नरेन्द्र मोदी का संदेश डोनाल्ड ट्रम्प तक पहुंचा
नई दिल्ली : भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत दिनों स्विटजरलैण्ड के दावोस में विश्व आर्थिक शिखर सम्मेलन में दुनिया के लिए तीन बड़े खतरे बताये थे। इनमे एक था जलवायु परिवर्तन पर सभी देशों का एकजुट होकर काम न करना। अमेरिका ने जलवायु समझौते से अलग होने की घोषणा कर दी थी। मोदी की बात का असर डोनाल्ड ट्रम्प पर पड़ा है। पिछले साल जून में पैरिस जलवायु समझौते को अमरीकी अर्थव्यवस्था के लिए 'बेकार संधि' बताकर इस से बाहर होने वाले अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कुछ शर्तों के साथ समझौते में फिर से शामिल होना चाहते हैं। गत दिनों प्रसारित अपनी टिप्पणी में राष्ट्रपति ने कहा कि यदि इस संधि में कुछ जरूरी बदलाव कर दिए जाएं, तो अमरीका इसमें शामिल हो जाएगा। पैरिस जलवायु समझौते से बाहर होने के बाद ट्रंप को विश्व स्तर पर आलोचना का शिकार होना पड़ा था। अपने पूर्ववर्ती बराक ओबामा द्वारा हस्ताक्षरित इस ऐतिहासिक समझौते पर आलोचनाओं से बेपरवाह ट्रंप ने कहा कि वह इस करार पर हस्ताक्षर करने को तैयार हैं, बशर्ते कि उसमें संशोधन किए जाएं। ट्रम्प को कुछ शिकायत है। लंदन के एक टीवी इंटरव्यू में अमरीकी राष्ट्रपति ने कहा कि यह करार हमारे लिए बहुत बड़ी आपदा साबित होता। उन्होंने मौजूदा संधि को अमरीका के लिए खौफनाक और अनुचित बताते हुए कहा कि यदि वह इसे एक अच्छा समझौता बनाएं, तो हम उसमें लौटने के लिए हमेशा तैयार हैं। गौरतलब है कि 2015 में पैरिस में व्यापक विचार-विमर्श के बाद इस ऐतिहासिक समझौते को 197 देशों ने अपनी मंजूरी दे दी थी। हालांकि श्री ट्रम्प को कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है इनमे रूस के साथ संबंध भी शामिल हैं। रूस की हरकतों से अमेरिका भड़कता भी है लेकिन अमेरिका का मानना है कि रूस को लेकर अभी प्रतिबंध लगाने की जरूरत नहीं है।
अमरीका की नौसेना का निगरानी विमान गत दिनों काले सागर के ऊपर रूस के लड़ाकू जेट से टकराते-टकराते बचा। रूस की इस हरकत से भड़के अमरीकी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करके इस घटना की पुष्टि की है। अमरीकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि काले सागर के ऊपर निगरानी करने वाले अमरीका की नौसेना का एक विमान रूस के लड़ाकू विमान के पांच फुट के दायरे में आ गया था। अमरीका ने इस घटना को परस्पर असुरक्षित क्रिया करार दिया है। अमरीका ने अपने बयान में कहा, हम रूस से इस असुरक्षित कार्रवाई पर बात करेंगे। इस घटना ने गणना के जोखिम, हवा में टक्कर और दोनों पक्षों के हवाई क्रू के खतरे को बढ़ा दिया है।
इसके अलावा अमेरिकी खुफिया एजेन्सी सीआईए को आशंका है कि अमेरिका के आगामी चुनावों में भी हस्तक्षेप कर सकता है रूस। केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) के निदेशक माइक पॉम्पिओ ने एक इंटरव्यू में कहा कि रूस का चुनावों में हस्तक्षेप खत्म नहीं हुआ है और मॉस्को 2018 में होने वाले अमेरिकी मध्यावधि चुनावों में भी हस्तक्षेप कर सकता है। माइक पॉम्पिओ ने रूस के एक इंटरव्यू में कहा, मैंने उनकी गतिविधियों में कोई