कांग्रेस भाजपा के 'चौधरियों' के बीच दिलचस्प मुकाबला

कांग्रेस भाजपा के चौधरियों के बीच दिलचस्प मुकाबला

सांची मध्यप्रदेश के सांची विधानसभा उपचुनाव में दो 'चौधरियों' के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है और यहां से राज्य के स्वास्थ्य मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार डॉ प्रभुराम चौधरी एक बार फिर विधानसभा में पहुंचने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं।

अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सांची विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में सात बार, तो पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती तीन सभाएं कर चुकी हैं। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में तीन सभाएं ले चुके हैं।

दलबदल कर वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ इसी वर्ष मार्च माह में भाजपा में शामिल हुए लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी को अपना मंत्री पद बचाने के लिए हर हाल में यह उपचुनाव जीतना होगा। डॉ चौधरी, श्री सिंधिया के कट्टर समर्थकों में शुमार हैं, इसलिए परोक्ष रूप से यहां पर श्री सिंधिया की प्रतिष्ठा भी दाव पर है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने यहां से पूरन सिंह अहिरवार को मैदान में उतारा है। चुनाव विश्लेषकों की निगाहें इस बात पर भी टिकी हैं कि श्री अहिरवार चुनाव में कुछ ठोस कर पाएंगे या फिर मुख्य प्रत्याशियों के वोट में सेंध लगाने में सफल होंगे। सांची में कुल 15 प्रत्याशी चुनाव मैदान में।

दूसरी ओर मध्यप्रदेश में सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा के पहले से स्थापित नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच कथित असंतोष की खबरों के बीच सभी की निगाहें सांची क्षेत्र में भाजपा के पूर्व मंत्री डॉ गौरीशंकर शेजवार, उनके पुत्र मुदित शेजवार और उनके समर्थकों पर भी टिकी हैं। दरअसल जब डॉ प्रभुराम चौधरी कांग्रेस में थे, तो वे भाजपा नेता डॉ शेजवार के परंपरागत प्रतिद्वंद्वी थे। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में डॉ चौधरी ने कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर डॉ शेजवार के पुत्र एवं भाजपा प्रत्याशी मुदित शेजवार को पराजित किया था। इसके पहले भी डॉ शेजवार और डॉ चौधरी कई चुनावों में आमने सामने आ चुके हैं।

राजनैतिक विश्लेषकों के अनुसार डॉ चौधरी का विधानसभा में पहुंचना इस बात पर भी अधिक निर्भर करेगा कि उन्हें दो पूर्व दो मंत्री रामपाल सिंह और सुरेंद्र पटवा का भी कितना 'दिली समर्थन' मिलता है और वे डॉ शेजवार तथा डॉ चौधरी के बीच के रिश्ताें को कितना मधुर और प्रगाढ़ बना पाते हैं। डॉ शेजवार एक तरह से राजनीति से संयास लेकर अपने पुत्र मुदित को ही आगे बढ़ाते हुए नजर आते हैं।

विदिशा सीट से भाजपा सांसद रमाशंकर भार्गव ने यूनीवार्ता से चर्चा के दौरान पार्टी में अंतर्कलह से साफ तौर पर इंकार नहीं किया और सफाई देते हुए कहा कि डॉ शेजवार और मुदित शेजवार व्यक्तिगत कारणों से कुछ सभाओं में शामिल नहीं हो पाए थे, लेकिन अब बे सक्रिय हैं। वहीं पूर्व मंत्री एवं क्षेत्रीय चुनाव प्रभारी रामपाल सिंह ने कहा कि 'दूध में शक्कर' घुलने में समय तो लगता हैं।

विश्लेषकों का यह भी कहना है कि चूंकि कांग्रेस प्रत्याशी मदनलाल चौधरी और भाजपा के डॉ चौधरी एक ही समाज से आते हैं, इस स्थिति में बसपा प्रत्याशी पूरन अहिरवार की उपस्थिति ने अवश्यक इनकी चिंताएं बढ़ायी हुयी होंगी। इसलिए ये देखना रोचक है कि श्री अहिरवार किस दल के प्रत्याशी के वोट में सेंध लगाने में सफल होते हैं।

सांची क्षेत्र के लिए कांग्रेस के मीडिया प्रभारी भूपेंद्र गुप्ता का दावा है कि कांग्रेस उम्मीदवार श्री चौधरी की चुनाव में जीत पक्की है, क्योंकि दलबदल के कारण यहां के मतदाता भाजपा उम्मीदवार डॉ प्रभुराम चौधरी से नाराज हैं। अब चुनाव परिणाम से ही पता चल सकेगा कि किसके दावे में कितना दम है।

सांची विधानसभा क्षेत्र के इतिहास पर नजर डाली जाए, तो 1998 से लेकर 2018 तक यहां पर पांच विधानसभा चुनाव हुए हैं और इसमें से तीन बार भाजपा के डॉ गौरीशंकर शेजवार विजय दर्ज करायी तो दो बार कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर के डॉक्टर प्रभुराम चौधरी जीते। वर्ष 1998 में भाजपा नेता डॉ शेजवार ने कांग्रेस के श्री प्रभुराम चौधरी को 3130 मतों के अंतर से हराया। डॉ शेजवार राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं। वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के सुभाष कामता बाबू को 14806 मतों के अंतर से शिकस्त दी और 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के डॉ प्रभुराम चौधरी ने भाजपा के डॉ शेजवार को 9197 मतों के अंतर से पराजित किया।

वर्ष 2013 के चुनाव में डॉ चौधरी कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में 20936 मतों के भारी अंतर से भाजपा के डॉ शेजवार के हाथों पराजित हुए थे। वर्ष 2018 के चुनाव में डॉक्टर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत में ही कांग्रेस के डॉ प्रभुराम चौधरी से पराजित हो गये।

देखने वाली बात यही होगी कि 03 नवंबर को मतदान के बाद 10 नवंबर को इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में दर्ज मतों की गिनती के साथ सांची का अगला विधायक कौन होगा। सांची विधानसभा क्षेत्र में कुल 02 लाख 40 हजार 745 मतदाता हैं, जिनमें से महिला मतदाता 01 लाख 12 हजार 370 और पुरुष मतदाता 01 लाख 28 हजार 366 हैं।

~वार्ता


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