अमित शाह ने राज्यसभा में की शाहाना अंदाज में विपक्ष की खिंचाई

अमित शाह ने राज्यसभा में की शाहाना अंदाज में  विपक्ष की खिंचाई
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नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जब से राज्यसभा सदस्य बने हैं, तब से उन्हें इस उच्च सदन में बोलने का अवसर नहीं मिला। इस बीच राज्यसभा में कई विवादास्पद मुद्दे भी उठे जिसमे पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बाथरूम वाली टिप्पणी भी शामिल थी। विपक्षी दलों ने मांग कर रखी थी कि प्रधानमंत्री को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए। इसी प्रकार तीन तलाक पर केन्द्र सरकार के विधेयक को राज्यसभा में लटकाया गया। अमित शाह ने राज्यसभा में पहली बार पांच फरवरी को संबोधित किया और शाहाना अंदाज में उन्होंने विपक्ष की खिंचाई करते हुए महत्वपूर्ण मुद्दे भी उठाये। अमित शाह ने भाजपा की सत्ता को अडिग बताते हुए यहां तक कह दिया कि अभी 6 साल तक आपको मुझे सुनना पड़ेगा अर्थात् मौजूदा लोकसभा का एक साल ही नहीं अगली लोकसभा का कार्यकाल भी भाजपा का ही रहेगा। यहां अमित शाह की बात के दोहरे अर्थ भी लगाये जा सकते हैं क्योंकि राज्यसभा में उनका कार्यकाल 6 वर्ष का रहेगा। अमित शाह का संबोधन इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा था क्योंकि बजट सत्र से पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जो संयुक्त सदन में अभिभाषण दिया था, उस पर धन्यवाद प्रस्ताव पेश होना है और राष्ट्रपति ने मोदी सरकार की नीतियों और योजनाओं को ही प्रस्तुत किया था, इसलिए विपक्ष की मुहर लगवाने के लिए अमित शाह को अच्छी भूमिका बनानी थी।
इसमें कोई संदेह नहीं कि आक्रामक बल्लेबाज की तरह अमित शाह ने विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज करते हुए उन पर जमकर प्रहार भी किया। उन्होंने सबसे पहले पूर्व वित्तमंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदम्बरम के एक ट्वीट पर निशाना साधा। चिदम्बरम ने ट्वीट किया था कि मुद्रा बैंक के तहत किसी ने पकौड़े बनाने का ठेला लगा लिया है। भाजपा के लिए कांग्रेस की तरफ से इस तरह के बयान शार्ट पिच गेंद की तरह होते हैं और उन पर चोका-छक्का जड़ना उनको खूब आता है। सन् 2014 में मणिशंकर अय्यर ने कहा था कि चाय बेचने वाला इस देश का प्रधानमंत्री बनेगा तो इसे भाजपा ने खूब भुनाया था और चाय विक्रेताओं की इस कदर हमदर्दी हासिल की थी कि वे भाजपा के अटूट वोट बैंक बन गये थे। संघ की नीतियों से भले ही वे इत्तेफाक न रखते हों लेकिन चाय बेचने वाले की बिरादरी में शामिल होना उनके लिए खुशी की बात बन गयी थी। इसी प्रकार चाट-पकौड़ा बेचने वालों को इज्जत बख्शते हुए अमित शाह ने कहा कि हां, मैं कहता हूं कि बेरोजगारी से तो बेहतर है कि युवा मेहनत करके पकौड़े बनाने का काम करें।
इसके बाद अमित शाह ने विपक्ष पर कई तीखे वार किये और मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से मुक्ति दिलाने वाले विधेयक, ओवीसी आरक्षण जैसे विधेयकों को पारित कराने में विपक्ष से सहयोग भी मांगा। राज्यसभा में पहली बार अमित शाह करीब 75 मिनट तक बोले। उनके बोलने के समय पर विपक्ष के कुछ सदस्यों ने आपत्ति भी जतायी लेकिन राज्यसभा के सभापति ने उन्हें बोलने का भरपूर अवसर दिया। अमित शाह ने भी अपनी बातों को बहुत रोचक और प्रभावपूर्ण अंदाज में रखा। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का विशेष रूप से उल्लेख किया जिन्होंने अल्प समय में ही देश को विषम परिस्थितियों से उबारने में सफलता प्राप्त की थी। अमित शाह ने देश की राजनीति में तीन बुराइयों पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया और कहा कि देश के लिए ये नासूर हैं। अपनी बात को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि वंशवाद, जातिवाद और तुष्टीकरण की राजनीति ने ही इस देश को बर्बाद कर दिया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने इसे खत्म कर दिया है। अमित शाह ने भ्रष्टाचार को लेकर भी विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस पर निशाना साधा। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की तुलना भाजपा सरकार से करते हुए कहा कि यूपीए सरकार में 12 लाख करोड़ रुपये के घोटाले हुए थे, जबकि जब से भाजपा सत्ता में आयी है, एक भी भ्रष्टाचार का मामला उजागर नहीं हुआ है।
