जन्मदिन विशेषः कपिलदेव अग्रवाल सियासी संघर्ष से पहुंचे सदन

जन्मदिन विशेषः  कपिलदेव अग्रवाल सियासी संघर्ष से पहुंचे सदन
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मुजफ्फरनगर। महाभारत काल में विशेष गतिविधियों का केन्द्र रहे मुजफ्फरनगर में व्यापारी परिवार में जन्में कपिल देव अग्रवाल बचपन से आरएसएस की शाखाओं से जुड़ गये थे और जवान होते-होते क्षेत्र में भाजपा का एक मजबूत स्तम्भ बन गये। रोजी-रोटी के लिए विज्ञापन का व्यवसाय करने वाले कपिल देव का कद मुजफ्फरनगर की राजनीति में इतना बड़ा हो चुका है कि वे जनपद में ही नहीं, बल्कि प्रदेश का जाना-माना नाम बन चुके हैं। मुजफ्फरनगर शहर से विधायक कपिल देव अग्रवाल के जन्मदिन पर खोजी न्यूज की खास खबरं..........

गंगा-यमुना दोआब क्षेत्र के मध्य और नई दिल्ली और सहारनपुर के बहुत करीब स्थित होने के कारण उत्तर प्रदेश के सबसे विकसित और समृद्ध शहरों में शुमार मुजफ्फरनगर में व्यवसायी रमेश चन्द्र अग्रवाल के घर छः जून 1965 को जन्में कपिल देव अग्रवाल अपने भाई आदित्य प्रकाश अग्रवाल व ललित अग्रवाल में सबसे बड़े हैं। कपिल देव अग्रवाल बताते हैं कि उनका बचपन से वर्तमान में भाजपा का थिंकटैंक में माने जाने वाले आरएसएस से गहरा लगाव था। उन्होंने स्कूली दिनों से ही आरएसएस की शाखाओं में जाना आरम्भ कर दिया था। उनकी स्कूली शिक्षा डीएवी से आरम्भ हुई और वहीं से ही उन्होेने स्नातक की डिग्री प्राप्त की और इसी दौरान 1975 में कपिल देव अग्रवाल ऑफिसियल रूप से सक्रिय राजनीति में आ गये थे। इससे पूर्व वे 1978 में आरएसएस के मुख्य शिक्षक (शाखा इंचार्ज) बन गये थे। वर्ष 1980 में जब प्रख्यात् कथावाचक विजय कौशल जी महाराज आरएसएस के प्रचारक थे, तब उन्हीं के कहने पर कपिल देव अग्रवाल सरस्वती शिशु मन्दिर कैराना में आचार्य पद पर भी कार्य कर चुके हैं।

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जनपद में 55.79 हिन्दू, 41.39 प्रतिशत मुस्लिम, 2 प्रतिशत जैन व 2 अन्य प्रतिशत अन्य धर्मों के लोग निवास करते हैं, लेकिन मुजफ्फरनगर को आज भी बनियों का शहर कहा जाता है और कपिल देव अग्रवाल हरियाणवी बोली से मिलती जुलती यहाँ की मूल भाषा खड़ी बोली क्षेत्र में रहने के बावजूद मृदुल व्यक्तित्व वाले सरल भाषी नेता के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन कुछ मुद्दो को लेकर वो मुजफ्फरनगर का हिन्दुत्व चेहरा भी हैं। चीनी, इस्पात और कागज के साथ अनाज मुजफ्फरनगर के प्रमुख उत्पाद है और यहाँ की ज्यादातर आबादी कृषि में लगी हुई है जो कि इस क्षेत्र की आबादी का 70 प्रतिशत से अधिक है। मुजफ्फरनगर का गुड़ बाजार एशिया में सबसे बड़ा गुड़ का बाजार है, लेकिन कपिल देव अग्रवाल ने विज्ञापन के क्षेत्र को अपनी रोजी-रोटी का जरिया बनाया और लोगों का विज्ञापन करते-करते इतने मशहूर हो गये कि वर्ष 2002 में शहर सीट से भाजपा के प्रत्याशी के रूप में विधानसभा का चुनाव लड़ा और मामूली अन्तर से हार गये। इसके बाद 2006 में उन्होंने नगरपालिका चेयरमैन पद का चुनाव लडा और अपने निकटतम प्रतिद्वन्दी सपा नेता राशिद सिद्दीकी को लगभग 27 हजार वोट से हराकर नगर के प्रथम नागरिक बन गये। दिल्ली-मंसूरी राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच 58) पर देश की राजधानी दिल्ली से लगभग सवा सौ किलोमीटर की दूर और राष्ट्रीय रेलवे नेटवर्क के साथ अच्छी तरह से जुड़ा हुआ मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक एकता की मिसाल है और यहां सभी धर्मों के लोग एक साथ मिलकर पूरे सौहार्द के साथ रहते हैं, लेकिन 2014 में हुए दंगो में लगे कर्फ्यू के बाद 2016 में समाजवादी पार्टी के सदर विधायक एवं तत्कालीन मंत्री चितरंजन स्वरूप के निधन के बाद हुए विधानसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने सहानुभूति लहर को देखते हुए चितरंजन स्वरूप के पुत्र गौरवस्वरूप को टिकट दिया, जिसके सामने भाजपा ने कपिलदेव अग्रवाल को अपना प्रत्याशी घोषित किया था। कपिल देव ने इस चुनाव में दो नारे दिये-

