गुड़ इंवेस्टिगेशन में इंस्पेक्टर प्रेमवीर सिंह राणा को सम्मान

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सहारनपुर। बागपत की उर्वर मिट्टी में जन्में प्रेमवीर सिंह राणा कोे 1984 को यूपी पुलिस में नियुक्ति के बाद यूं तो सराहनीय सम्मान चिन्ह, अच्छी सेवा के बल पर राज्य स्तर पर पुलिस महानिदेशक से प्रशस्ति, राज्य स्तरीय उत्कृष्ट पदक, राष्ट्रपति से वीरता पदक प्राप्त कर चुके हैं। अब उन्हें बेस्ट इन्वेस्टिगेशन करने के लिए गृहमंत्री द्वारा सम्मानित किया जायेगा। केन्द्रीय गृहमंत्रालय द्वारा पुलिस सेवा के 99 अफसरों को सम्मानित किया गया है, जिसमें उत्तर प्रदेश के नौ अफसर भी शामिल हैं। यूपी के नौं पुलिस अफसरों में एक अपर पुलिस अधीक्षक, तीन पुलिस उपाधीक्षक, तीन पुलिस निरीक्षक व एक उपनिरीक्षक भी शामिल हैं। प्रेमवीर राणा को यह पुरस्कार बिजनौर के अफजलगढ़ में तैनाती के दौरान 2017 में 302 के एक जटिल मामले की बेस्ट इन्वेस्टिगेशन करने के लिए प्रदान किया जायेगा। प्रेमवीर सिंह राणा पुलिस सेवा में सामाजिक सरोकारों को अधिक महत्व देते हुए मुकदमों नहीं, बल्कि फैसलों में अधिक विश्वास रखते हैं। वे जितने कड़क पुलिस अफसर हैं, उतने ही अच्छे साहित्यकार भी हैं। वे अब तक सात किताबें लिख चुके हैं। उनकी सामाजिक, धार्मिक व आध्यात्मिक विषयों पर गहरी पकड़ है।




बता दें कि केन्द्रीय गृहमंत्रालय ने देश भर के ऐसे 99 जांबाज पुलिस अफसरों की सूची जारी की हैं, जिन्हें गृहमंत्रालय द्वारा सम्मानित किया गया है। उक्त सूची में उत्तर प्रदेश से 9 पुलिस अफसरों के नाम शामिल हैं, जिसमें सहारनपुर में तैनात पुलिस इंस्पेक्टर प्रेमवीर सिंह राणा का नाम भी शामिल है। प्रेमवीर सिंह राणा को उक्त सम्मान 2017 में बिजनौर के अफजलगढ़ में तैनाती के दौरान 302 के तहत एक मुकदमें की बेस्ट इन्वेस्टिगेशन के लिए दिया जायेगा। उक्त इन्वेस्टिगेशन के बारे में पुलिस निरीक्षक प्रेमवीर सिंह राणा ने बताया कि वर्ष 2017 में बिजनौर के अफजलगढ़ में तैनाती के दौरान क्षेत्र में एक अज्ञात शव बरामद हुआ था, जिसके लिए अज्ञात में हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था। बाद में पुलिस की कोशिशों के चलते उक्त शव की शिनाख्त काशीपुर निवासी नितिन के रूप में हुई थी और उसके परिजनों ने तीन लोगों पर हत्या करने का आरोप लगाया था, जिसके चलते पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था, लेकिन बाद में पुलिस की जांच में खुलासा हुआ कि नितिन की हत्या एक ऐस शख्स ने की थी, जिससे उसकी पुरानी रंजिश थी। उसी रंजिश के तहत हत्यारोपी ने कई वर्ष तक काशीपुर गन हाऊस में नौकरी की और वहां से सात असलहों समेत कारतूस भी चोरी किये थे और नितिन की हत्या करके शव ठिकाने लगा दिया था। उक्त मामले की 42 दिन में निष्पक्ष जांच पूरी करके प्रेमवीर सिंह राणा ने उक्त मामले में पूर्व में गिरफ्तार तीनों को बेकसूर साबित करके मात्र सात माह में ही असली हत्यारोपी को जेल भिजवा दिया था।




