आर्मेनिया और अजरबैजान मानवीय आधार पर युद्ध विराम के लिए हुए सहमत

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येरेवान अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच युद्ध विराम लागू करने को लेकर सहमति बन गयी है। अर्मेनिया के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को एक वक्तव्य जारी कर यह जानकारी दी। यह युद्ध विराम रविवार 18 अक्टूबर की मध्यरात्रि से लागू होगा।

अर्मेनिया के विदेश मंत्रालय ने वक्तव्य में कहा, " अर्मेनिया गणतंत्र और अजरबैजान मानवीय आधार पर 18 अक्टूबर की मध्यरात्रि से युद्ध विराम लागू करने को लेकर सहमत हो गए हैं।"

युद्ध विराम को लेकर बनी सहमति के मद्देनजर दोनों देश संघर्ष के दौरान बंदी बनाए गए लोगों को छोड़ने के अलावा मृतकों के शवों का आदान-प्रदान भी करेंगे।

दरअसल, अर्मेनिया और अजरबैजान की सेना के बीच 27 सितंबर से ही नागोर्नो-काराबख क्षेत्र में एक इलाके पर कब्जे को लेकर हिंसक संघर्ष जारी है। इस संघर्ष में अब तक दोनों ओर से कई लोगों की मौत हो चुकी है। रूस की मध्यस्थता के बाद 10 अक्टूबर को दोनों ही देश युद्ध विराम लागू करने पर सहमत हो गए थे, लेकिन हिंसा दोबारा शुरू हो गयी है।

गौरतलब है कि अर्मेनिया और अजरबैजान दोनों ही देश पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा थे। लेकिन सोवियत संघ के टूटने के बाद दोनों देश स्वतंत्र हो गए।अलग होने के बाद दोनों देशों के बीच नागोर्नो-काराबख इलाके को लेकर विवाद हो गया। दोनों देश इस पर अपना अधिकार जताते हैं। अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत इस 4400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अजरबैजान का घोषित किया जा चुका है, लेकिन यहां आर्मेनियाई मूल के लोगों की जनसंख्या अधिक है।

इसके कारण दोनों देशों के बीच 1991 से ही संघर्ष चल रहा है। वर्ष 1994 में रूस की मध्यस्थता से दोनों देशों के बीच संघर्ष-विराम हो चुका था, लेकिन तभी से दोनों देशों के बीच छिटपुट लड़ाई चलती आ रही है। दोनों देशों के बीच तभी से 'लाइन ऑफ कंटेक्ट' है। लेकिन इस वर्ष जुलाई से हालात खराब हो गए हैं। इस इलाके को अर्तसख के नाम से भी जाना जाता है।

अमेरिका, रूस, जर्मनी और फ्रांस समेत कई अन्य देशों ने दोनों पक्षों से शांति की अपील की है।

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