पहला- बहू-बेटी के सम्मान में, कपिल देव मैदान में

दरअसल चुनाव पूर्व मुजफ्फरनगर शहर में छेड़छाड़ की कई घटनाएं हो चुकी थी, जिनको चुनाव में कपिलदेव अग्रवाल ने इसको नारा बनाया था। यही कारण रहा कि छेड़छाड़ की घटनाओं से आहत एक तबका जो चितरंजन स्वरूप के साथ चुनाव में रहता था, वह कपिल देव अग्रवाल के साथ आ खडा हुआ, जो उनकी जीत का बडा कारण बना।

इसके साथ-साथ कपिलदेव और भाजपा का दूसरा नारा था- दूध-ब्रेड कहां बटेगा, यहां बटेगा

गौरतलब है कि जब 2014 में मुजफ्फरनगर दंगा हुआ तो शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया था। कफ्र्यू के दौरान जिला प्रशासन ने मुस्लिम बाहुल्य खालापार में दूध एवं ब्रेड बटवाया था, जिसको कपिलदेव अग्रवाल एवं भाजपा ने दंगों के दौरान ही मुद्दा बना दिया था। कपिल देव अग्रवाल का कहना था, कि प्रशासन सत्ता के दबाव में खालापार में तो दूध एवं ब्रेड बांट रहा है, जबकि हिन्दू बाहुल्य क्षेत्रों में रहने वाले गरीबों को दूध और ब्रेड नहीं बांटा है। यह सपा सरकार की तुष्टिकरण नीति का हिस्सा है। कपिल देव अग्रवाल ने दंगों के दौरान उठाये गये इस मुद्दे को उपचुनाव में जमकर भुनाया था, जिसका नतीजा रहा कि कपिलदेव अग्रवाल चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा की दहलीज में दाखिल हो गये। इसके बाद उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के गौरव स्वरूप को हराकर शहर विधानसभा सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा।

राजनीति में सफलता का इतिहास बनाने वाले कपिलदेव अग्रवाल का कद इससे पहले काफी बडा हो चुका था। शायद इसी के चलते वे जनपद में समय-समय पर होने वाली नरेन्द्र मोदी, योगी आदित्यानाथ, राजनाथ सिंह, साध्वी उमाभारती, वैंकया नायडू, सुब्रह्मन्यम स्वामी, जयंत सिन्हा, पियूष गोयल, नितिन गडकरी, थांवरसिंह गहलौत, हर्षवर्धन स्मृति जुबिन ईरानी व सुषमा स्वराज आदि भाजपा के दिग्गजों की रैलियों के मुख्य संचालक रहे। इसके साथ उन्होंने जनपद में कई आयोजन किये और समय-समय पर आयोजित भाजपा व आरएसएस के विभिन्न कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से हिस्सा भी लिया है। कपिल देव अग्रवाल बताते हैं कि शहर की मुख्य समस्या सीवरेज सहित पिनना-सहारनपुर बाईपास का प्रस्ताव उन्होने नगरपालिका का चेयरमैन रहते हुए शासन को भिजवा दिया था, लेकिन तब के भेजे गये प्रस्ताव पर अमल अब हो पा रहा है।

