चीन पाक का प्लान हुआ धड़ाम-यूएन में तालिबान को नही-इन्हे मिलेगा मौका

चीन पाक का प्लान हुआ धड़ाम-यूएन में तालिबान को नही-इन्हे मिलेगा मौका

नई दिल्ली। अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान के सम्मुख खड़ी हुई चुनौतियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। तालिबान के आगे अब सबसे बड़ी चुनौती यह खड़ी हुई है कि उसे अपनी सरकार को दुनिया भर में मान्यता दिलानी है। इसके लिए सबसे अहम मंच माने जाने वाले संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान और चीन पहले से ही तालिबान के पैरोकार के रूप में मौजूद हैं लेकिन तालिबान का यह सपना फिलहाल पूरा नहीं होता दिखाई दे रहा है। क्योंकि इस साल भी अफगानिस्तान की पूर्व सरकार की नुमाइंदे ही संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने देश का प्रतिनिधित्व करेंगे।

दरअसल तालिबान की ओर से संयुक्त राष्ट्र को भेजी गई चिट्ठी पर 9 सदस्यों वाली क्रेडेंशियल कमेटी द्वारा फैसला लिया जाना है और 27 सितंबर से इस कमेटी की बैठक हो पाना असंभव माना जा रहा है। अगर कमेटी की बैठक किन्ही परिस्थितियों के चलते हो भी जाती हैं तो इस विवाद का हल सिर्फ एक या 2 दिन में निकाल पाना किसी भी रूप से संभव नहीं है। मौजूदा समय में इस कमेटी के सदस्य अमेरिका, रूस, चीन, बहामास, भूटान, चिली, नामीबिया सिएरा लियोन और स्वीडन है।

इससे सबसे बड़ा पेंच यह फंसा हुआ है कि अमेरिका तालिबान को संयुक्त राष्ट्र में लाने के लिए किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह बयान दिया है कि वाशिंगटन तालिबान की चिट्ठी से अवगत है। लेकिन इसके ऊपर फैसला लेने में थोड़ा समय लगेगा। इस तरह अमेरिका के इस बयान से स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि तालिबान 27 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा में बोलने का हक हासिल नहीं कर पाएगा।

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