कांग्रेस में आसान नहीं है नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी की राह

कांग्रेस में आसान नहीं है नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी की राह
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लखनऊ: बसपा से निष्कासित नेता नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी को शामिल किये जाने के तीन दिन के भीतर ही कांग्रेस में विरोध के स्वर उठने लगे हैं. कांग्रेस ने इस संबंध में सोशल नेटवर्किंग साइट पर टिप्पणी के लिए अपने दो नेताओं से स्पष्टीकरण मांगा है.
कांग्रेस की एक विज्ञप्ति में कहा गया कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी और अन्य लोगों के पार्टी में शामिल होने को लेकर फेसबुक पर विरोध प्रकट करने को अनुशासनहीनता मानती है. प्रवक्ता जीशान हैदर ने कहा कि अनुशासन समिति के सदस्य फजले मसूद ने पार्टी के सचिवों- अवधेश सिंह और संजय दीक्षित से तत्काल स्पष्टीकरण मांगा है. दीक्षित ने पोस्ट में कहा कि नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी मायावती सरकार के समय हुए सभी बड़े घोटालों में शामिल रहे और वह हमेशा मायावती के दाहिने हाथ थे. एक दागी नेता को कैसे कांग्रेस में शामिल किया जा सकता है, जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी स्वच्छ राजनीति की वकालत कर रहे हैं.

अवधेश सिंह ने पोस्ट में कहा कि नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी ने लखनऊ में बसपा के प्रदर्शन के दौरान ठाकुरों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी. ठाकुर उन्हें कभी पार्टी में नहीं चाहेंगे. संपर्क करने पर दीक्षित ने कहा कि वह इस सिलसिले में कांग्रेस अध्यक्ष से मिलकर स्थिति से अवगत कराएंगे.नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी इसी सप्ताह नयी दिल्ली में औपचारिक रूप से कांग्रेस में शामिल हुए. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महासचिव गुलाम नबी आजाद और उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई. बसपा से निष्कासित होने के बाद नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी ने समर्थकों के साथ राष्ट्रीय बहुजन मोर्चा नाम की एक नई पार्टी बना ली थी.

उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी को 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद बसपा से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. बसपा ने उन पर पार्टी विरोधी काम करने का अारोप लगाया था. हालांकि इसके बाद नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बसपा प्रमुख मायावती पर ब्लैकमेल करने का अारोप लगाया. इसे साबित करने के लिए उन्होंने एक अॉडियो टेप भी जारी किया.

फिलहाल बसपा में रहते हुए नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी की पहचान एक उत्तर प्रदेश के एक बड़े मुस्लिम नेता के तौर पर रही है. इस दौरान पार्टी में उनका कद भी काफी बड़ा था. उन्हें मायावती का काफी विश्वस्त माना जाता था.
-अभय के

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