त्रिपुरा में भाजपा ने ढहाया 25 साल पुराना लेफ्ट का गढ़, अब नजर कर्नाटक व बंगाल पर लगी

त्रिपुरा में भाजपा ने ढहाया 25 साल पुराना लेफ्ट का गढ़, अब नजर कर्नाटक व बंगाल पर लगीत्रिपुरा मैं प्रचंड बहुमत मिलने पर कार्यकर्ताओं के बीच भाजपा नेता विप्लव और राम माधव

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में इस बार कम्युनिस्ट पार्टी आॅफ इंडिया (मार्क्सवादी) के 25 साल पुराने किले को ढहाते हुए शून्य से शिखर तक का ऐतिहासिक सफर तय कर इतिहास रच दिया। भाजपा ने पहली बार भारत के किसी पूवोत्तर राज्य में प्रचंड जीत की दस्तक देने का काम किया, त्रिपुरा के साथ नगालैंड में भाजपा गठबंधन ने जीत हासिल की। त्रिपुरा में सीएम माणिक सरकार की सीट पर नतीजा घोषित नहीं हुआ है, लेकिन यहां भाजपा की जीत सुनिश्चित हो गई है। पिछले चुनाव में भाजपा को त्रिपुरा में एक भी सीट हासिल नहीं हुई थी, वहीं इस बार पार्टी ने 43 सीटों पर जीत हासिल कर ली है। ढाई दशक से सत्ता में काबिज सीपीएम को महज 15 सीटों पर जीत मिली है। भाजपा को पिछले चुनाव में 1.5 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन इस चुनाव में आये जनादेश ने भाजपा की झोली में 42 प्रतिशत वोट भर दिये। त्रिपुरा में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिल पाई।
त्रिपुरा में भाजपा के लिए ये नतीजे ऐतिहासिक हैं। इस जीत ने कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में भी भाजपा के लिए रास्ते खोल दिए हैं। माकपा की तेजी से घटती लोकप्रियता के चलते भाजपा पश्चिम बंगाल में एक मजबूत विपक्ष के रूप में उभर रही हैं। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह त्रिपुरा जीत के बाद ये दावा करते नजर आये कि अब हम कर्नाटक के साथ पश्चिम बंगाल भी जीतेंगे। हालांकि ममता बनर्जी के विकल्प के तौर पर अपनी जगह बनाने के लिए पार्टी को अभी और अधिक मेहनत करने की आवश्यकता है। त्रिपुरा में मिले जनादेश से पश्चिम बंगाल और समीपवर्ती उड़ीसा के भाजपा कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास बढ़ा है। नार्थ ईस्ट में भाजपा के इस शानदार प्रदर्शन के कर्णधार माने जा रहे हैं हिमंत बिस्व सरमा ने इस प्रदर्शन का सेहरा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह पर बांधा है। उन्होंने कहा कि अमित शाह के फैसलों ने उनकी काफी मदद की। पार्टी के कई लोग यहां गठबंधन करना नहीं चाहते थे, उनका कहना था कि आईपीएफटी के साथ गठबंधन करना हमारे लिए आत्मघाती हो सकता है, लेकिन अमित शाह ने इसका समर्थन किया। उन्हें यकीन था कि इससे हमें अच्छे नतीजे मिलेंगे। वहीं पूर्वोत्तर के इन चुनावी रुझानों पर भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा हिंदुत्ववादी पार्टी को मिल रही ये जीत बताती है कि लोग भारत के साथ मिलना चाहते हैं। सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि त्रिपुरा में जीरो से सरकार बनाना एक नया इतिहास रचने जैसा होगा। हिंदुत्ववादी पार्टी को मिल रही ये जीत बताती है कि लोग भारत के साथ मिलना चाहते हैं। वह अपने आपको इंडियन कहना पसंद करते हैं। ये राष्ट्रीय एकता के लिए बहुत मायने रखता है।
पीएम मोदी ने बताया-हमने कैसे ढहाया पूर्वोंत्तर में 'रेड फोर्ट'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय से आए सकारात्मक चुनाव नतीजों का श्रेय भाजपा के कार्यकर्ताओं को दिया है। शनिवार को पार्टी मुख्यालय में संबोधन के दौरान वह उन पार्टी कार्यकर्ताओं को यादकर भावुक हो गए, जिन्होंने राजनीतिक हमलों में अपनी जान गंवा दी। कांग्रेस और लेफ्ट पर हमला बोलते हुए मोदी ने मारे गए कार्यकर्ताओं को शहीद कहा और उनकी याद में 2 मिनट का मौन रखा। इस दौरान सभी कार्यकर्ता खड़े होकर मौन रहे। उन्होंने कहा कि हमारे कार्यकर्ताओं के खून की एक भी बूंद बेकार नहीं जाएगी। 