खबर का असर-प्रवेश मलिक की खबर से जब चार लाशो का हुआ अन्तिम संस्कार

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मुज़फ्फरनगर।

कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता,

एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो।


ऐसा लगता कि शायद ये लाईन किसी मशहूर शायर ने पत्रकार जगत में अपना नाम कमा चुके प्रवेश मलिक के लिए ही लिखी हों। मन में लगन हो और दिल में सेवा भाव का जज्बा हो तो कोई भी काम कठिन नहीं होता, यह बात पत्रकार प्रवेश मलिक पर बिलकुल सटिक बैठती है। यह उनकी लगन का परिणाम है कि अपने कैरियर की शुरूआत पशु चिकित्सक से करने के बाद भी उन्होंने पत्रकारिता जैसे चुनौती भरे पेशे में कदम रखा और आज उनकी गिनती नामचीन पत्रकारो में होती है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उमेश शर्मा को अपना आदर्श बताने वाले प्रवेश मलिक ने पत्रकारिता में कैरियर की शुरूआत पत्रकार सतीश मलिक के साथ मिलकर की थी। प्रवेश मलिक सबसे पहले स्वतंत्र रूप में टीवी न्यूज चैनल से जुडे थे। इसके बाद वे साधना न्यूज चैनल से और फिर उन्होंने 2012 में समाचार प्लस को ज्वाईन किया, लेकिन 2013 के दंगो के बाद उन्होंने साधना न्यूज चैनल को छोड दिया और वर्तमान में प्रवेश मलिक समाचार प्लस और राजस्थान पत्रिका में अपनी सेवाएं दे रहे है। वह अपनी निर्भीक पत्रकारिता के लिये जाने जाते है। प्रवेश मलिक ने अपने कुछ मित्रों के साथ मिलकर अपना सिटी समाचार चैनल भी चलाया जिसके माध्यम से उन्होने लोगो की समस्याओ का निराकरण भी कराया। सही मायने मे पत्रकारिता समाज के लिए एक आईने का काम करता है और समाज सेवा ही एक सच्चे पत्रकार का दायित्व होता है।





एक प्रश्न के जवाब में प्रवेश मलिक ने खोजी न्यूज को बताया कि केदारनाथ त्रासदी के दौरान जब वहां से गंगा नदी में लाशे बहकर जनपद में आने की सूचना उनके एक किसी मित्र से मिली तो वह तुरन्त ही शुक्रताल पंहुच गये। वहां उन्होंने गंगा जी में बहकर आ रही लाशों की खबर बनाकर प्रकाशित की, तो जिला प्रशासन की आंखे खुली और तत्कालीन डीएम सुरेन्द्र सिंह और एसएसपी मंजिल सैनी ने उनकी खबर पर संज्ञान लिया और गंगानदी मे बहकर जनपद की सीमा में आयी चार लाशों को बरामद करके उनका अंतिम संस्कार कराया।






प्रवेश मलिक कितने बहादुर व निर्भीक है, इस बात का अंदाजा उनके द्वारा की गयी जोखिम भरे समय मे की न्युज कवरेज से लगाया जा सकता है। दरअसल एक बार रात मे वह गहरी नींद मे सों रहे थे तभी अचानक उनका फोन बजा उस समय रात्रि के 2 बजे हुए थे।फोन उठाते ही उधर से एक पुलिस अधिकारी की आवाज आयी की पत्रकार प्रवेश मलिक बोल रहे है,आपको सूचना देनी है कि नगर कोतवाली क्षेत्र मे पुलिस और बदमाशो की मुठभेढ चल रही है। सूचना मिलते ही प्रवेश मलिक ने बगैर देर किये अपना कैमरा उठाया और बताये गये स्थान पर पहुंच गये और न्यूज कवरेज करने लगे। एक तरफ से पुलिस की गोलियो की धाय-धाय और दूसरी ओर से बदमाशो की गोलियो की बौछार जारी थी। गोलियो की इन बौछारो के बीच बहादुरी दिखाते हुए प्रवेश न्यूज कवरेज करने पर लगे हुए थे। पुलिस द्वारा इस मुठभेढ मे 1 लाख के ईनामी बदमाश को पाताल लोक पहुचाया था। उस मुठभेढ मे न्यूज कवरेज करने के लिए तत्कालिन एसएसपी सुधीर कुमार सिंह ने 5 हजार रूपये की राशी से उनको सम्मानित किया था।


एक सवाल के जवाब में प्रवेश मलिक नें बताया कि जिस तरह एक ईमानदार अधिकारी, ईमानदार पत्रकार को पंसद करता है, उसी तरह एक चापलूस अधिकारी चापलूस पत्रकार को पंसद करता है। उन्होंने पत्रकारिता के बिगड़ रहे स्वरूप पर चोट करते हुए कहा कि वर्तमान में पत्रकारिता के क्षेत्र में 40 प्रतिशत लोग ही पढे-लिखे हैं। कई कथित पत्रकार तो ऐसे हैं, जिन्हे ठीक प्रकार से हिन्दी का ज्ञान भीनहीं है। ऐेसे कम पढ़े-लिखे लोगों का कुछ प्रिन्ट मीडिया के मालिक फायदा उठा रहे हैं, क्योंकि ये लोग केवल अफसरों से मेलजोल बढ़ाने के लिए पत्रकारिता में आते हैं, व पत्रकारिता की आड़ में गलत कार्य भी करने से नहीं चूकते है। इसी के चलते ऐसे पत्रकारों की फौज बढती जा रही है, जो बडे पत्रकारों और अधिकारियों की चाटुकारिता करके अपना काम चला रहे है। उन्हांेने बताया कि पहले की अपेक्षा अब मीडिया को सूचनाएं जल्दी ही मिल जाती हैं। उन्होंने इस बात पर भी अफसोस व्यक्त किया कि आज कुछ लोग सोशल मीडिया पोस्ट को बिना पढ़े और बिना उसकी सत्यता जाने ही फारवर्ड कर देते हैं, जिससे कभी-कभी बड़ी अनहोनी होने का खतरा बना रहता है।


अब तक के पत्रकारिता के अनुभव को साझा करते हुए प्रवेश मलिक ने बताया की अब तक का उनका पत्रकारिता का अनुभव बहुत ही लाजवाब रहा।

बता दें कि प्रवेश मलिक ने करनाल और शामली में एस पी एस तोमर के यहां से वैटनरी की ट्रेनिंग ली, और उसके बाद पशुपालन विभाग में वेकेन्सी आने के बाद प्रवेश मलिक ने आगरा में टेªनिंग की। प्रवेश मलिक फुगाना क्षेत्र न्याय पंचायत में वैटनरी की प्रेक्टिस की बाद में इनकी रूचि पशुचिकित्सक में खत्म हो गयी थी।



प्रवेश मलिक 2006 में मुजफ्फरनगर आ गये और वह कुछ नया करने के लिये सोच रहे थे। उन्होनें प्राॅपर्टी के व्यवसाय में भी हाथ आजमाया लेकिन इस काम में अरूचि के चलते इसे शीघ्र ही छोड दिया। वह किसी न किसी रूप से लोगों की सेवा से जुडे रहना चाहते थे। उसी समय उनकी मुलाकात पत्रकार सतीश मलिक से हुई। उनके विचारों से प्रभावित होकर प्रवेश मलिक पत्रकारिता के क्षेत्र में आ गये और 2007 से अब तक बराबर पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे है।

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