आरटीआई के नए नियमों के तहत आवेदनों को गम्भीरता से ले :राज्य सूचना आयुक्त
लखनऊ : राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने "संस्कृति विभाग, लखनऊ" के अधिकारियों की समीक्षा बैठक करते हुए, सम्बन्धित अधिकारियों से "सूचना अधिकार अधिनियम-2005" के तहत आने वाले आवेदन-पत्रों का निस्तारण करने में उनके सामने कैसी-कैसी समस्याएं आती है। उपस्थित अपीलीय/जनसूचना अधिकारियों ने मा0 आयोग से आवेदन-पत्रों को शीघ्र निपटाने के विषय में पूछा और आयोग द्वारा आरटीआई के नियमों के तहत उन्हें जानकारी दी। कुछ अधिकारियों का मत था कि व्यक्तिगत सूचनाएं देने में सबसे ज्यादा परेशानी आती है। इस सम्बन्ध में आयुक्त महोदय ने अधिकारियों को अवगत कराया कि जो सूचना तृतीय पक्ष या व्यक्तिगत की सूचना हो, उसके सम्बन्ध में आरटीआई की धारा 8 (जे) के तहत आप तृतीय पक्ष से पत्राचार कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं कि उसकी सूचना आवेदनकर्ता को दी जाये या नहीं, जैसा तृतीय पक्ष द्वारा बताया जाये वैसी रिपोर्ट आवेदनकर्ता और आयोग को दी जाये, आयोग इसे संज्ञान में लेगा, सूचना जनहित एवं भ्रष्टाचार से सम्बन्धित होने पर आयोग तृतीय पक्ष को नोटिस भी जारी करेगा।
आयोग ने अधिकारियों से सूचना में विलम्ब का कारण पूछा तो कुछ अधिकारियों का मत था कि जब सूचना धारित अधिकारी/कर्मचारी से सूचना मांगी जाती है, तो वह सूचना नहीं देते है, इसलिए सूचना में विलम्ब होता है, जिस कारण आयोग द्वारा आरटीआई एक्ट के तहत कार्यवाही कर दी जाती है, जिसका खामियाजा जनसूचना अधिकारी भुगतते है। इस पर आयुक्त महोदय ने अधिकारियों को अवगत कराया कि वादी के प्रार्थना-पत्र में जिस बिन्दु की सूचना का सम्बन्ध आपके विभाग से न हो, वहाॅ पर अधिनियम की धारा-6(3) के तहत 05 दिन के अन्दर सम्बन्धित विभाग को पत्र अन्तरित कर सकते हैं, लेकिन जब सूचना उसी विभाग से सम्बन्धित हो, जिससे वादी ने आरटीआई के तहत सूचनाएं मांगी है, तो उस स्थिति में जनसूचना अधिकारी को चाहिए कि वह सूचना धारित अधिकारी/कर्मचारी को सूचना अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 5(5), 5(4) के तहत पत्र लिखकर सूचित करें कि वादी की सूचनाओं का सम्बन्ध आपसे हैं, सूचनाएं उपलब्ध कराये, जिससे वादी को सूचनाएं दी जा सके। इसके बावजूद भी सम्बन्धित द्वारा प्रकरण में कोई कार्यवाही नहीं की जाती है, तो इसकी सूचना आप आयोग को दे, फिर आयोग सम्बन्धित अधिकारी को नोटिस जारी करेगा कि वादी की सूचनाएं उपलब्ध कराये, फिर भी सम्बन्धित अधिकारी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती है, तो फिर आयोग जनसूचना अधिकारी पर कार्यवाही न करके, सम्बन्धित अधिकारी के विरूद्ध सूचना अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 20(1) के तहत दण्डात्मक एवं धारा 20(2) के तहत विभागीय कार्यवाही करेगा।