2014 से मैं देख रहा हूं कि लोकतंत्र की बात करने वाले पराजय को बड़े दिल के साथ स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। पीएम ने कहा कि सूरज जब ढलता है तो लाल रंग का होता है और सूर्योदय होता है तो केसरिया रंग का होता है। कल होली पर देश अनेक रंगों में रंगा हुआ था और आज सारे रंग केसरिया में रंग गए। मोदी ने कहा कि मैंने सुना है कि वास्तु शास्त्र वाले लोग कहते हैं इमारत में नॉर्थ ईस्ट का कोना सबसे महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में सारा फोकस इस बात पर रहता है कि नॉर्थ ईस्ट ठीक हो जाए तो इमारत ठीक होती है। पीएम ने कहा कि 2014 में सरकार बनने के फौरन बाद ही दिल्ली में नॉर्थ ईस्ट के छात्रों पर हमले की घटनाओं को गंभीरता से लिया गया। उन्होंने बताया कि पिछले 70 वर्षों में जितने मंत्री नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र में नहीं गए उतने हमने इन 4 वर्षों में भेजे। हर 15 दिन में एक मंत्री नॉर्थ ईस्ट पहुंचा। आज मंत्रालय खुद नॉर्थ ईस्ट पहुंचता है। विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि त्रिपुरा की जनता ने बता दिया कि यह वेन्डेट नहीं मैन्डेट है। दरअसल विपक्ष कथित राजनीतिक हमलों के बाद की सरकार की कार्रवाई पर प्रतिशोध की राजनीति का आरोप लगाता रहा है।
तीन राज्यों में किस दल को मिली कितनी सीट...
त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन को 43 सीटें मिली। वहीं कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) ने 16 सीटें जीती हैं। बता दें कि त्रिपुरा में कुल 59 विधानसभा सीटें हैं। राज्य की राजधानी अगरतला में भाजपा को बहुमत मिलने पर पार्टी के कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल है। कांग्रेस को इस राज्य में एक भी सीट हासिल नहीं हो सकी है। मेघालय में कांग्रेस 21 सीटों पर, भारतीय जनता पार्टी 2 सीट पर, हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी 2, नेशनल पीपुल्स पार्टी ने 19 सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी 6 सीटों पर और पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट 4 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है। इसके अलावा 11 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। यहां कांग्रेस के उम्मीदवार और सीएम मुकुल संगमा ने अम्पति और सॉन्गसाक सीटें जीत दर्ज की है। नगालैंड में भाजपा 10 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी। नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) 25 सीटों पर जीत चुकी है और 2 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। वहीं नेशनल पीपुल्स पार्टी 1 सीट पर, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी 15 सीटें जीत चुकी है और 1 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। इसके अलावा 1 निर्दलीय उम्मीदवार भी जीत दर्ज कर चुका है। कांग्रेस को यहां पर भी कोई सीट नहीं मिल सकी।
तीन चुनावों से दूर रही भाजपा, पहले चुनाव में मिले थे 578 वोट
त्रिपुरा विधानसभा चुनाव 2018 में भारतीय जनता पार्टी ने 25 साल बाद लेफ्ट के गढ़ को हिला दिया है। भाजपा करीब दो तिहाई बहुमत से प्रदेश में सरकार बनाने जा रही है। खास बात ये है कि इससे पहले आजतक भाजपा ने एक भी सीट नहीं जीती थी और इस बार सीधे बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है। आइए जानते हैं भाजपा का त्रिपुरा में क्या इतिहास रहा है और किस तरह पार्टी ने इतिहास रचा है। त्रिपुरा के गठन के बाद से बात करें तो भाजपा ने त्रिपुरा में हुए पहले तीन चुनावों साल 1967, 1972, 1977 में भाग नहीं लिया था। उसके बाद 1983 में भाजपा ने 4 सीटों पर चुनाव लड़ा और इस साल भाजपा को महज 578 वोट मिले, जो कि कुल वोटिंग का 0.06 फीसदी हिस्सा था।

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