चीन के पंजे में फड़फड़ाता नेपाल !

चीन के पंजे में फड़फड़ाता नेपाल !

लखनऊ। नेपाल में जहां एक तरफ केवल कप कप न्यूज चैनल को छोड़कर भारतीय टेलीविजन चैनल प्रतिबंधित कर दिए गए हैं, वहीं दूसरी ओर नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी की स्टैंडिंग काउंसिल की बैठक टाल दी गई है । चायनीज राजदूत की भूमिका से आक्रोशित नेपाली युवा व जनता काठमांडू में प्रदर्शन कर रही है। प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की डगमगाती कुर्सी को बचाने के लिए चीनी राजदूत हाओ यांकी राष्ट्रपति विद्या भंडारी से राजनयिक शिष्टाचार को बला - ए - ताक पर रखकर सीधे भेंट कर रही हैं , नेपाली सेनाध्यक्ष से भेंट कर रही हैं। अब दो पूर्व प्रधानमंत्री - पुष्प कमल दहल प्रचंड व माधव नेपाल के साथ ही नेपाली कांग्रेस के भारत विरोधी गुटों को साध रही हैं। बताया जाता है कि भारत की कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के प्रशिक्षण सत्रों से गहराई से जुड़े रहे हैं । नेपाल को अपने मनमाफिक हांकने में चीनी राजदूत की सफलता से सभी आश्चर्यचकित हैं। चीन व नेपाली प्रधानमंत्री के इस गठजोड़ के विरुद्ध संसद में आवाज उठाने वाली सांसद व मधेश नेत्री सरिता गिरि को संसद सदस्यता से हाथ धोना पड़ा है । चीन की नापाक चालों के विरुद्ध नेपाल के एक अन्य राजनीतिक दल नेपाल रिपब्लिक पार्टी ने नेपाली जनता को आगाह किया है। इस दल का कहना है कि अंततः नेपाल को अपनी स्वशासित क्षेत्र तिब्बत की तरह बनाने के षडयन्त्र में सर्वसत्तावादीदृविस्तारवादी कम्युनिस्ट चीन खुल कर आया है। चीन के दुस्साहस के विरुद्ध नेपाली जनता को इकठ्ठा होने होने के लिए भी रिपब्लिक पार्टी ने आह्वान किया है। उसका कहना है कि लिम्पियाधुरा विवाद को कुटनीतिक माध्यम से समस्या समाधान करने के बजाए नेपाल सरकार नेपालदृभारत संबंध को बिगाड़ने में लगा है। सर्वोच्च शिखर सगरमाथा तथा अन्य क्षेत्रों - नेपाल की भूमि पर हो रहे चीनी हस्तक्षेप के विरुद्ध नेपाल रिपब्लिक पार्टी ने आक्रोश व्यक्त किया है । पार्टी अध्यक्ष सिद्धार्थ गौतम ने कहा कि चीन ने नेपाल की उत्तरी सीमा पर अतिक्रमण कर डेढ़ हजार रोपनी नेपाली भूमि और पूरा दो गांव को अपने क्षेत्र शामिल कर लिया है। ध्यान रहे वि श्व के सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट को नेपाल में सगरमाथा कहा जाता है। रिपब्लिक पार्टी अध्यक्ष के अनुसार सर्वोच्च शिखर सगरमाथा को भी कब्जा करने के लिए निर्लज्ज प्रयास करने वाले सर्वसत्तावादी चीन ने नेपाल की ७ जिलों की १८ स्थानों में सीमा अतिक्रमण किया है। इस घटना से प्रजातन्त्र प्रेमी एवं देशभक्त सम्पूर्ण नेपाली जनता आक्रोशित हैं। नेपाल रिपव्लिक पार्टी एवं समस्त नेपाली जनता की ओर से चीन सरकार और उसके नेतृत्व को तत्काल इस तरह की हरकत बन्द करने के लिए आग्रह करती है और नेपाली जनता से क्षमा मांगने के लिए चेतावनी देती है । रिपब्लिक पार्टी ने यह भी कहा है कि नेपाल की कम्युनिष्ट सरकार न केवल चीनी प्रभाव को बढ़ाने के लिए ही काम कर रही है, अपितु नेपाल को चीन का नवदृउपनिवेश बनाने के लिए भी काम कर रही है, जिससे नेपाली जनता एवं प्रजातन्त्र प्रेमी विश्व समुदाय दुखित है। गौतम ने कहा है कि सगरमाथा को नियन्त्रण में लेने के प्रयास स्वरूप उत्तरी सीमा स्थित उर्बर जमीन, खर्क, चरन और सुन्दर गाँउ अतिक्रमण की गई है। इसी प्रकार नेपाल में अवैध चीनी मुद्रा को प्रचलन में लाने के चलते राजधानी काठमांडू का केन्द्र बिंदु ठमेल भी चीनी कब्जा में होने का दावा किया गया है ! उन्होंने आरोप लगाया कि भाषा, तालिम, पार्टी प्रशिक्षण जैसे नाम में चीन ने नेपाल भर में जासूसी संजाल खडा किया है। जबकि , नेपाल की जनता समाजवादी पार्टी से सांसद रहीं सरिता गिरि ने पिछले साल नेपाल की यात्रा पर आए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का उल्लेख करते हुए कहा है कि इस दौरान ओली सरकार और जिनपिंग सरकार के बीच जिस तरह की संधि की गई थी, उससे स्पष्ट हो गया था कि नेपाल में चीन का दखल बढ़ना तय है। उन्होंने कहा, स्पष्ट लगता है कि ये सिर्फ डेवलपमेंट्स पार्टनर्स के बीच में या फिर दो अंतरराष्ट्रीय संबंध रखने वाले देश के बीच में हुई संधि नहीं है। इसका देश की गवर्नेंस के साथ, देश के एडमिनिस्ट्रेशन के साथ, देश की सुरक्षा पॉलिसी के साथ, इन सारी पॉलिसीज के साथ ...मतलब चीन और नेपाल के बीच में एक प्रकार के इंटीग्रेशन को खोजने का आशय या अर्थ दिखता है ये चिंता का विषय है। अब लोग प्रश्न उठा रहे हैं। विशेषत: युवा लोग प्रश्न उठा रहे हैं। उन्होंने महत्वपूर्ण बात ये कही है कि भविष्य में नेपाल की स्थिति नॉर्थ कोरिया जैसी होती देख रही हैं। उनके अनुसार मैंने तो आशंका ही व्यक्त की है कि अगर हमलोग सचेत नहीं हो पाए तो नेपाल नॉर्थ कोरिया हो सकता है। मैं बिलकुल खुले रूप से कहती हूं, क्योंकि अगर हम लोग इसे रोकने नहीं पाए तो हम उस संभावना से भी इनकार नहीं कर सकते।