महत्वपूर्ण कमी नहीं देखी है। उन्होंने कहा, मुझे पूरी आशंका है कि वे ऐसा करने का प्रयास जारी रखेंगे और ऐसा करेंगे... लेकिन मुझे विश्वास है कि अमेरिका स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव करा सकेगा। हम पूरी कोशिश करेंगे कि चुनावों पर उनका प्रभाव न पड़े। अमेरिका की शीर्ष खुफिया एजेंसी ने वर्ष 2016 में आरोप लगाया था कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उस साल हुए राष्ट्रपति चुनावों में हिलेरी क्लिंटन के चुनाव अभियान को कमजोर करने और डोनाल्ड ट्रंप की जीत की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए व्यापक खुफिया प्रयास किए थे। बहरहाल, ट्रंप लगातार इन आरोपों को खारिज करते रहे हैं। वर्ष 2018 के मध्य अवधि चुनावों में प्रतिनिधि सभा के सभी 435 सदस्य और 33 सेनेटर हिस्सा लेंगे।
यही कारण है कि अमेरिका का मानना है कि रूस पर और प्रतिबंधों की जरूरत नहीं है। अमेरिकी सरकार का कहना है कि दुनिया के विभिन्न देशों की सरकारों ने रूस की हथियार कंपनियों के साथ अरबों डॉलर के सौदे रद्द कर दिए हैं और ऐसे में उन्हें नियंत्रित करने के लिए और प्रतिबंध लगाने की जरूरत नहीं है।
हालांकि, अमेरिकी राजस्व विभाग की ओर से अभी तक रूस के तेल उद्योगपतियों के संबंध में कोई सूची जारी नहीं की गयी जबकि आशा की जा रही थी कि राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के करीबी होने के कारण उन पर प्रतिबंध लगने की आशंका सबसे ज्यादा है।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा पिछले वर्ष हस्ताक्षरित प्रतिबंधों के जरिए अमेरिकी दुश्मनों से निपटने संबंधी कानून को लागू करने की 30 जनवरी को अंतिम तिथि थी। इस कानून को विदेश और राजस्व विभाग को लागू करना था। अमेरिकी सांसदों को डर था कि पुतिन के साथ संबंधों को बेहतर बनाने की उत्सुकता में ट्रंप अमेरिकी चुनावों में हस्तक्षेप करने और यूक्रेन को अस्थिर बनाने के लिए संभवतः मॉस्को के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं करेंगे।
हाउस आफ सर्जेन्ट की लापरवाही: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 31 जनवरी को आयोजित होने वाले पहले आधिकारिक 'स्टेट ऑफ द यूनियन एड्रेस' में मेहमानों को आमंत्रित करने वाले टिकट गलत छपने के बाद फिर से जारी किए गए। टिकट पर 'एड्रेस टू द कांग्रेस ऑन द स्टेट ऑफ द यूनियम'' छप गया था। अशुद्धि का मजाक उड़ाते हुए फ्लोरिडा के सीनेटर मार्को रुबियो ने ट्वीट किया, ''बुधवार को आयोजित होने वाले स्टेट ऑफ द यूनियम को लेकर उत्साहित हूं। एरीजोना के प्रतिनिधि रॉल ग्रीजवला ने शिक्षा सचिव पर प्रहार करते हुए लिखा, ''अभी मुझे स्टेट ऑफ द यूनियन की टिकट मिली। लगता है बैट्सी डेवोस को वर्तनी जांच के लिए रखा गया था। एसओटीयू नियम टिकटों की छपाई और वितरण की जिम्मेदारी 'द हाउस ऑफ सर्जेंट एट आर्मस' की है। अधिकारी ने बताया कि गलती तत्काल ही ठीक कर ली गई और दर्जनों टिकट बदल दिए गए हैं। गौरतलब है कि टिकट में यूनियन की स्पेलिंग में अंत में 'एन' के स्थान पर 'एम' छप गया था जिससे उसका उच्चारण बदल कर 'यूनियम' हो गया।
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