राष्ट्र का भाग्य युवा बनाते हैं: उपराष्ट्रपति
नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति एम. वेंकेया नायडू ने कहा है कि राष्ट्र का भाग्य युवा बनाते हैं। वे आज यहां नीति आयोग और सीआईआई द्वारा आयोजित रोजगार एवं आजीविका सृजन-महत्वपूर्ण वृद्धि उत्प्रेरक संबंधी राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर ग्रामीण विकास, पंचायती राज एवं खान मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रम राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गिरिराज सिंह, नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत और अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे।
उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि युवाओं की क्षमता का भरपूर उपयोग करने के लिए उचित अवसरों का सृजन आवश्यक है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति के उपयोगी रोजगार के लिए अच्छी शिक्षा, औद्योगिक आवश्यकताओं के मद्देनजर प्रशिक्षण, सामाजिक सुरक्षा तंत्र, स्वास्थ्य सुविधाएं और बेहतर श्रम बाजार बहुत जरूरी है।
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि लोगों को सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से अधिकार संपन्न बनाने के लिए शिक्षा सर्वोत्तम उपाय है। उन्होंने कहा कि शिक्षा पहला महत्वपूर्ण वृद्धि उत्प्रेरक होती है, जो बेहतर आजीविका अवसरों, ज्ञानार्जन, कौशल विकास तथा मूल्य संवर्धन की अनिवार्य शर्त है। शिक्षा से न सिर्फ रोजगार प्राप्त करने में मदद मिलती हैं बल्कि व्यक्ति का आमूल विकास भी होता है।
उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि युवाओं को अवसरों का लाभ उठाने के लिए प्रशिक्षित किया जाए, ताकि वे रोजगार बाजार के लिए तैयार हो सकें। उन्होंने कहा कि युवाओं को उद्यम संबंधी कौशल प्रदान किया जाना चाहिए, ताकि वे 'रोजगार सृजक' बन सकें। उन्होंने आगे कहा कि उद्योगों को भी युवाओं को प्रशिक्षित करने और रोजगार पैदा करने के लिए आगे आना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि बेरोजगारी और अर्द्ध-बेरोजगारी हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती है, जिसकी तरफ प्रत्येक नागरिक को ध्यान देना चाहिए। उन्होंने निजी क्षेत्रों का आह्वान किया कि वे सरकार के रोजगार सृजन कार्यक्रमों के तीव्र कार्यान्वयन के लिए भागीदारी करे। उन्होंने कहा कि समृद्ध मानव पूंजी के निर्माण, निजी निवेशकों को प्रोत्साहन, अधिक वृद्धि क्षमता वाले क्षेत्रों पर ध्यान देना, विश्व भू-राजनीति के भावी रूझानों को समझना और उभरने वाले अवसरों का लाभ उठाने के लिए उचित तैयारी करना बहुत आवश्यक है तथा इससे भारी अंतर पैदा किया जा सकता है।
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