तकनीकी का प्रयोग दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाने में किया जाए : डा0 दिनेश शर्मा

तकनीकी का प्रयोग दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाने में किया जाए :  डा0 दिनेश शर्मा

लखनऊ: तकनीकी का प्रयोग इस प्रकार किया जाए कि विकलांगता के प्रभाव को कम किया जा सके तथा दिव्यांगजनों को और अधिक आत्मनिर्भर बनाया जा सके, जिससे वे देश एवं समाज के विकास तथा उन्नयन में अपना अधिकतम योगदान दे सकें। यह विचार प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा ने आज यहां राजधानी के सांइटिफिक कनेवंशन सेन्टर में आर्थोटिक्स एवं प्रोस्थैटिक्स एसोसियशन आॅफ इण्डिया द्वारा आयोजित तीन दिवसीय (27 से 29 जनवरी तक ) 24वें राष्ट्रीय सम्मेलन में दिया।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा दिव्यांगजनों के लिए दिव्यांगता पेंशन, ट्राई साइकिल एवं कृत्रिम अंगों के साथ-साथ अन्य आवश्यक उपकरणों का वितरण प्राथमिकता के आधार पर कराया जा रहा है, साथ ही उनके रोजगार सृजन हेतु, उनकी छात्रवृत्ति, उनके रहन-सहन की व्यवस्था और कृषि क्षेत्र में लगे हुए दिव्यांगजनों के लिए सस्ते दामों या निःशुल्क उपकरण उपलब्ध कराया जा सके इसके लिए विभिन्न प्रकार की योजना चलाई हैं।
डा दिनेश शर्मा ने कहा कि ईश्वर को वे लोग पसंद हैं जो अपनी नहीं बल्कि ऐसे लोगों की सेवा करते हैं जो अपनी सेवा करने में स्वयं सक्षम नहीं है। जो दूसरों के सुख में ही अपने सुख की अनुभूति करते हंै। वह ईश्वर का सबसे प्रिय होता है। दिव्यांगता कोई अभिशाप नहीं है, बल्कि उन्हें ईश्वर के द्वारा विशिष्ट कार्य के लिए बनाया गया है और उस कार्य को आप सही ढंग से कर सकें इसके लिए आपका आत्मविश्वास, कार्यों के प्रति सर्मपण, आपके अंर्तमन की जिज्ञासा, आपको श्रेष्ठ व्यक्ति तथा एक सामान्य व्यक्ति से ज्यादा कार्य करने की प्रेरणा देगा। मेरी शुभकामनाएं है कि आप देश एवं समाज की सेवा एवं विकास में अपना बढ़चढ़ कर योगदान दें। दिव्यागजनों के लिए जो भी सहयोग हो सकेगा सरकार करेगी।
सांइटिफिक कंवेशन सेन्टर में होने वाले इस 03 दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में भारत के विभिन्न प्रांतों एवं विदेशों से आये हुए पुनर्वास विशेषज्ञ दिव्यागजनों हेतु कृत्रिम अंगों एवं सहायक उपकरणों के विभिन्न आधुनिक तकनीकी से निर्मित सहायक उपकरणों एवं कृत्रिम अंगों के शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे साथ ही साथ देश एवं विदेश के प्रख्यात निर्माताओं के माध्यम से कृत्रिम अंगों एवं सहायक उपकरणों की नवीनतम जानकारी से विशेषज्ञों एवं आम जनता को जागरुक किया जाएगा।
प्रोस्थैटिक एवं आर्थोटिक प्रोफेशनल का मुख्य कार्य प्रोस्थैटिक शाखा के अंतर्गत आनुवंशिकता या किसी दुर्घटना में अंग विच्छेदन को कृत्रिम प्रतिस्थापना कराकर, शारीरिक पुनर्वास उपलब्ध कराना होता है। जिसमें खोये हुए अंग से संबंधित संरचना का अध्ययन, खोये हुए अंग का कृत्रिम प्रारुप तैयार कराना एवं कृत्रिम अंग के निर्माण द्वारा शारीरिक पुनर्वास उपलब्ध कराना आदि सम्मिलित होता है।
आर्थोटिक शाखा के अंतर्गत चिकित्सा विज्ञान की विभिन्न शाखाओं जिसमें मुख्यतः हड्डी रोग, न्यूरो सर्जरी एवं प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञों एवं मरीजों को शारीरिक पुनर्वास से संबंधित उपकरणों बे्रसज, कैलीपर, स्पलिन्ट्स इत्यादि को तैयार कर परामर्श एवं सहायोग उपलब्ध कराया जाता है। सम्मेलन के आयोजन का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के दिव्यांगों को उच्च तकनीक पर आधारित कृत्रिम अंग एवं उपकरणों के निर्माण एवं उनके उपयोग के लिए विशेषज्ञों एवं अन्य नागरिको को जागरुक करना है।

epmty
epmty
Top