केन्द्रीय बजट में वादों की झड़ी है, झूठे दिलासे देने में कोई कमी नहीं है : अखिलेश यादव

केन्द्रीय बजट में वादों की झड़ी है, झूठे दिलासे देने में कोई कमी नहीं है : अखिलेश यादव

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लोकसभा में प्रस्तुत केंद्रीय बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि किसान, गरीब, श्रमिक, नौजवान, महिलाएं, छोटे दुकानदार सभी इस बजट से हतप्रभ हैं। वे समझ नहीं पा रहे हैं कि इसमें उनके हित की योजना कहां है?
इस बजट से, जो कि केंद्र में भाजपा सरकार का अंतिम बजट है, किसानों को घोर निराशा हुई है। उनके साथ बड़ा धोखा हुआ है। उनकी आय दुगनी होने से तो रही, इस बजट से किसानों को फसल का लागत मूल्य मिलना भी संभव नहीं है। इस तरह इस बजट से 80 प्रतिशत आबादी का भविष्य अंधकार में धकेल दिया गया हैं। कृषि और ग्रामीण क्षेत्र में सुधार की तमाम संभावनाएं भी खत्म कर दी गई है।
वस्तुतः भाजपा ने बहकाने और भरमाने की राजनीति को नया विस्तार इस तरह दिया है कि किसानों, गरीबों, बेरोजगार नौजवानों की अंतिम आस भी उनके अंतिम बजट के साथ दमतोड़ गई है। जिस जुमलेबाजी और प्रलोभन का सहारा लेकर भाजपा सत्ता में आई थी उसी चालाकी से फिर गुमराह किया गया है।
केन्द्रीय बजट में वादों की झड़ी है, झूठे दिलासे देने में कोई कमी नहीं है। नौजवानों को नौकरियों का झांसा है, 2022 तक सबको घर देने का वादा है जबकि भाजपा सरकार का कार्यकाल 2019 में ही समाप्त हो रहा है। स्टार्टअप से रोजगार कैसे मिलेगा। इसकी कोई स्पष्ट रूपरेखा नहीं है। भाजपा के बहुप्रचारित 'न्यू इण्डिया' की नींव कहां पड़ी है? जनता ढ़ूंढ़ रही है।
भाजपा चार साल पहले जिन दावों और वादों के बल पर जीतकर केंद्र की सत्ता में आई थी उनको उसने पूरी तरह भुला दिया है। अब उसकी जनविरोधी और पूंजी घरानों की पक्षपाती राजनीति का जनता के बीच खुलासा हो गया है। इस बजट से विकास की दूर-दूर तक कोई सम्भावना नहीं दिखती है। भाजपा की पहाड़ खोदने की कोशिश में दुष्परिणाम के दर्शन होने लगते है। यह बजट एक दुःस्वप्न साबित होने वाला है। इसका भ्रम टूटने में देर नहीं लग सकती है।

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