योगी आदित्यनाथ का जादू त्रिपुरा में भी चलेगा

योगी आदित्यनाथ का जादू  त्रिपुरा में भी चलेगा
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लखनऊ : पूर्वोत्तर भारत के राज्य त्रिपुरा में अगले महीने अर्थात फरवरी 2018 में विधान सभा चुनाव होंगे और इस बार के चुनाव पिछले चुनावों से काफी अलग दिख रहे हैं। इसका कारण है भाजपा का वहां कड़े मुकाबले में आना। अबतक धुर वामपंथ ने वहां दक्षिण पंथ को घुसने नहीं दिया था लेकिन इस बार उसी दक्षिणपंथी कही जाने वाली भाजपा से वाममोर्चे को मुख्य मुकाबला करना पड़ रहा है। यह बात स्वयं मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने कही है जो 1998 से लगातार वहां मुख्यमंत्री रहे हैं और अपने सामने किसी को टिकने नहीं दिया। पिछले विधान सभा चुनाव में राज्य की 60 सदस्यीय विधान सभा में माणिक सरकार ने अपनी पार्टी को 49 विधायक दिये थे और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को सिर्फ 10 विधायक मिल पाये थे। इनमें से 6 विधायक पाला बदलते हुए अब भाजपा के साथ हैं और भाजपा वहां मुख्य विपक्षी पार्टी बन गयी है। मुख्यमंत्री माणिक सरकार पर वहां के साम्प्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने का आरोप भी लगाया जा रहा है और ऐसे में भाजपा को योगी आदित्यनाथ जैसे नेता की वहां के चुनाव में विशेष जरूरत पड़ गयी है। गुजरात में भी योगी आदित्यनाथ ने चुनाव प्रचार का मोर्चा संभाला था और जिन क्षेत्रों में श्री योगी ने प्रचार किया था, वहां से 19 विधायक भाजपा को मिले हैं। अब त्रिपुरा में योगी का चमत्कार इसलिए भी देखने को मिल सकता है क्योंकि त्रिपुरा की लगभग एक-तिहाई आबादी गोरक्ष पीठ के गुरू गोरखनाथ को मानने वाली है और उसी पीठ के मौजूदा समय में पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ हैं। श्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कड़क नेता की भूमिका निभाई है। त्रिपुरा के प्रभारी सुनील देवधर ने योगी के लिए विशेष अनुरोध भी किया है।
त्रिपुरा में माणिक सरकार लगातार पांच कार्यकाल से मुख्यमंत्री का पद संभाले हुए हैं और उन्होंने अन्य नेताओं की अपेक्षा कुछ हटकर भी काम किया है। वह 1998 में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे और मुख्यमंत्री के रूप में मिलने वाला अपना पूरा वेतन पार्टी फंड के लिए दान कर देते हैं इस प्रकार उन्होंने यह दिखाने की कोशिश जरूर की है कि वह सबसे गरीब मुख्यमंत्री हैं। उनके पास इस समय सिर्फ 1520 रूपये की नकदी है। इसी वर्ष की 20 जनवरी को बताया गया था कि उनका बैंक बैलेंस 2410 रूपये का है। पिछले चुनाव के समय भी उन्होंने अपना बैंक बैलेंस 9720 रूपये घोषित किया था। वह अपनी पार्टी के लिए प्रतिबद्ध हैं और पार्टी से उन्हें 10 हजार रूपये महीने गुजारा भत्ता दिया जाता है। जनता यह सवाल करने लगी है कि मुख्यमंत्री यदि वेतन का पैसा नहीं लेते हैं तो उसे सरकारी खजाने में जमा करवाना चाहिए। इससे सरकारी योजनाएं बनेंगी। एक तरफ मुख्यमंत्री पैसे की कमी का रोना रोया करते हैं और राज्य कर्मचारियों को अभी तक चैथा वेतन आयोग ही दे पाये हैं जब कि दूसरे राज्यों में पाचवां वेतन आयोग भी लागू हो चुका है। इसलिए मुख्यमंत्री माणिक सरकार ढकोसला कर रहे हैं। माणिक सरकार ने वहां भाजपा की लोक प्रियता को कम करने के लिए सद्भाव बिगाड़ने का भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रयास किया। इससे भाजपा को त्रिपुरा में अपनी जड़ें मजबूत करने का मौका भी मिला है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री येागी आदित्यनाथ को त्रिपुरा में विधान सभा चुनाव के लिए महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है। त्रिपुरा के एक तिहाई लोग योगी गोरक्षनाथ का बहुत सम्मान करते हैं, इस नाते वे योगी आदित्यनाथ का वहां बेसब्री से