राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द का भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के दीक्षांत समारोह में सम्बोधन किया

राष्ट्रपति  राम नाथ कोविन्द का भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के दीक्षांत समारोह में सम्बोधन कियाThe President, Ram Nath Kovind , 56th Convocation of the Post Graduate School , Indian Agriculture Research Institute, The Union Minister for Agriculture and Farmers Welfare, Radha Mohan Singh, DG, ICAR, Dr. T. Mohapatra

नई दिल्ली : भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द का भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के दीक्षांत समारोह में सम्बोधन करते हुए कहा आज इस समारोह में उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को, मैं हार्दिक बधाई देता हूं। इस अवसर पर मैं सभी शिक्षकों, अभिभावकों एवं परिवारजनों को भी बधाई देता हूं जिनके मार्गदर्शन एवं त्याग के बल पर ही आप सब इस मुकाम तक पहुंचे हैं।
एक सौ बारह वर्षों से कृषि क्षेत्र को योगदान दे रहे पूसा संस्थान के विद्यार्थी के रूप में आप सभी को एक बहुत ही गौरवशाली परंपरा से जुड़ने का अवसर मिला है। देश के खाद्यान्न उत्पादन में बहुत बड़ा बदलाव लाने वाली 'हरित-क्रांति' में, इस संस्थान की अहम भूमिका रही है। यहां के पूर्व छात्रों में डॉक्टर एम. एस. स्वामीनाथन, डॉक्टर संजय राजाराम और डॉक्टर एस. के. वासल जैसे, विश्व में सम्मानित, कृषि वैज्ञानिक शामिल हैं। डॉक्टर वी. एल. चोपड़ा, डॉक्टर आर. एस. परोदा और डॉक्टर वी. पी. सिंह जैसे कृषि वैज्ञानिकों ने यहां अध्यापन किया है और अपने अनुसन्धानों के द्वारा महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
मुझे जानकारी दी गई है कि वर्तमान में यहां चौदह देशों के विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। मुझे यह जानकर भी प्रसन्नता हुई है कि यह संस्थान हमारे पड़ोसी देशों, म्यांमार और अफगानिस्तान में, उच्च-कृषि-शिक्षा एवं अनुसन्धान के विकास में मदद कर रहा है।
मुझे बताया गया है कि आज देश में लगभग 276 मिलियन टन अनाज, 300 मिलियन टन बागवानी फसलों, 164 मिलियन लीटर दूध, और 11 मिलियन टन मछली का उत्पादन हो रहा है। जहां पहले हमें खाद्यान्न के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता था वहीं आज हम जरूरतमंद देशों की मदद कर रहे हैं। यही नहीं, हम कृषि उत्पादों का निर्यात करके विदेशी मुद्रा भी अर्जित कर रहे हैं। इस बदलाव के पीछे हमारे किसानों की कड़ी मेहनत के साथ-साथ, सरकार की नीतियों और आप जैसे कृषि विशेषज्ञों का विशेष योगदान है। इस योगदान के लिए, मैं आप सबकी सराहना करता हूं।
मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि इस संस्थान द्वारा विकसित बासमती किस्मों के निर्यात से करीब अठारह हजार करोड़ रुपये सालाना विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है।
इस संस्थान द्वारा विकसित, 'आम्रपाली' एवं 'मल्लिका' नामक आम की हाइब्रिड प्रजातियों से उड़ीसा एवं झारखण्ड के आदिवासी क्षेत्रों के किसानों की आय को बढ़ाने में सहायता मिली है। ये प्रजातियां पंद्रह से अधिक राज्यों में लगाई जा रही हैं। इन प्रजातियों की बागवानी सूखी और बंजर जमीनों में भी की जा सकती है, जहां दूसरी फसलों की खेती बहुत ही कठिन है।
इसी संस्थान द्वारा विकसित अनेक प्रजातियों के योगदान से देश में गेहूं का रेकॉर्ड उत्पादन हुआ है। इस संस्थान द्वारा विकसित सब्जी की किस्मों से देश में खाद्य सुरक्षा को आगे बढ़ाने में काफी मदद मिली है। आज राष्ट्रीय मिशन के तौर पर इस्तेमाल किए जा रहे 'नीम कोटेड यूरिया' की टेक्नोलोजी का विकास इसी संस्थान ने किया है। इस संस्थान के अनेक योगदान हैं, जिनमे से कुछ का ही मैंने उल्लेख किया है। इस संस्थान के योगदान बहुत ही सराहनीय हैं।
प्रिय विद्यार्थियों
महात्मा गांधी ने कहा था, "कृषि भारतीय अर्थ-व्यवस्था का मेरु-दंड है"। यह बात आज भी प्रासंगिक है। आज किसानों की आय और ग्रामीण क्षेत्र के सारे पहलुओं को सुधारना पूरे देश की प्राथमिकता है।
