भारत की टेक्सटाइल समृद्धि अद्वितीय: स्मृति ईरानी

भारत की टेक्सटाइल समृद्धि अद्वितीय: स्मृति ईरानी

नई दिल्ली : भारत सरकार में भारत की टेक्सटाइल समृद्धि अद्वितीय: स्मृति सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का महत्वपूर्ण दायित्व संभालने के साथ स्मृति ईरानी कपड़ा मंत्रालय का कार्यभार भी देख रही हैं। भारत का वस्त्र उद्योग एक समय पूरी दुनिया का आकर्षण बना हुआ था। उस समय भारत अविभाजित था और ढाका का मलमल ऐसा जादुई होता था कि अंगूठी के अंदर से पूरी साड़ी निकाल दी जाती थी। चिकन और कसीदाकारी का हुनर ब्रिटिश साम्राज्य को इस तरह डराने लगे थे कि कितने ही कारीगरों के अंगूठे कटवा दिये गये थे। इस सबके बावजूद भारत की वस्त्र उद्योग की क्षमता कम नहीं हुई है। केन्द्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने एसोसिएशन आॅफ साउथ ईस्ट एशियाई नेशन (आसियान) के राजनेताओं को भारत के वस्त्रोद्योग के इसी जादू से परिचित कराया। केन्द्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा भारत के हस्तकरघे का आज भी कोई जवाब नहीं है। स्मृति ईरानी ने चीन की वस्त्र उद्योग पर एकाधिकारवादी नीति से आसियान देशों को सचेत भी किया। भारत में कपास, ऊन, रेशम की गुणवत्ता को आजमाने का आसियान देशों को निमंत्रण भी दिया है। केन्द्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी की बातों से आसियान के राष्ट्राध्यक्ष प्रभावित भी हुए हैं और संभावना बढ़ी है कि आसियान के साथ भारत का कपड़ा कारोबार और विस्तार पाएगा।
गणतंत्र दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया, इससे स्मृति ईरानी को भी उनसे संवाद करने का अच्छा अवसर मिला। सुश्री स्मृति ईरानी ने दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के साथ कपड़ा के कारोबार को बेहतर व व्यवस्थित करने की वकालत की है। कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, भारत आसियान देशों के लिए टेक्सटाइल सामग्री प्राप्त करने का एकल खरीद स्थल हो सकता है। उद्योग संगठन फिक्की की ओर से आयोजित कारोबारी सम्मेलन में आसियान देशों के कारोबारी दिग्गजों की उपस्थिति में ईरानी ने चीन से भेजी जाने वाली सस्ती सामग्री और तैयार माल आसियान बाजारों में पाटने का मसला भी उठाया। उन्होंने कहा, वे हमारे हथकरघे की समृद्ध विरासत से मुकाबला नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार कपड़ा क्षेत्र में निवेश के दोनों मार्गों का स्वागत करेगी। इस मौके पर अनोखे फैशन शो का भी आयोजन किया गया, जिसमें भारत व आसियान दोनों के परंपरागत परिधान दिखाए गए और दोनों पक्षों के युवाओं ने इसकी प्रस्तुति दी। पिछले वित्त वर्ष में भारत का टेक्सटाइल निर्यात आसियान देशों में 1.20 अरब डॉलर रहा था, जबकि इसी अवधि के दौरान आयात 54.6 करोड़ रुपये रहा।
इस अवसर पर कपड़ा सचिव अनंत कुमार सिंह ने कहा, कपास, ऊन, सिल्क, जूट और मानव निर्मित फाइबर जैसे कच्चे माल की आपूर्ति का मजबूत मल्टी फाइबर आधार होने के कारण भारत मजबूत स्थिति में है और तमाम देशों के लिए ऐसा संभव नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि आसियान के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) परिचालन में होने के बावजूद पिछले कुछ साल से कारोबार स्थिर रहा है और इस दिशा में कोई तेजी नहीं आई है। हालांकि भारत को टेक्सटाइल मूल्य शृंखला के मामले में खास बढ़त हासिल है लेकिन इसके आसियान देशों में निर्यात की जाने वाली सामग्रियों में कॉटन फाइबर, सूती धागे और कपड़े का कारोबार संतोषजनक रूप से नहीं बढ़ा। सरकार ने माना कि भारतीय निर्यातक कारोबारी समझौते की शर्तों का पूरी तरह से दोहन करने में सक्षम नहीं साबित हुए। भारत आसियान देशों में निर्यात का मजबूत ढांचा तैयार करना चाहता है, जिससे टेक्सटाइल्स और परिधान का निर्यात दोनों पक्षों के बीच हो सके और इससे आसियान देशों के साथ होने वाले कारोबार को गति मिल सके।
आसियान देश चीन, उत्तर पूर्व एशिया और यूरोपियन यूनियन में भारत का कारोबार बढ़ाने का द्वार हो सकते हैं। निवेशकों को मौका होगा कि वे सिंथेटिक, मूल्यवर्धित सामानों और खासकर फाइबर, फैब्रिक प्रसंस्करण और टेक्निकल टेक्सटाइल की पूरी मूल्य शृंखला उतार सकें। एक रोज पहले 10 देशों में से 7 के वित्त मंत्रियों ने इस बात पर जोर दिया था कि क्षेत्रीय समग्र आर्थिक हिस्सेदारी (आरसीईपी) समझौते को आवश्यक मानते हुए जल्द से जल्द उसे अंतिम रूप दिया जाए। बहरहाल भारत सरकार ने कहा कि सभी देशों की संवेदनशीलता, सेवाओं व कारोबार को ध्यान में रखे जाने की जरूरत है। आरसीईपी आसियान के 10 देशों व 6 अन्य देशों के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता है। आसियान के अलावा इसमें ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं। इसके पहले वस्तुओं के कारोबार पर शुल्क खत्म किए जाने पर भारत की असहमति के कारण वार्ता अटक गई थी। अब आसियान के नेतृत्व में ये देश चाहते हैं कि कारोबार होने वाले करीब 92 प्रतिशत सामान पर कर घटाया जाए या उसे खत्म किया जाए।

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