स्मरण रहे सरिता गिरि भारतीय मूल की सांसद हैं. उनका जन्म बिहार के चंपारण में हुआ था, जो विवाह के बाद नेपाल में बस गईं. बताया जाता है कि सरिता के पास अब तक भारत की नागरिकता है. भारत से उनके जुड़ाव को लेकर जब-तब आरोप लगते रहे हैं. पहले भी संसद में किसी न किसी बहस के दौरान उन्हें कहा जाता रहा कि वे नेपाल की होकर भी भारत के हितों को सोचती हैं. सरिता पहले बतौर सामाजिक कार्यकर्ता काम करती रहीं और नेपाल के ही मधेशी समुदाय के विकास के लिए वे सतत प्रयत्नशील रही हैं।

जानकारी हो कि नेपाल की तराई में बसे इस इलाके का भारत से गहरा संबंध है. नेपाल में मधेशियों की संख्या सवा करोड़ से अधिक है. इनकी बोली मैथिली है, साथ ही ये ये हिंदी और नेपाली भी बोलते हैं. भारत के साथ इनका काफी पुराना रोटी-बेटी का संबंध है, लेकिन इनमें से लगभग 50 लाख लोगों को नेपाल की नागरिकता नहीं मिल पाई है। इसी कारण से

मधेशी समुदाय आए-दिन आंदोलन करता रहता है. सरिता गिरि ने इन्हीं के साथ काम की शुरुआत की थी । वे सरिता गिरी वर्ष 2007 में राजनीति में आईं और जल्द ही जमीनी हकीकत से लगातार जुड़े रहने के कारण लोकप्रिय हो गईं. हालांकि , कालापानी प्रकरण पर चीन व नेपाली प्रधानमंत्री की दुरभि सन्धि को उजागर करने के कारण कोप भाजन बनना पड़ रहा है। वे अकेली और पहली सांसद हैं, जिसने ये बात खुलकर बोली. अब सोशलिस्ट पार्टी से इस सांसद को पार्टी और संसद से निष्कासित करने के बाद देश से निकालने की भी धमकियां मिल रही हैं । उन्होंने लगतार मधेशी समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध आवाज बुलन्द की है। धमकी के बावजूद निर्भयता पूर्वक उन्होंने नेपाली संसद में चीन द्वारा नेपाल की भूमि हड़पे जाने का उल्लेख किया। साथ ही यथा समय नेपाल के नवीन नागरिकता विधेयक व हिन्दी के विरुद्ध सरकारी प्रस्ताव का उचित तर्कों का सन्दर्भ देते हुए पुरजोर विरोध किया। नेपाल के सम्पूर्ण प्रकरण पर भारत के लचर राजनय से निराशा उत्तपन्न होती है। भारत के राजनेता भारत - नेपाल के प्राचीन सांस्कृतिक सम्बन्धों की तोता रटन्त के अलावा कुछ भी करते नहीं दिखते। तिब्बत को गंवाने के बाद नेपाल को अपने खूनी पंजे में जकड़े चीन के विरुद्ध नेपाल की जनता सड़कों पर उतर रही है। परन्तु अपने दरवाजे पर खड़े शत्रु से मुकाबला करने की बजाय आभासी दुनिया में रहना भारतीय नीति नियंताओं का शगल बन गया लगता है। समीचीन होगा यदि भारत ताइवान व वियतनाम से सबक लेकर अपने सामरिक व आर्थिक हितों की रक्षा के लिए कार्रवाई करे। भ्पही सपहीज इंदंदम. गौतम ने कहा है कि सगरमाथा को नियन्त्रण में लेने के प्रयास स्वरूप उत्तरी सीमा स्थित उर्बर जमीन, खर्क, चरन और सुन्दर गाँउ अतिक्रमण की गई है। इसी प्रकार नेपाल में अवैध चीनी मुद्रा को प्रचलन में लाने के चलते राजधानी काठमांडू का केन्द्र बिंदु ठमेल भी चीनी कब्जा में होने का दावा किया गया है ! उन्होंने आरोप लगाया कि भाषा, तालिम, पार्टी प्रशिक्षण जैसे नाम में चीन ने नेपाल भर में जासूसी संजाल खडा किया है।

(मानवेन्द्र नाथ पंकज-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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