मुझे प्रसन्नता है कि आप सभी विद्यार्थियों ने कृषि क्षेत्र को अपने भविष्य का रास्ता चुना है। इस संस्थान के आप सभी विद्यार्थी, अपनी शिक्षा का उपयोग, किसानों के कल्याण और कृषि के विकास के लिए करते हैं। आज पूरा देश सन 2022 में, आजादी की पचहत्तरवीं वर्षगांठ मनाने के समय, किसानों की आमदनी को दोगुना करने की दिशा में प्रयासरत है। इस प्रयास में योगदान देने के लिए आप सभी विद्यार्थियों में पर्याप्त क्षमता है।
जैसा कि सभी जानते हैं, हमारे देश की आबादी के अनुपात में खेती लायक जमीन और जल- संसाधन की, अपेक्षाकृत कमी है। इसलिए, कम-से-कम पानी के इस्तेमाल से अधिक-से-अधिक पैदावार करने, तथा जमीन की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए निरंतर इनोवेशन करते रहने की आवश्यकता है। बीज से बाजार तक, खेती की पूरी प्रक्रिया में, इनोवेशन के अपार अवसर हैं। इन अवसरों का उपयोग करके, आप सभी विद्यार्थी, कृषि-विकास को बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जहां, किसानों में जागरूकता पैदा करने के बाद, उन्होने इनोवेशन को उत्साह के साथ अपनाया है, और अच्छे परिणाम प्राप्त किये हैं।
मुझे अनेक राज्यों के ऐसे उत्साही और सफल युवाओं के बारे में जानकारी मिली है, जिन्होंने उच्च-शिक्षा पूरी करने के बाद, परंपरागत खेती से अलग, कुछ नया करने का जोखिम उठाया। उन युवाओं ने फल, फूल, सब्जी के साथ रबी और खरीफ फसलों की खेती भी 'आर्गेनिक' तरीके से शुरू की। आज उनके रेड राईस, फलों और फूलों की मांग विदेशों में भी होने लगी है। ऐसे युवाओं से हमारे अन्य किसान भाई-बहनों को भी प्रेरणा मिलती है।
केंद्र और राज्य सरकारों ने कृषि, और कृषि पर आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए, अनेक योजनाओं की शुरूआत की है। कृषि उत्पादों को बाजार से जोड़ने के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं। अपनी शिक्षा का उपयोग करते हुए, केंद्र और राज्य सरकारों के इन कार्यक्रमों का बेहतर लाभ उठा कर, आप सबको कृषि पर आधारित स्व-रोजगार शुरू करना चाहिए।
मुझे जानकारी दी गई है कि इस संस्थान द्वारा विद्यार्थियों को, कृषि से जुड़े उद्योगों में अध्ययन के लिए थोड़े समय के लिए भेजा जाता है। यहां के विद्यार्थियों को कृषि क्षेत्र में अपना उद्यम शुरू करने में सहायता देने के लिए संस्थान द्वारा 'इनोवेशन सेंटर' अथवा 'इंक्यूबेशन सेंटर' शुरू करना चाहिए। केंद्र और राज्य सरकारों की अनेकों ऐसी योजनाएं हैं जिनमे कृषि क्षेत्र से जुड़े उद्यमों को विशेष प्रोत्साहन देने के प्रावधान हैं। इसके अलावा 'मुद्रा योजना' जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं जिनसे कर्ज लिया जा सकता है। बहुत से 'वेंचर कैपिटल फंड' हैं जो कृषि पर आधारित उद्यमों में निवेश करने के लिए आगे आ सकते हैं। स्व-रोजगार से जुड़ी सुविधाएं प्रदान करने वाली संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ, विद्यार्थियों का निरंतर पारस्परिक संवाद स्थापित करने में, इस संस्थान को सहायता करनी चाहिए। इस प्रकार के व्यावहारिक प्रयासों के आधार पर यहां के आप सभी विद्यार्थी अपनी योग्यता का उपयोग करने, जीविका चलाने और दूसरों को रोजगार देने के लिए अपना उद्यम शुरू कर सकेंगे।
मेरा मानना है कि आज इस दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थी, अपनी दिशा तय करने के साथ-साथ, देश के कृषि विकास में भी अपना योगदान देने के लिए तैयार हैं। हमारे किसानों की खुशहाली ही आपकी शिक्षा की सार्थकता का मापदंड है। आप सभी में किसानों के लिए 'चेंज एजेंट' बनने की क्षमता है। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे देश को कृषि के क्षेत्र में शिखर पर पहुंचाने के लिए आप जैसे प्रशिक्षित विद्यार्थी आगे आएंगे और इस संस्थान में अर्जित अपने ज्ञान और कौशल को किसान के हित में समर्पित करेंगे।
मैं एक बार फिर सभी विद्यार्थियों, अभिभावकों, शिक्षकों और इस दीक्षांत समारोह से जुड़े सभी लोगों को बधाई देता हूं। आज पदक हासिल करने वाले अध्यापक और विद्यार्थी विशेष सराहना के पात्र हैं। मैं आप सभी के सफल भविष्य की मंगल-कामना करता हूं।
धन्यवाद
जय हिन्द!

epmty
epmty
Top