कालिनेमि जिमि रावन राहू बने आशाराम

कालिनेमि जिमि रावन राहू बने आशाराम
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लखनऊ :स्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस में लिखा है कि दुर्जन व्यक्ति भी कभी-कभी साधु (सज्जन) का चोला पहन लेते हैं लेकिन जब उनका भेद खुलता है तब उन्हें कठोर दण्ड भोगने पड़ते हैं-
उघरे अंत न होहिं निबाहू
कालिनेमि जिमि रावन राहू
अर्थात जिस तरह से राक्षस कालनेमि ने साधु का वेश धारण कर हनुमान जी का रास्ता रोकने का प्रयास किया, रावण ने यती का वेश धारण कर सीता जी का अपहरण कर लिया और राहु ने देवता का रूप बनाकर अमृत का पान किया था लेकिन बाद में इन सभी का भेद खुल गया और इन्हें सजा मिली। इसी तरह आसाराम बापू भी एक महान संत के रूप में स्थापित हो गये थे लेकिन उनके आचरण राक्षसी थें उनपर एक बालिका से दुराचार का आरोप लगाया गया। राजस्थान के जोधपुर में स्थित सेन्ट्रल जेल में वे रखे गये थे। जेल में ही बनी एससी/एसटी विशेष अदालत ने आसाराम को दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है। विशेष कोर्ट के जज मधुसूदन शर्मा ने यह फैसला सुनाया और साबित कर दिया कि अपराधी अपने चेहरे पर कैसा भी मुखौटा लगा ले लेकिन न्याय की तलवार से वह बच नहीं सकता है। इस मामले को निपटाने में लगभग पांच साल का समय लगा है।
आसाराम को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और यौन अपराध बाल संरक्षण अधिनियम (पास्को) के तहत दोषी ठहराया गया है। पास्को में अभी हाल ही केन्द्र सरकार ने अध्यादेश के जरिये संशोधन किया है। इस संशोधन के मुताबिक 12 साल तक की बच्ची से दुराचार करने वाले को फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है। दुष्कर्म के मामलों में न्यूनतम सात साल के सश्रम कारावास की सजा को बढ़ा कर 10 साल सश्रम कारावास किया गया है। यह भी कहा गया है कि इसे अधिकतम आजीवन कारावास तक किया जा सकता है। अध्यादेश में यह भी प्रावधान है कि 16 साल से कम उम्र की लड़कियों से दुराचार के अपराधियों को न्यूनतम 20 साल की सजा होगी और 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से दुराचार करने पर मृत्युदण्ड अर्थात फांसी की सजा मिलेगी। जमानत के मामले में कहा गया कि 16 साल से कम उम्र की बालिका से दुष्कर्म करने के आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं मिल सकेगी। इस प्रकार केन्द्र सरकार के नये अध्यादेश के तहत आसाराम को सजा सुनाई गयी है। आसाराम को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 376 और पास्को के तहत दोषी ठहराया गया और उनपर यौन उत्पीड़न के दो मामले चल रहे हैं। एक मामला राजस्थान में चल रहा था जिसमें उन्हें सजा मिली है और दूसरा मामला गुजरात में चल रहा है। राजस्थान के मामले में आसाराम के साथ दो अन्य लोगों को भी दोषी करार दिया गया हें इनमें एक साध्वी शिल्पी है और दूसरे शरद चन्द्र हैं। इसी मामले में शिवा और प्रकाश को बरी कर दिया गया है।