कांग्रेस की जीएसटी पर आलोचना का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि जीएसटी से गब्बर सिंह की तुलना करना दुखद ही नहीं देश की जनता को गुमराह करने जैसा है। उन्होंने कहा कि गब्बर सिंह शोले फिल्म में एक खूंखार डकैत का किरदार था। वह हत्यारा था और सीधी-सादी जनता को लूटता था। देश की कर प्रणाली देश की व्यवस्था चलाने का एक अंग है। सरकार कर वसूलती है तो उनसे विकास के कार्य होते हैं। इन करों को वसूलने का कानून बनाया जाता है। अमित शाह ने राज्यसभा में सवाल किया कि क्या कानून से बनाया हुआ कर वसूल करना डकैती है? इस तरह से विपक्ष के लोग जनता को गुमराह ही नहीं कर रहे बल्कि अराजकता की स्थिति पैदा कर रहे हैं। जनता को कर न देने के लिए उकसाना किसी भी रूप में उचित नहीं कहा जा सकता। विपक्ष को कोई सवाल न उठाने देने के लिए श्री शाह ने स्वयं कहा कि भाजपा ने मनमोहन सिंह की सरकार के जीएसटी का कभी भी विरोध नहीं किया था लेकिन भाजपा को उसके क्रियान्वयन को लेकर आपत्ति थी। इसलिए यह कहना ठीक नहीं होगा कि यूपीए सरकार के समय भाजपा जीएसटी का विरोध कर रही थी लेकिन अपनी सरकार के समय जीएसटी को लागू कर दिया। इस तरह के कई मामलों को उठाकर अमित शाह ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार को तीन साल तो पिछली सरकार के गड्ढे भरने में लग गये हैं। इसके बावजूद मोदी सरकार की उपलब्धियां कम नहीं हैं। इसके बाद अमित शाह ने स्वच्छता कार्यक्रम से लेकर उज्ज्वला योजना, अमृत, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, जन धन योजना, युवा सशक्तिकरण, किसानों की आमदनी दोगुनी करने, स्टार्टअप इण्डिया, मेक इन इण्डिया जैसी योजनाओं का जिक्र किया।
राज्यसभा को संसद का उच्च सदन माना जाता है। यह अलग बात है कि कभी-कभी हमारे माननीय इस सदन की गरिमा का ध्यान नहीं रखते और शोरगुल हंगामा करते हैं। इसके पीछे बोलने वाले की गंभीरता भी रहती है। अमित शाह इस उच्च सदन में चुटीले अंदाज में भी बोल रहे थे लेकिन आंकड़ों की मजबूत ढाल उनके पास थी। उन्होंने स्वच्छ भारत, उज्ज्वला, जनधन और स्किल इंडिया का उल्लेख किया तो यह भी बताया कि 37 हजार करोड़ रुपये जनधन योजना के तहत बैंकों में जमा हुए हैं और 31 करोड़ लोगों ने बैंक में इसके लिए खाते खुलवाये हैं। अमित शाह ने बताया कि देश की तीन करोड़ गरीब महिलाओं को उज्ज्वला योजना के तहत गैस के कनेक्शन दिये गये हैं। अभी पेश किये गये बजट का हवाला देकर कहा कि दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है जहां राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत गरीबों को पांच लाख तक का बीमा उपलब्ध कराया गया हो। यह योजना 210 करोड़ परिवारों को आच्छादित करेगी। उन्होंने राजग के सहयोगी दलों की भी तारीफ की और कहा कि सरकार की योजनाओं को उनका भरपूर समर्थन मिला है। जीएसटी को लेकर राज्य सरकारों की चिंता को जिस तरह केन्द्र सरकार ने दूर किया है, उसका भी जिक्र करना अमित शाह नहीं भूले और सदन को बताया कि राज्य सरकारों को जीएसटी के लागू होने से किसी प्रकार से आर्थिक नुकसान नहीं हुआ है और केन्द्र ने 37 हजार करोड़ रुपये राज्यों को इसके लिए दिये हैं।
यही कारण रहा कि सवा-डेढ़ घंटे तक अमित शाह को सदन ने गंभीरता से सुना और कोई विशेष टीका-टिप्पणी नहीं हुई। थोड़ी देर के लिए विपक्ष के कुछ सदस्य कानाफूसी करते दिखे भी तो अमित शाह ने यह कहकर माहौल को सहज बना दिया कि अभी 6 साल तक आपको मुझे सुनना पड़ेगा। इस प्रकार भाजपा अध्यक्ष का राज्यसभा में पहला संबोधन यादगार भी बन गया है और अपनी सरकार के पक्ष को मजबूती से रखकर विपक्षियों को यह संदेश भी दे दिया है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर मीन-मेख निकालने का प्रयास न करें।

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