महबूबा मुफ्ती की सियासत किस दिशा में जा रही है

महबूबा मुफ्ती की सियासत किस दिशा में जा रही है
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नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की राजनीति किस दिशा में जा रही है, इसको लेकर राजनीतिक जानकारों ने चिंता जतायी है। राज्य में शांति स्थापित हो, यह तो सभी चाहते हैं। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इसके लिए जनता से अपील भी की और अलगाववादियों को फटकार भी लगायी थी लेकिन अभी हाल में सुरक्षा बलों के प्रति उन्होंने जो रवैया दिखाया है, उससे लगता है कि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को सुरक्षा बलों की उतनी चिंता नहीं है जितनी उन भटके हुए युवाओं की है जो अलगाववादियों और आतंकवादियों के इशारे पर पत्थरबाजी करते हैं।

हालांकि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी कड़ी सुरक्षा के घेरे में रहती हैं और इन सुरक्षाकर्मियों पर उनका विश्वास भी है लेकिन शोपिया जिले में गत दिनों सेना के जवानों पर जब पथराव किया गया और जवानों को आत्मरक्षा में गोली तक चलानी पड़ी, तब मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का रवैया बदला-बदला सा नजर आया। उस समय लगा कि उन्हें उन सुरक्षा बलों की कोई परवाह नहीं है बल्कि परवाह है तो केवल उन कश्मीरी नौजवानों की जो पाकिस्तान पोषित अलगाववादियों एवं आतंकवादियों के बहकावे में आकर कानून की धज्जियां उड़ाते हुए सुरक्षा बलों के जवानों पर पत्थर बरसाते हैं।
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री के साथ गृहमंत्रालय का भी कार्यभार संभाले हुए हैं। पिछले दिनों सोपिया जिले में सेना के जवानों पर पथराव हुआ था। पथराव के दौरान जूनियर कमीशंड अफसर (जेसीओ) को पीट-पीट कर मारने का प्रयास पत्थरबाजों ने किया था। ऐसे हालात में सेना के जवान गोली न चलाते तो क्या करते? क्या वे अपने साथी को मर जाने देते?
अब इस मामले में मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का रवैया देखिये। उन्होंने जेसीओ को पीट-पीट कर मारने का प्रयास करने वाले पत्थरबाजों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की जरूरत नहीं समझी लेकिन सेना के उन जवानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के निर्देश जरूर दिये। हद तो तब हो गयी जब मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्य विधानसभा में विपक्षी दलों के हमले से बचने के लिए केन्द्रीय रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण से बात करके केन्द्र सरकार पर भी दबाव बनाया।
पता चला है कि रक्षा मंत्री निर्मला सीता रमण ने भी सेना के जवानों के खिलाफ ही घटना की उच्चस्तरीय जांच कराने का आश्वासन दिया था लेकिन अब पीडीपी अकेले पड़ गयी है।

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