टीम राहुल :कांग्रेस में बदलाव की शुरुआत

टीम राहुल :कांग्रेस में बदलाव की शुरुआत
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नई दिल्ली : राहुल गांधी के कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से ही कयास लग रहा है कि आखिर राहुल गांधी की टीम में कौन-कौन शामिल होगा?
शुरुआत के. राजू से हुई है. के राजू रस्मी तौर पर राहुल गांधी के ऑफिस की कमान संभालेंगे. राहुल गांधी की कोर टीम के सरदार भी वही होंगे. कहा जा रहा है कि राहुल गांधी का सचिवालय 12 तुगलक लेन से चलेगा, जिसके सरपरस्त अब के. राजू होंगे.बताया जा रहा है कि राहुल गांधी के साथ काम करने वाली टीम सीधे के राजू को रिपोर्ट करेगी. कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के बीच के राजू एक कड़ी की तरह काम करेंगे. वहीं पार्टी के नेताओ के साथ कॉर्डिनेशन भी करेंगे.के राजू 1981 बैच के रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर है. 2013 में सिविल सर्विस से वीआरएस ले लिया था. इससे पहले सोनिया गांधी की अगुवाई वाली नेशनल एडवाइजरी काउंसिल के सचिव थे. 2013 में राहुल गांधी की सिफारिश पर सोनिया गांधी ने के राजू को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अनुसूचित जाति विभाग का चेयरमैन बनाया था.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ 2003 से कनिष्क सिंह काम कर रहे हैं. उनकी मदद के लिए सचिन राव, अलंकार सवई, केबी बैजू और कौशल विद्यार्थी है. वहीं राहुल गांधी मोहन गोपाल और सैम पित्रोदा से भी सलाह मशविरा करते हैं. हालांकि, कनिष्क सिंह 2014 के आम चुनाव के बाद लो प्रोफाइल हो गए हैं, राहुल गांधी के साथ कम ही दिखाई पड़ते हैं. लेकिन इससे उनकी अहमियत नहीं घटी है. कनिष्क सिंह अलग से अपना काम करते रहेंगे. उनके ऊपर नई व्यवस्था का असर नहीं पड़ेगा.
कनिष्क सिंह नेशनल हेराल्ड और जवाहर भवन ट्रस्ट का भी काम देखते है. लेकिन राहुल गांधी के सबसे करीबी कनिष्क सिंह है. कांग्रेस के लोगों का कहना है कि राहुल गांधी के गिर्द पहला घेरा 'के' अक्षर का ही है. कनिष्क सिंह लो प्रोफाइल हैं. पूर्व इन्वेस्टमेंट बैंकर हैं, लेकिन राहुल गांधी के यहां सबसे ताकतवार कनिष्क सिंह ही हैं.
अलंकार सवई पूर्व में बैंक में काम करते थे लेकिन अब राहुल गांधी के खास लोगों में शामिल हैं. राहुल गांधी के लिए अलंकार निजी सचिव की तरह काम करते हैं. रिसर्च और डॉक्यूमेंटेशन का काम अंलकार के जिम्मे है. राहुल गांधी की टीम में सबसे महत्वपूर्ण काम अलंकार के हवाले है. मीटिंग फिक्स करना अपॉइंटमेंट देना, बड़ी बैठकों में राहुल गांधी के साथ बैठना और नोटिंग बनाना ये सब अलंकार के हवाले है.
कौशल विद्यार्थी राहुल गांधी के साथ दूसरे निजी सचिव हैं .कौशल विद्यार्थी जो अक्सर राहुल गांधी के साथ देखे जाते हैं. कौशल राहुल गांधी के साथ रहते हैं. कौशल ने भी ऑक्सफोर्ड से पढ़ाई की है. इनका काम कमोबेश अलंकार के काम से मिलता जुलता है. मीडिया और राहुल के बीच कौशल कड़ी की तौर पर काम करते है. ये कहा जा सकता है कि सोनिया गांधी के यहां जो रोल माधवन और पिल्लई का था वही रोल इस जोड़ी का भी है.
केबी बैजू पूर्व में एसपीजी के अधिकारी रहे हैं. 2010 में नौकरी छोड़कर राहुल गांधी के साथ हैं. राहुल गांधी के लिए उनके दौरों से पहले एडवांस टीम के मखिया हैं. के बी बैजू राहुल गांधी के निर्वाचन क्षेत्र अमेठी का भी काम देखते हैं.
सचिन राव राजीव गांधी फाउंडेशन का हिस्सा हैं लेकिन काम राहुल गांधी के लिए करते हैं. मिशिगन यूनिवर्सिटी से एमबीए हैं. सचिन राव पहले राहुल गांधी के यूथ और एनएसयूआई के चुनाव को मैनेज किया करते थे. काफी लो प्रोफाइल हैं लेकिन सीसीएस में काम करते हुए सामाजिक विषय पर पकड़ मज़बूत है.
राजीव गांधी इंस्टीटयूट ऑफ कॉन्टेम्पररी स्टडीज के निदेशक थे लेकिन अब इसे छोड़कर दोबारा वकालत का पेशा अख्तियार करने वाले हैं. मोहन गोपाल एनएसयूआई के दूसरे अध्यक्ष थे. खासे कांग्रेसी हैं. विश्व बैंक और एशियन डेवलेपमेंट बैंक में रह चुके हैं. फ्री इकॉनामी के पैरोकार है. सेबी के सदस्य और एनएलएसआईयू के वाइंस चांसलर रह चुके हैं. राहुल गांधी पॉलिसी इश्यू पर मोहन गोपाल से सलाह मशविरा करते हैं. यूपीए के फूड और लैंड बिल में अहम योगदान दिया है.
राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी के जमाने से गांधी परिवार के करीबी है. टेलीकॉम क्रांति के जनक माने जाते हैं. राहुल गांधी के अमेरिका और बहरीन दौरे में साथ दिखाई दिए. गुजरात चुनाव में सैम पित्रोदा ने पार्टी के लिए काफी मेहनत की है. राहुल गांधी के सलाहकार की भूमिका में हैं. खासकर तकनीकी मसलों पर राहुल गांधी सैम की राय को अहमियत देते हैं.
के राजू को अपने सचिवालय में अहम पद देकर राहुल गांधी ने भी एजेंडा साफ कर दिया है. राहुल गांधी दलित को कांग्रेस से जोड़ने के लिए नई शुरूआत कर रहें है. राहुल गांधी ने गुजरात चुनाव में दलित एक्टिविस्ट जिग्नेश मेवाणी से हाथ मिलाकर एक पहल की है. मंडल की राजनीति के बाद कांग्रेस से दलित और पिछड़ा वोट बैंक खिसक गया है. खासकर उत्तर भारत में कई क्षेत्रीय पार्टियां खड़ी हो गईं. जिसकी वजह से कांग्रेस कमजोर होती चली गई है.
राहुल गांधी के करीबी सूत्रों की माने तो कांग्रेस में अब एक नेता को एक स्टेट की जिम्मेदारी दी जाएगी. राहुल गांधी अब माइक्रो मैनेजमेंट चाहते हैं. तकरीबन 25 से ज्यादा लोग प्रदेश के प्रभारी बनाए जाएंगे जिनमें सीनियर नेता भी होंगे और नौजवान भी. एक प्रभारी के साथ 2 से ज्यादा सचिव काम करेंगे. जिससे पार्टी का काम जमीनी स्तर पर मजबूत होगा. राहुल गांधी ने बहरीन में वायदा किया था कि वो छह महीने में कांग्रेस को दुरुस्त कर देंगे. हालांकि राहुल गांधी इसके बरअक्स तीन बड़े राज्यों में अभी नेता का चुनाव नहीं कर पाए हैं.