इंतजार कर रहे। हालांकि अभी वहां के लिए योगी आदित्य नाथ के चुनावी दौरों की तारीखें तय नहीं हुई हैं लेकिन चुनाव के दौरान योगी आदित्यनाथ की वहां ज्यादा से ज्यादा चुनाव सभाएं करायी जाएंगी। ऐसा माना जा रहा है कि राज्य की 60 सदस्यीय विधान सभा के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दो चुनाव रैलियां और एक रोड शो करेंगे। इसके लिए 8 फरवरी की तारीख तय है जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी त्रिपुरा के दौरे पर होंगे। इसी दिन उन्हें दो बड़ी चुनाव रैलियों को संबोधित करना है। मतदान से लगभग तीन दिन पहले 15 फरवरी को राज्य की राजधानी अगरतला में श्री मोदी का रोड शो कराया जाएगा। इसी प्रकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह वहां 11 फरवरी से ही डेरा जमा लेंगे। चुनाव के प्रबंधन और तत्काल कोई व्यवस्था करने में श्री अमित शाह का कोई मुकाबला नहीं कर सकता है। इसलिए श्री शाह 11 फरवरी से 18 फरवरी तक वहां रहेंगे और मतदान सम्पन्न करवाएंगे।
योगी आदित्यनाथ की इस बीच त्रिपुरा में कई चुनाव सभाएं करायी जा सकती हैं। संभावना यह भी है कि श्री योगी प्रधानमंत्री के रोड शो में भी शामिल होंगे। त्रिपुरा में इस बार वाम मोर्चा सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए भाजपा ने नेताओं की फौज वहां के लिए तैनात कर दी है। केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के लिए सात विधान सभा क्षेत्रों में रोड शो कराने का दायित्व सौपा गया है। राजनाथ सिंह 7 फरवरी को त्रिपुरा में होंगे। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्वास नकवी भी रोड शो करेंगे। राज्य के सभी नेताओं को महत्व देते हुए उन्हें रोड शो और रैलियों में मंच पर लाया जाएगा। भाजपा के चुनाव प्रचार में कांग्रेस के वे आधा दर्जन विधायक जो तृणमूल कांग्रेस होते हुए भाजपा में आये हैं, विशेष भूमिका निभा रहे हैं।
त्रिपुरा में चुनाव की रणनीति तैयार करने में वहां के प्रभारी सुनील देवधर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। श्री सुनील देवधर को त्रिपुरा का जब प्रभार सौंपा गया था, तब वहां भाजपा का जनाधार बहुत कमजोर था। श्री देवधर ने पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ताओं के साथ राज्य का दौरा किया और घर-घर जाकर लोगों से सम्पर्क भी किया। इससे जनता को वहां की सरकार से क्या समस्याएं हैं, इसे समझने का अवसर मिला। श्री सुनील देवधर ने त्रिपुरा की जनता के सामने भाजपा की केन्द्र सरकार और भाजपा की राज्य सरकारों के बारे में प्रगतिशील तस्वीर रखी। उन्होंने बताया कि जिन राज्यों में भाजपा की सरकार है, वहां कितनी तरक्की हुई है। इसके बाद ही लोगों को वाममोर्चा सरकार की सच्चाई पता चली। जनता को जब यह पता चला कि केन्द्र सरकार से राज्य को ढेर सारा पैसा मिला है लेकिन उसका उपयोग माणिक सरकार ने दूसरे कार्यों जैसे कि स्मारक आदि बनवाने में कर दिया है, तो जनता ने वाममोर्चा सरकार से अपना मोह भंग किया। राज्य कर्मचारियों को पता ही नहीं था कि देश के अन्य राज्यों में सातवां वेतन आयोग लागू हो गया है। वह तो माणिक सरकार के इस भुलावे में फंसे थे कि सरकार के पास इतने पैसे ही नहीं है जिससे राज्य कर्मचारियों को सातवां वेतन दिया जा सके। श्री सुनील देवधर ने जो भूमिका बनायी थी, आज वही भाजपा का आधार बना है।
सुनील देवधर ने ही योगी आदित्य नाथ के चुनावी दौरे पर ज्यादा जोर भी दिया। उनका तर्क भी वजनदार था। उन्होंने कहा कि माणिक सरकार एक सम्प्रदाय विशेष को संतुष्ट करने का प्रयास करते हैं जबकि त्रिपुरा की एक तिहाई आबादी गुरु गोरखनाथ को मानने वाली है। गोरक्षापीठ के पीठाधीश्वर महंत योगी आदित्य नाथ हैं तो उनका चुनावी दौरा यहां पर जनता को भाजपा के पक्ष में खड़ा कर देगा।

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