सूचना अधिकारी अपने नेम प्लेट, फोन नम्बर की लिस्ट, मिलने का समय अपने कार्यालय में लगाएं : सूचना आयुक्त

सूचना अधिकारी अपने नेम प्लेट, फोन नम्बर की लिस्ट, मिलने का समय अपने कार्यालय में लगाएं : सूचना आयुक्त

लखनऊ : आरटीआई और अधिक सशक्त, मजबूत और कारगर बनाने के लिए सूचना अधिकारी अपने नेम प्लेट, फोन नम्बर की लिस्ट, मिलने का समय अपने कार्यालय में लगाएं। यह निर्देश आज यहां गोमतीनगर स्थित आरटीआई भवन के कक्ष संख्या 305 में विभिन्न जनसूचना अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के दौरान सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने दिए।

हाफिज उस्मान ने कहा कि 15 दिन के भीतर यह नेम प्लेट लगाकर आयोग को अवगत कराये। सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग लखनऊ के अधिकाारियों द्वारा अवगत कराया गया कि आयोग के पिछली बार दिये गये आदेशानुसार कार्यालय में अधिकारियों के नाम, पदनाम और मोबाइल नम्बर की नेमप्लेट लगा दी गयी है, इस पर आयुक्त ने विभाग के अधिकारियों के कार्यों की सराहना की।

बैठक के दौरान उपस्थित अधिकारियों ने सूचना अधिकार अधिनियम के तहत आरटीआई से सम्बन्धित आने वाले आवेदनों और उनका निपटारा करने में आने वाली समस्याओं के बारे में राज्य सूचना आयुक्त को अवगत कराया। हाफिज उस्मान ने आरटीआई की विस्तृत जानकारी देते हुए उन्हें बताया कि प्रत्येक लोक प्राधिकरण द्वारा अपने अधीन प्रशासनिक इकाइयों तथा कार्यालयों में उतनी संख्या में जितनी आवश्यकता हो, अधिकारियों को जनसूचना अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाय। उन्होंने यह भी बताया कि अपने लम्बित वादों की सूची देखने के लिए राज्य सूचना आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर भी सप्ताहिक वादों की सूची (पार्ट-1 और पार्ट-2) के तहत देखी जा सकती है कि उनके विभाग का लम्बित वाद किस क्रमांक पर आयोग में लगा है।
हाफिज उस्मान ने सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों को निदेर्शित किया कि विभाग द्वारा आवेदनकर्ता को यह बताया जाये कि वह सूचना के अधिकार के तहत जो सूचना चाह रहे हैं, वह सादे कागज पर स्पष्ट लिखित, टंकित या आर0टी0आई0 के प्रारूप पर सूचना मांगे जो नए नियमावली के तहत निर्धारित 500 शब्दों से अधिक न हो, और स्पष्ट एवं पठनीय हो । जो सूचना तृतीय पक्ष या व्यक्तिगत की सूचना हो, उसके सम्बन्ध में आप तृतीय पक्ष से पत्राचार कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, कि उसकी सूचना आवेदनकर्ता को दी जाये या नहीं। तृतीय पक्ष द्वारा जैसा बताया जाये वैसी रिपोर्ट आवेदनकर्ता को दी जाये। मामला आयोग में आने पर आयोग द्वारा इसे संज्ञान में लिया जायेगा और नियम के तहत निर्णय लिया जायेगा। जिस सूचना का सम्बन्ध आपके विभाग से न हो, उस प्रार्थना-पत्र को शीघ्र ही 05 दिन के अन्दर सम्बन्धित विभाग को पत्र भेज सकते हैं। लेकिन जब सूचना उसी विभाग से सम्बन्धित हो, जिससे वादी ने आरटीआई के तहत सूचनाएं मांगी है, तो उस स्थिति में जनसूचना अधिकारी को चाहिए कि वह सूचना धारित उच्च अधिकारी/कर्मचारी को सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत पत्र लिखकर सूचित करें कि वादी की सूचनाओं का सम्बन्ध आपसे हैं, सूचनाएं उपलब्ध कराये। इसके बावजूद भी सम्बन्धित अधिकारी द्वारा प्रकरण में कोई कार्यवाही नहीं की जाती है, तो इसकी सूचना आप आयोग को दे, फिर आयोग सम्बन्धित अधिकारी को नोटिस जारी करेगा कि वादी की सूचनाएं उपलब्ध कराये।
समीक्षा बैठक में हाफिज उस्मान ने सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के अपीलीय एवं जनसूचना अधिकारियों के दिये गये लम्बित वादों की सूची पर सख्त रूख अपनाते हुए, सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि अप्रैल, 2018 के आखिरी सप्ताह में होनी वाली समीक्षा बैठक तक अपने सभी लम्बित वादों को अधिनियम के तहत निपटाये। उन्होंने कहा कि आरटीआई के आवेदनों को सभी अधिकारी गम्भीरता से लेने लगेंगे तो आयोग पर आवेदन का बोझ बहुत कम होगा।

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