जहां 2018 में ही चुनाव है. मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया कमल नाथ और दिग्विजय सिंह के बीच होड़ है. राजस्थान में सचिन पायलट, सीपी जोशी और अशोक गहलोत के समर्थक आस लगाए बैठे हैं. इस तरह अजित जोगी के जाने के बाद कांग्रेस के पास छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के मुकाबले नेता का अभाव है. हालांकि इस सवाल पर कांग्रेस के प्रवक्ता आरपीएन सिंह सफाई देते हैं, 'पार्टी की रणनीति हर राज्य में अलग रहेगी. जैसे पंजाब में अमरिंदर सिंह को सीएम उम्मीदवार घोषित किया गया और गुजरात में कोई उम्मीदवार सीएम नहीं था.' हालांकि सूत्र बता रहे हैं कि कांग्रेस में फेरबदल की शुरुआत हो गई है लेकिन ये धीरे-धीरे होगी अचानक भारी फेरबदल होने की संभावना नही हैं.
राहुल गांधी इस महीने की 30 तारीख से नॉर्थ ईस्ट के दौरे पर जा रहे हैं. 30 जनवरी को राहुल गांधी मेघालय पहुंचेंगे. फरवरी में नॉर्थ ईस्ट के तीन राज्यों मे चुनाव होने वाले हैं. मेघायल कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष विन्सेंट पाल का कहना है, 'राहुल गांधी जयंतिया हिल्स गारो हिल्स और राजधानी शिलॉन्ग में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेगें'. 10 फरवरी से राहुल गांधी कर्नाटक का भी दौरा शुरू करने वाले हैं.
कांग्रेस के संविधान के मुताबिक पार्टी के संगठन में 33 फीसदी हिस्सेदारी महिलाओं की होगी. 20 फीसदी माइनॉरिटी एससी-एसटी और ओबीसी की रहेगी. हालांकि अध्यक्ष को कोटे में फेरबदल का अधिकार है. कांग्रेस अध्यक्ष ही पार्टी के महासचिव, कोषाध्यक्ष सचिव और प्रदेश अध्यक्ष को नियुक्त करता है लेकिन कांग्रेस का अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद राहुल गांधी ने पहले से काम कर रहे प्रदेश के अध्यक्षों को काम जारी रखने की इजाजत दे दी है. लेकिन एआईसीसी में अभी कोई फेरबदल नहीं किया है. ना ही औपचारिक तौर पर पुराने लोगों को ही काम करने का सर्कुलर जारी किया गया है. जाहिर है कि राहुल गांधी केंद्रीय स्तर पर बदलाव करेंगे लेकिन जल्दबाजी में नहीं हैं.


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