उत्तर प्रदेश की आन बान शान बिटिया नाज़िया खान को मिला राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार

आगरा : गणतंत्र दिवस पर उत्तर प्रदेश की आन बान शान बिटिया नाज़िया खान को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी उसके अद्भुत साहस और शौर्य के लिये राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार देकर सम्मानित करने जा रहे हैं। इसके पहले उत्तर प्रदेश के निवर्तमान मुख्य मंत्री अखिलेश यादव नाज़िया खान रानी लक्ष्मीबाई एवार्ड से सम्मानित कर चुके है। इसके अलावा बॉलीवुड एक्शन हीरो अक्षय कुमार ने भी बहादुरी के नाजिया खान को सम्मानित किया है।

नाज़िया खान के अद्भुत शौर्य प्रदर्शन की गाथा इस प्रकार है। पहली घटना सात अगस्त 2015 की है। इस दिन इसने अपनी जान पर खेेेलकर छह साल साल की एक बच्ची डिम्पी कुमारी का अपहरण नहीं होने दिया। इसके लिये वह अकेली ही अपहर्ताओं से भिड गयी नतीजा बदमाशों को भागना पड गया। इस भिडंत में बदमाशों ने नाजिया खान बुरी तरह जख्मी हो गयी इस शौर्य प्रदर्शन तत्कालीन मुख्य मंत्री अखिलेश यादव ने नाजिया को रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार से सम्मानित किया।
दूसरा शौर्य प्रदर्शन आगरा जिले के मंटोला इलाके की नाज़िया खान ने उसके पड़ौस में विगत कई दशकों से चल रहे जुए एवं सट्टे के अवैध व्यवसाय के खिलाफ आवाज उठाने का कष्टसाध्य एवं साहसिक प्रयास किया। वहाँ के निवासी एवं दुकानदार पीड़ित एवं आतंकित थे। इस कठिन एवं खतरनाक स्थिति में भी नाज़िया खान भयभीत नहीं हुई। नाज़िया ने साहसपूर्वक वांछित साक्ष्य इकट्ठा किए और 13 जुलाई 2016 को पुलिस को सूचित किया। परिणाम स्वरूप चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया तथा सट्टेबाजी का अवैध व्यवसाय बन्द हो गया। नाज़िया खान ने शौर्य और दृढ़ता से उसे मिलने वाली धमकियों का सामना किया। उसका घर से निकलना एवं स्कूल जाना असंभव हो गया। बदमाशों ने नाजिया का पीछा करना शुरू कर दिया तथा उसे अगवा करने की कोशिश की गई। नाज़िया खान तथा उसके माता-पिता के साथ मार-पिटाई भी की गई। इस सबका कुप्रभाव नाज़िया के स्वास्थ्य पर भी पड़ा। बहादुर नाज़िया खान ने हार नहीं मानी तथा इस सब की सूचना वहाँ के प्रशासनिक अधिकारियों को दी। इसके बाद भी उसका उत्पीड़न जारी रहा।
अन्त में नाज़िया खान ने ट्वीट के द्वारा उत्तर प्रदेश के उत्तर प्रदेश के निवर्तमान मुख्य मंत्री अखिलेश यादव से मदद मांगी। तत्पश्चात बदमाशों के खिलाफ कार्यवाही शुरू हुई तथा नाज़िया खान की सुरक्षा भी सुनिश्चित की गई नाज़िया खान ने अद्वितीय पराक्रम से दूसरों के लिए आवाज उठाई एवं एक भयावह अंजाम की संभावना का निर्भय होकर सामना किया।

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