपी में कानून व्यवस्था को संभाल पाना बड़ी चुनौती बन गया, सहारनपुर में जिस प्रकार ठाकुर वर्सेस दलित हुआ, सरकार सांसत में आ गई थी। जबकि मुजफ्फरनगर में नसीरपुर बवाल, शेरपुर विवाद और खालापार प्रकरण को जिस कार्यकुशलता से अनन्त ने अपने माॅडल के आधार पर निपटाया, उसने इस अफसर की काबिलियत को साबित किया। शुक्रताल से ककरौली के श्रद्धालुओं की ट्रैक्टर-ट्राली वापस लौट रही थी, रमजान था। एक लड़का तरावीह पढ़कर लौट रहा था, एक्सीडेंट हो जो पर साम्प्रदायिक विवाद पैदा हो गया, एस-7, एस-10 पुलिस मित्रों की मदद से मामला सुलझा। पिछले दिनों सहारनपुर बवाल की तर्ज पर ही पुरकाजी क्षेत्र के कैल्लनपुर में दलित वर्सेस गुर्जर हुआ तो एस-7, एस-10 के सहारे एसएसपी अनन्त देव ने दोनों समाजों के बीच पैदा हुई अदावत को न सिर्फ खत्म कराया, बल्कि गांव में भाईचारा भी कायम किया। मीरापुर थाना क्षेत्र के संभलहेडा गांव में छेड़छाड़ की घटना ने साम्प्रदायिक रूप से तूल पकड़ा, वहीं इससे पहले बरला मन्दिर में मांस का टुकड़ा मिलने पर तनाव बढ़ा तो पुलिस कप्तान अनन्त के पुलिस मित्र आगे आये और खाकी के साथ मिलकर अमन बनाने का काम किया।
रामराज के पुट्ठी इब्राहिमपुर में जयसिंह पुत्र तेजराम ने गांव के ही आशु पुत्र रियाजू के खिलाफ मारपीट करने व घर में घुसकर महिला से अभद्रता के आरोप में मुकदमा अ0सं0 131/017 दर्ज कराया। पुलिस को इस प्रकरण में सांप्रदायिक तनाव होने की आशंका सताने लगी थी, इसे सामुदायिक पुलिसिंग के माध्यम से निपटाया गया। सिखेडा थाना में ऐसा ही सांप्रदायिक विवाद गांव खेडीविरान में 10 अगस्त को जावेद पुत्र हसीमुदीन का अंकित पुत्र बिजा व राहुल पुत्र जितेन्द्र के साथ हो जाने पर तनाव कायम हुआ। दारू पीकर जावेद के साथ गाली गलौच ने माहौल बिगाड़ दिया। नदीम अब्बास पुत्र मौ. काजम बहादरपुर का गांव के ही विकास उर्फ काला के साथ कहासुनी बड़े झगड़े में बदल गयी, दो अलग समुदाय के पक्ष होने पर यहां भी तनाव बना, लेकिन सांप्रदायिक तनाव वाले ये गंभीर मामले भी पुलिस मित्रों ने अपने दायित्व निभाकर सुलझवा दिये। मीरापुर नमक मंडी में दो भाईयों आजाद व शाहबुदीन के बीच मारपीट, किथौडा में शाहिदा पत्नी अरशद का दो भाईयों अरशद व अमजद के साथ कहासुनी व मारपीट का विवाद, मंसूरपुर क्षेत्र में अल्ताफ पुत्र मेहराजुदीन निवासी सराय रसूलपुर का अपने ही गांव के रजनीश पुत्र सुरेन्द्र के साथ झगड़ा और शौकत पुत्र असरा गांव पुरबालियान का गांव में ही मोनू पुत्र सहनेन्द्र के साथ हुआ विवाद का समझौता अहम रहा।
उल्लेखनीय है कि पुलिसिंग में शांति कमेटी एक अंग के रूप में काम करती रही हैं, बड़े शहरों में सिविल डिफेंस कमेटियों होती हैं, इनमें बड़े लोग शामिल होते हैं, तो शांति समितियों में वो लोग रहे, जो गांवों से अलग थलग रहते थे। इनका लाभ किसी भी घटना में पुलिस को नहीं मिल पाता था। एसपीओ बनाने की कवायद भी चली, ये सफल नहीं हो सके। इसके बाद आईपीएस अनन्त देव ने गांव के ही लोगों को पुलिस से जोड़कर कम्युनिटिंग पुलिसिंग लागू की। अनन्त का यही फार्मूला 'श्रावस्ती माॅडल' के रूप में सरकार अंगीकार कर लागू करे तो कवाल के बाद मुजफ्फरनगर दंगा और शहीद अब्दुल हमीद चैक विवाद के बाद कासगंज हिंसा जैसी चुनौतियों को रोका जा सकता है। आज यूपी के साथ ही देशभर में असहिष्णुता का जो दौर है, उसमें आपसी भाईचारा, अमन और भारत की अनेकता में एकता की संस्कृति को कायम रखने में आईपीएस अनन्त देव का ये एस-7, एस-10 माॅडल न सिर्फ कारगर साबित हो सकता है। कहा जाये तो यूपी को पुलिसिंग की नहीं, बल्कि अनन्त देव के माॅडल पर 'पुलिस मित्रों की ज्यादा आवश्कता है।

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