योग साधना व भक्ति भावना के बीच मना स्थापना दिवस

योग साधना व भक्ति भावना के बीच मना स्थापना दिवस
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मुजफ्फरनगर। भारतीय योग संस्थान के निःशुल्क योग साधना केंद्र ग्रीन लैंड माडर्न जूनियर हाई स्कूल मुजफ्फरनगर में संस्थान का 55वां स्थापना दिवस समारोह धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रान्तीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेन्द्र पाल सिंह आर्य ने की।


सर्वप्रथम प्रातः 5.00 बजे प्रतिदिन की भाँति योगाचार्य सुरेन्द्र पाल सिंह आर्य ने ओउम् ध्वनि और गायत्री मंत्र से योग साधना शुरू कराई। तत्पश्चात योग शिक्षिका रेनु बालियान, बेबी सैनी व लवली त्यागी ने सरस्वती वन्दना से सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। अक्षय कुमार शर्मा, योगाचार्य सुरेन्द्र पाल सिंह आर्य, बेबी सैनी, जिला कार्यकार्यकारिणी सदस्य वीरसिह व सत्यवीर सिंह पंवार आदि ने योग, ईश्वर भक्ति व संस्थान की महिमा के भजन प्रस्तुत किए। आज के कार्यक्रम के मुख्य वक्ता केंद्र प्रमुख नीरज बंसल ने बताया कि आज पूरे भारत वर्ष में भारतीय योग संस्थान का 55 वाँ स्थापना दिवस समारोह धूमधाम से मनाया जा रहा है। संस्थान की स्थापना 10 अप्रैल सन् 1967 में प्रकाश लाल ने की थी। आज संस्थान की लगभग 4200 योग कक्षाएं देश और विदेश में निःशुल्क और नियमित रूप से संचालित हो रही है।

जिला प्रधान राजसिह पुण्डीर ने कहा कि भारतीय योग संस्थान एक ऐसी अनूठी संस्था है जो भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी निःशुल्क योग शिक्षा देकर लोगों का शारीरिक,मानसिक और बौद्धिक विकास कर रही हैं।

कार्यक्रम अध्यक्ष योगाचार्य सुरेन्द्र पाल सिंह आर्य ने बताया कि भारतीय योग संस्थान की स्थापना माननीय प्रकाश लाल जी ने ऐसे समय की थी जब दिल्ली में कुछ विदेशी लोग योग को योगा के नाम से पैसे लेकर सिखा रहे थे । ऐसा देखकर उनके मन में आया कि योग तो भारतीय संस्कृति की बहुमूल्य धरोहर हैं और ये विदेशी लोग हमारी संस्कृति को हमें ही बेच रहे हैं। उन्होंने उसी समय संकल्प लिया कि हम अपनी संस्कृति को बिकने नहीं देंगे और उन्होंने योग को घर घर तक निःशुल्क पहुँचाने का निश्चय करके 10 अप्रैल सन् 1967 में पहली निःशुल्क योग कक्षा दिल्ली में प्रारंभ की। आज स्व0 प्रकाश लाल हमारे बीच नहीं हैं परन्तु उनके द्वारा लगाया गया पौधा आज वट वृक्ष बन गया है। संस्थान ने सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया को आधार माना है। हम सब को एक ही ईश्वर ने बनाया है फिर आपस में इतना ईष्र्या, द्वेष और भेदभाव व तनाव क्यों? इन्हीं भावनाओं को ध्यान में रखते हुए संस्थान ने भारतीय संस्कृति की महान मानवतावादी देनश्वसुधैव कुटुम्बकम को अपने आदर्श के रूप में अपनाया है। अंत में सभी को प्रसाद वितरण किया गया।

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