सीएसआर पर सार्वजिनक क्षेत्र के उद्यमों की एक दिवसीय कार्यशाला संपन्‍न

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नई दिल्ली ।राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के सहयोग से राष्‍ट्रीय जल मिशन (एनडब्‍ल्‍यूएम) के तत्‍वावधान में कॉरपोरेट सामाजिक दायित्‍व (सीएसआर) पर सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की एक दिवसीय कार्यशाला कल नई दिल्‍ली में संपन्‍न हुई। कार्यशाला में 30-35 नवरत्‍न कंपनियों, अन्‍य सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, रिलायंस फाउन्‍डेशन जैसी निजी क्षेत्र की कंपनियों तथा टैरी, सीआईआई जल संस्‍थान जैसे संगठनों ने भाग लिया।

जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय के सचिव यू.पी. सिंह ने सार्वजनिक क्षेत्र के सभी उद्यमों और कॉरपोरेट सेक्‍टर से एनएमसीजी के साथ जुड़ने की अपील की। उन्‍होंने कहा कि जिस रूप में वे इस मिशन से जुड़ना चाहते हैं, उनका स्‍वागत है। उन्‍होंने कहा कि एनएमसीजी ने एसबीआई, यूबीआई, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई और यस बैंक जैसे बैंकिंग नेटवर्क का उपयोग स्‍वच्‍छ गंगा के संदेशों को प्रदर्शित करने के लिए किया है। एचसीएल, इंडोरामा, यस बैंक, एससीआई, इंडस इंड बैंक जैसे संगठन एनएमसीजी के साथ जुड़े हुए हैं। एचसीएल ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में वनीकरण परियोजनाओं की शुरूआत की है। इसके अलावा आईएनटीएसीएच के सहयोग से एचसीएल उत्‍तराखंड में रूद्राक्ष का पौधारोपण कर रहा है।

इस अवसर पर एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने संगठन की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी और कहा कि सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के उद्यमों के लिए इस मिशन से जुड़ने की अपार संभावनाएं हैं, ताकि पूरे गंगा बेसिन में निर्मलता और अविरलता सुनिश्चित की जा सके।

कार्यशाला के दौरान राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छ गंगा मिशन ने गंगा संरक्षण के लिए किये गये प्रयासों को प्रदर्शित किया। इन प्रयासों का उद्देश्‍य गंगा की निर्मलता और अविरलता को पुनर्संरक्षित करना है। 2015 में लांच किये गये नमामि गंगे कार्यक्रम का लक्ष्‍य गंगा संरक्षण है।

एनएमसीजी पहला ऐसा मिशन है, जो शहरी के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों पर भी ध्‍यान दे रहा है। इसके अंतर्गत प्रदूषण कम करने के विभिन्‍न उपाय किये जा रहे हैं। प्रदूषण कम करने के लिए सभी आयामों पर ध्‍यान दिया जा रहा है, जैसे- घरेलू व औद्योगिक प्रदूषण, ग्रामीण स्‍वच्‍छता, वनीकरण, जैव विविधता संरक्षण, घाट और शमशान घाट, जल गुणवत्‍ता की निगरानी तथा नई तकनीक का उपयोग। इन परियोजनाओं में निवेश का दीर्घावधि लाभ प्राप्‍त करने के लिए संचालन और रख-रखाव के खर्च को परियोजना लागत में शामिल किया जाता है।

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