आसाराम पर उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की एक नाबालिग लड़की से दुराचार करने का आरोप लगाया गया था। यह लड़की मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में आसाराम के आश्रम में पढ़ाई कर रही थी। पीड़िता ने आरोप लगाया था कि आसाराम ने जोधपुर के निकट मनाई आश्रम में उस लड़की को बुलवाया और हमारा देश जब स्वाधीनता दिवस मनाता है, उसी 15 अगस्त 2013 को संत वेशधारी आसाराम ने उस बालिका के साथ दुष्कर्म किया। आसाराम के देश-विदेश में लाखों अनुयायी हैं और उनके खिलाफ खड़ा होना सामान्य आदमी के वश में नहीं था लेकिन पीड़ित बालिका के पिता ने इस महा अन्याय, महापाप के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद उसे कई लोगों ने सहयोग भी दिया लेकिन पीड़ित बालिका और उसके परिजनों को लगातार धमकियां मिलती रहीं। आसाराम को जब दोषी करार दिया गया और उन्हें विशेष अदालत ने सजा सुनाई, तब भी पीड़िता के घर पर कड़ी सुरक्षा की गयी है। उसको और उसके परिजनों को जान का खतरा बना हुआ है। सतर्कता तो पूरे देश में बरती जा रही हैं क्योंकि गुरमीत बाबा राम रहीम को जब सजा सुनाई गयी थी तो हरियाणा समेत कई स्थानों पर हिंसक उपद्रव हुए थे। इसलिए इस बार पुलिस प्रशासन कोई ढील नहीं रखना चाहता है।
आसाराम को इंदौर में गिरफ्तार किया गया था और उन्हें एक सितम्बर 2013 को जोधपुर लाया गया था। आसाराम के इस दुराचार मामले में इसी सात अप्रैल को दलीलें पूरी हो गयी थीं। इसके बाद 25 अप्रैल को फैसला सुनाने की बात कही जा रही थी। फैसले वाले दिन मीडिया जोधपुर सेन्ट्रल जेल के बाहर जमा हो गयी थी और दोपहर बाद फैसला सुनाया गया। आसाराम के असुमल हरपलानी से बापू आसाराम बनने की कहानी किसी चमत्कार से कम नहीं हैं। इस समय वह 10 हजार करोड़ की सम्पत्ति के मालिक हैं। मिली जानकारी के अनुसार मौजूदा समय में पाकिस्तान के कब्जे में जो सिंध का इलाका है, वहीं 1941 में बेरानी गांव में आसाराम का जन्म हुआ था। उस समय उनका नाम असुमल हर पलानी था। यह परिवार सिंधी व्यापारी समुदाय से ताल्लुक रखता है। देश को आजादी मिलने पर 1947 में असुमल हरपलानी का परिवार अहमदाबाद में आ गया। पूजा-पाठ में धन और प्रसाद के लालच में असुमल ने 1960 के दशक में लीलाशाह को अपना आध्यात्मिक गुरू बनाया। लीलाशाह ने ही उनका नाम आसाराम रखा। उनके आश्रम में प्रवचन के बाद प्रसाद वितरित किया जाता था और इसी प्रसाद ने भक्तों की संख्या बढ़ा दी। लीलाशाह के उत्तराधिकारी बनकर आसाराम ने भक्तों की सेना खड़ी कर दी। आसाराम की वेबसाइट के अनुसार दुनिया भर में उनके इस समय लगभग चार करोड़ अनुयायी है। चार सौ के करीब आश्रम हैं।
इस प्रकार आसाराम एक संत से ज्यादा वोट बैंक बन गये थे और कितने ही बड़े नेताओं ने उनका आशीर्वाद प्राप्त किया था। इस सूची में 1990 से 2000 के बीच कांग्रेस के मोतीलाल बोरा, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, वरिष्ठ नेता कमलनाथ, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, नितिन गडकरी, शिवराज सिंह चैहान, उमा भारती, रमन सिंह, प्रेम कुमार धूमल जैसे नेताओं के नाम शामिल हैं। राजनीति का वरद हस्त मिलते ही आसाराम ने भी इसका फायदा उठाया। देश-विदेश में उनके 400 आश्रमों के निर्माण के लिए गलत तरीके से जमीन ली गयी। प्रवर्तन निदेशालय इसकी जांच कर रहा है। पांच साल पहले तक आसाराम के खिलाफ कोई सुनने को तैयार नहीं था लेकिन जब उन्हें दुराचार जैसे मामले में जेल भेजा गया तब तो नेताओं ने विशेष रूप से उनसे दूरी बना ली और जनता ने भी जब असलियत समझी तो आसाराम बापू से घृणा करने लगी। अब तो अदालत ने भी साबित कर दिया कि आसाराम कालनेमि और रावण की तरह ही मुखौटा लगाये थे। उनको सजा मिली है तो हमारे देश में राम राज्य किसी न किसी रूप में मौजूद है।

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