नफीस अहमद

रीयल स्टेट के कारोबार से जुडे नफीस अहमद कहते हैं कि सबसे पहले तो शहर विधायक कपिल देव अग्रवाल को जन्मदिन की शुभकामनाएं। वो कहते हैं कि कपिलदेव अग्रवाल व्यवहार कुशल एवं जनता के बीच काम करने वाले नेता हैं, यही कारण है कि मुजफ्फरनगर शहर विधानसभा की जनता ने एक बार चेयरमैन तो लगातार दूसरी बार विधायक चुनकर भेजा है।





संजीव की जीत में कपिल बने संजीवनी

हालिया हुए 17वीं लोकसभा चुनाव में जब कई स्थानों पर महागठबन्धन के प्रत्याशी रालोद प्रमुख चैधरी अजीत सिंह संजीव बालियान पर भारी पड़ते नजर आ रहे थे, ऐसे में कपिल देव के प्रभाव वाले क्षेत्र से ही संजीव बालियान को जीत की संजीवनी मिली थी। आंकडे बताते हैं कि गांधी नगर, नईमण्डी सहित अन्य वैश्यबाहुल्य क्षेत्रों से भाजपा प्रत्याशी को उम्मीद से भी अधिक वोट प्राप्त हुई थी, जिससे संजीव बालियान के सर जीत का सेहरा बंध पाया है।

विपुल भटनागर

कपिल देव अग्रवाल को जन्मदिन की बधाई देते हुए विपुल भटनागर बताते हैं कि विधायक जी की याददाश्त बहुत अच्छी है हर व्यक्ति को उसके नाम से जानते है जिसका नाम एक बार सुन लिया उसको वो कभी भूलते नही है, जब वह भाषण देते है 30 से 40 व्यक्तियों का नाम सभा में बैठे हुए ऐसे ले सकते है जैसे वह व्यक्ति उनके परिवार के ही हो। चुनाव में जब प्रचार के लिए हम चलते थे, विधायक जी की स्पीड इतनी अधिक रहती थी, हम थक जाते थे, पर वह कभी नही थकते थे उनके चेहरे पर कभी थकान नही दिखाई देती थी। उनका मैनेजमैन्ट बहुत ही अच्छा है, उनका जो करना है उसका समय निश्चित रहता है, जिस समय पर संकल्प वो करते है।

उद्योगपति कुशपुरी

उद्योगपति कुशपुरी कपिल देव अग्रवाल के में बारे कहते हैं कि तमाम जनमानस जो धरातल पर कार्य करने की क्षमता रखता है वही व्यक्ति राजनीति में सफल हो पाता है राजनीति में केवल और केवल पार्टी के लिए कार्य करना राजनीतिक रूप से कार्य करना मात्र ही सफलता नही है अपितु धरातल पर कपिल देव अग्रवाल ही वो व्यक्ति है जो राजनैतिक के साथ-साथ सामाजिक कार्यो में बढ चढकर हिस्सा लेते है।

गौहर सिद्दीकी

गौहर सिद्दीकी समाजसेवी बताते हैं कि हमारा परिवार सामाजिक कार्यो से जुड़ाव रहा है। हमारी माता सफिया अहमद सामाजिक कार्यो में रहती थी वो हमेशा कभी भी समाज उनकी जरूरत पड़ी वो तैयार रहती थी। वर्ष 1997-98 में मै भी सामाजिक कार्यो में सक्रिय कपिल देव अग्रवाल नगर में हमेशा से ही सामाजिक कार्यो में सक्रिय रहे हैं, इसलिए कपिल देव से नजदीकियां बढी कपिल देव एक ऐसे व्यक्ति है। उनके व्यक्तित्व में लोगो के दुख-सुख खड़े रहना, बगैर किसी भेदभाव के चाहे फिर वो हिन्दू हो या मुस्लिम हमेशा खडे रहना है।





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