झूठ के पैर नहीं होते हैं : अखिलेश यादव

झूठ के पैर नहीं होते हैं : अखिलेश यादव

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि कहते हैं झूठ के पैर नहीं होते हैं। कल जब मुख्यमंत्री प्रतापगढ़ के एक गांव में जनता से रूबरू हुए तो उन्हें अपनी सरकार के ढोल के पोल का अंदाजा हो गया। जनता को झूठे वादों से भरमाने की भाजपा सरकार की रीति-नीति का खुलासा आंखे खोल देने वाला हैं। यह बात तो उजागर हो गई है कि भाजपा सरकार से समाज का कोई वर्ग-किसान, नौजवान, महिला, छात्र, अल्पसंख्यक, व्यापारी, भी संतुष्ट नहीं है। सबके साथ धोखा हुआ है। भाजपा सरकार की रात्रि चैपाल ढोंग के अलावा कुछ नहीं है।
प्रदेश में खुद मुख्यमंत्री का कितना इकबाल है इसी से जाहिर है कि वे गोरखपुर में गेहूं क्रयकेंद्रो पर बोरा भी उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। क्रय केन्द्रों पर पैसा नहीं है। मुख्यमंत्री जी गेहूं क्रय केन्द्र पर गए तो उन्हें पता चला कि गेहूं की खरीद में अधिकारियों की दिलचस्पी नहीं है। किसान को उसकी फसल का निर्धारित मूल्य 1735 रूपए भी नहीं मिल रहा है।
आलू किसान के आलू खरीद का सरकारी मूल्य 549 रूपए प्रति कुंतल है पर किसान को वह भी नहीं मिला। वैसे आलू के उत्पादन की लागत प्रति हजार रूपए कुंतल आती है। सरकारी घोषणाएं उनके लिए मजाक साबित हुई है। गन्ना किसानों के साथ भी ऐसा दुव्र्यहार किया गया है। मिल मालिक गन्ना पेराई बंद करना चाहते हैं जबकि किसान का गन्ना खेत में खड़ा है। मजबूरन अब उसे जलाना पड़ जाएगा। गन्ना किसानों का 9429.19 करोड़ रू0 बकाया है।
भाजपा की नीति किसान विरोधी और जनविरोधी है। उसकी योजनाएं जमींन पर नहीं फाईलों में फलती फूलती हैं। मुख्यमंत्री को पता चल गया कि शौचालय के नाम पर सिर्फ गड्ढे खुदते हैं। राशन का कोटा बाजार में चला जाता है। जनता ने बताया हर काम के लिए उन्हें घूस देनी पड़ती है। मुख्यमंत्री जी को जनता ने सच्चाई से सामना करा दिया है कि उनके राज में किसान की दुर्दशा है।
भाजपा राज से बेहतर तो समाजवादी सरकार का राज था यह बात तो अब हर किसान और नौजवान कह रहा है। समाजवादी सरकार में किसान को खाद-बीज की सुविधा थी। सिंचाई मुफ्त थी। गांव-खेती को प्राथमिकता थी। बजट की 75 प्रतिशत धनराशि गांव-किसान के लिए रखी गई थी। समाजवादी सरकार द्वारा वर्ष-16-17 को किसान वर्ष घोषित किया गया था।
भाजपा राज में अपराधों पर नियंत्रण नहीं है और भ्रष्टाचार खूब फलफूल रहा है। उनके स्वच्छ, पारदर्शी प्रशासन और जनता की खुशहाली के दावे हकीकत से बहुत दूर है। यह भी स्पष्ट हो गया है कि रात्रि विश्राम का सरकारी आयोजन केवल जनता की आंख में धूल झोंकने का प्रयास है। पर अब जनता जागरूक है और वह भाजपा की कहानी से बहकने वाली नहीं है। वह भाजपा की सच्ची कहानी 2019 में लिखेगी।

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