योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य की परीक्षा

योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य की परीक्षा

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनकर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना ली है। उन्होंने गुजरात में विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार किया था और जिन क्षेत्रों में वे गये, वहां भाजपा को अच्छी संख्या में विधायक मिले। अब त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। वहां भी योगी को प्रचार के लिए भेजा जाएगा। कर्नाटक में भी मुख्यमंत्री योगी भाजपा के लिए प्रचार करने जाएंगे। इसी बीच उत्तर प्रदेश में उनकी संसदीय सीट खाली हो चुकी है और उस पर 11 मार्च को उपचुनाव होना है। इसी तारीख को पूर्वांचल की लोकसभा सीट फूलपुर में भी उपचुनाव होगा। यह सीट राज्य के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से खाली हुई है। गोरखपुर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की संसदीय सीट थी। इस प्रकार योगी और केशव की परीक्षा उनके अपने ही राज्य में होनी है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी 2017 में उत्तर प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष का पदभार संभाला था और उसी समय स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा छोड़ी थी। मौर्य ने प्रदेश के पिछड़े वर्ग को भाजपा के साथ जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा वह फूलपुर सीट से संसद में पहुंचे थे जो कांग्रेस की पक्की सीट मानी जाती थी।
इसीलिए गोरखपुर और फूलपुर की लोकसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव भाजपा के लिए तो बहुत महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं, इसके अलावा दूसरे राजनीतिक दलों के लिए भी इसलिए महत्वपूर्ण हैं कि वे यह साबित कर सके 2019 में भाजपा को कड़ी चुनौती देंगे। इन उपचुनावों के लिए अब सिर्फ एक महीने का समय बचा है। सभी राजनीतिक दलों ने तैयारियां जोर शोर से कर रखी हैं। सत्तारूढ़ भाजपा के लिए गोरखपुर और फूलपुर दोनों ही सीटें प्रतिष्ठा की हैं। गोरखपुर संसदीय सीट पर मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार पांच बार जीत हासिल कर चुके है। योगी से पहले उनके गुरु महंत अवेद्यनाथ तीन बार सांसद रहे। इसी तरह फूलपुर लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़ हुआ करती थी। देश के सर्वप्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू इसी सीट का प्रतिनिधित्व करते थे। इस सीट पर पहली बार भाजपा ने 2014 में जीत दर्ज की और केशव प्रसाद मौर्य यहां सेे सांसद बने। बाद में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया और अब प्रदेश के उपमुख्यमंत्री हैं। इसलिए सभी की निगाहें भाजपा पर टिकी हैं। सन् 2017 के विधानसभा उपचुनाव में भाजपा प्रचण्ड बहुमत से सत्ता में आयी। योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य जब प्रदेश सरकार में आ गये, तभी यह कहा जा रहा था कि दोनों विधानसभा का चुनाव लड़कर सदन में आयेंगे। इन दोनों के लिए 6 महीने के अंदर विधानमंडल के किसी एक सदन का सदस्य होना जरूरी था। इस बीच गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों में पार्टी उलझी थी, इसलिए दोनों नेताओं को विधान परिषद का सदस्य बनना पड़ा। अभी नौ फरवरी को ही चुनाव आयोग ने इन दोनों सीटों पर उपचुनाव कराने की घोषणा कर दी है। चुनाव आयोग ने उपचुनाव के लिए 11 मार्च की तारीख तय की है और 14 मार्च को चुनाव परिणाम की घोषणा की जाएगी।
प्रदेश में सत्तारूढ़ दल भाजपा से जुड़े ये दोनों उपचुनावों की घोषणा होते ही मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस ने उपचुनाव जीतने के लिए आपस में मिलने और जीत हासिल करने का प्रयास शुरू कर दिया है। विपक्षी दल उपचुनाव जीतने का दावा करने लगे हैं। लेकिन उन्होंने इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर अविश्वास जताते हुए कहा है कि दोनों सीटों पर उपचुनाव मतपत्रों के जरिए कराए जाएं। ऐसा समझा जाता है कि चुनाव आयोग उत्तर प्रदेश के विपक्षी दलों की मांग को स्वीकार नहीं करेगा क्योंकि ईवीएम को लेकर उसने एक बार राजनीतिक दलों को चैलेंज किया था और उसकी चुनौती को किसी भी राजनीतिक दल ने स्वीकार नहीं किया था। इसके बाद चुनाव आयोग ने गुजरात और हिमाचल प्रदेश में ईवीएम के साथ वीवीपैट का इस्तेमाल किया जिसमे वोट डालने वाले को एक पर्ची मिलती है जिसमे यह प्रिंट होता है कि वोट किसे दिया गया। इसलिए विपक्षी दलों की यह मांग स्वीकार नहीं की जा सकती है।
भाजपा के एक प्रवक्ता ने पिछले दिनों कहा था कि गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में भाजपा की जीत पक्की है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी तो हमेशा चुनाव के लिए तैयार रहती है। चुनाव आयोग के इशारे का इंतजार था। अब आयोग ने उपचुनाव की तारीख घोषित कर दी है। भाजपा कर्मठ एवं प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं की पार्टी है, इसलिए उपचुनावों में भाजपा और बड़े अंतर से जीतेगी। गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ से जनता उसी तरह जुड़ी है जैसे पूर्व में उसका समर्थन मिलता था। इसके अलावा मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी जी गोरखपुर को बराबर महत्व दे रहे हैं। कुछ दिन पूर्व ही गोरखपुर महोत्सव हुआ था। इसी तरह फूलपुर हें केशव प्रसाद मौर्य को जनता अब भी अपना प्रतिनिधि मानती है। भाजपा की सरकार बनने के बाद वहां काफी विकास कार्य हुए हैं, इसलिए फूलपुर संसदीय उपचुनाव में भाजपा को ही विजय मिलेगी।
दोनों उपचुनावों में अपनी जीत का दावा विपक्षी दल भी कर रहे हैं। मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी का दावा है कि मतदाता गोरखपुर और फूलपुर उपचुनावों में भाजपा को उसकी वादा खिलाफी का मजा चखाएंगे। सपा नेताओं का कहना है कि पिछले चुनावों में भाजपा ने जनता से जो वादे किये थे, वे आज तक पूरे नहीं हुए हैं। इसलिए दोनों ही सीटों पर समाजवादी पार्टी जीत हासिल करेगी। राज्य की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बसपा भी इस बार कड़ा मुकाबला होने की बात कह रही है। बसपा को 2014 के आम चुनाव में एक भी सांसद नहीं मिल सका था लेकिन उसके प्रत्याशियों को मत अच्छे मिले थे। इसी क्रम में बसपा को 2017 के विधानसभा चुनाव में भी शर्मनाक पराजय मिली। उसके कई दिग्गज नेता पार्टी छोड़कर चले गये। दो बड़े नेता भाजपा में शामिल हो गये और नसीमुद्दीन सिद्दीकी को बसपा ने निकाल बाहर किया। इस सबके बावजूद स्थानीय निकाय के चुनाव में बसपा को अच्छी सफलता मिली। उसने प्रदेश में दो महापौर जुटाकर भाजपा के बाद दूसरा स्थान प्राप्त कर लिया। इसलिए संसदीय उपचुनावों में बसपा उतरेगी अथवा नहीं, यह अभी नहीं कहा जा सकता क्योंकि पार्टी प्रमुख मायावती ने उपचुनाव न लड़ने का नियम बना रखा है।
प्रदेश में कांग्रेस का अभी कोई आधार नहीं दिखाई पड़ता। विधानसभा चुनाव में भी वह चौथे नंबर पर खिसक गयी थी। इसके बावजूद कांग्रेस के प्रवक्ता अशोक सिंह का कहना है कि कांग्रेस गोरखपुर और फूलपुर के उपचुनाव लड़ेगी और निश्चित रूप से बेहतर प्रदर्शन करेगी। कांग्रेस का कहना है कि प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के शासन में भय का माहौल बना हुआ है। कानून-व्यवस्घ्था की स्थिति अच्छी नहीं है। जनता को जीएसर्टी के चलते बहुत परेशानी झेलनी पड़ी है। इन सभी का जवाब प्रदेश की जनता गोरखपुर और फूलपुर के उपचुनाव में देगी। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि राजस्थान के उपचुनावों में जिस तरह कांग्रेस ने जनता से तीनों सीटें छीन ली हैं, उसी तरह प्रदेश में भी कांग्रेस को जनता का समर्थन मिलेगा।
चुनाव में उम्मीदवारों का भी बहुत महत्व होता है। अभी, इन पंक्तियों के लिखे जाने तक किसी भी राजनीतिक दल ने अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किये थे। देखना यह है दोनों सीटों के उपचुनावों में कौन चेहरे सामने आते हैं।

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