प्रेमवीर सिंह राणा इससे पूर्व भी कई बार सम्मानित किये जा चुके हैं। 2017 में उन्हें सराहनीय सम्मान चिन्ह से सम्मानित किया गया। इसके बाद बीस साल की बेमिसाल सेवा के लिए उन्हें पुलिस महानिदेशक स्तर से अच्छी सेवा सम्मान से नवाजा गया था। प्रेमवीर सिंह राणा को 2016 में राज्य स्तरीय उत्कृष्ट पदक प्रदान किया गया, इसके बाद 2017 में उन्हें राष्ट्रपति द्वारा वीरता पदक प्रदान किया गया था। अब 2019 में फिर से उन्हें सम्मानित किये जाने के लिए चुना जाना प्रशंसनीय है।




बागपत के चौगामा क्षेत्र स्थित निरपुडा के मूल निवासी प्रेमवीर सिंह राणा 1984 में उत्तर प्रदेश पुलिस में बतौर कांस्टेबल तैनात हुए थे और वर्तमान में वे सहारनपुर में पुलिस निरीक्षक के पद पर तैनात हैं। उनका एक बेटा आर्मी में है और दूसरा बेटा डाक्टर है। प्रेमवीर सिंह राणा ने खोजी न्यूज को बताया कि सच के नजदीक रहने से समय की बचत भी होती है और मानसिक दबाव भी कम झेलना पड़ता है। गलत रास्तों पर जाने से या झूठ का सहारा लेने से समय भी बर्बाद होता है और मानसिक दबाव भी अधिक झेलना पड़ता है। उन्होंने कहा कि संतों की वाणी और सद्विचारों पर चल की जीवन को सार्थक किया जा सकता है और हर व्यक्ति को सत्यम्, शिवम्, सुन्दरम् के सूत्र को जीवन में उतार लेना चाहिए। वे अब तक 1.कुछ बूंदें अमृत, 2.हम, हमारे बच्चे और संस्कार, 3. समाज पुलिस और अपराध, 4.आत्मकल्याण क्या, क्यों और कैसे, 5. जीवन वृत्त, 6. सौ का तोड़ और 7. 108 प्रेरणादायक कहानियां नामक 7 किताबें लिख चुके हैं। व्यस्ततम पुलिसिया जीवनचर्या में इतना समय निकाल पाने के सम्बन्ध में पूछे गये सवाल पर प्रेमवीर सिंह राणा कहते हैं कि हम जैसा चाहें, अपने आपको ढ़ाल सकते हैं। अपने निजी कामों में वक्त निकालने की कला में वे अब माहिर हो चुके हैं और शेव बनाने से लेकर स्नान करने और खाने व सोने के समय में कटौती करके वे यह सब करने में सफल हो पाये हैं।




अब तक 26 थानों पर अपनी सेवाएं दे चुके प्रेमवीर सिंह राणा का पुलिस के बारे में स्पष्ट कहना है कि यदि पुलिस बुराई में सम्मिलित हो जाती है तो कई कठिनाईयों का सामना करना पडता है। उन्होंने बताया कि जो पुलिस अफसर जनता और पुलिस के बीच की खाई को जितना अधिक पाट देता है, वह उतना ही सफल साबित होता है। उन्होंने बताया कि जिस भी थाने में उनकी नियुक्ति होती है, वहां 95 प्रतिशत लोग उनसे खुश रहते हैं और 5 प्रतिशत लोग ही उनसे नाखुश होते हैं। वे अपने थाने में नशा, जुआ, सट्टा, गौकशी और मोबाइल आदि खोने पर पुलिसकर्मियों द्वारा प्रायः ली जाने वाली रिश्वत पर अंकुश लगाने की कोशिश करते हैं। उनका कहना है कि जब भी कोई पीड़ित थाने से मुस्कराता हुआ जाता है, तो उन्हें बहुत सकून मिलता है। एक प्रश्न के जवाब में प्रेमवीर सिंह राणा पे बताया कि 2007 में मुजफ्फरनगर के कांधला में तैनाती के दौरान वे अपनी टीम के साथ 50 हजार के एक इनामी बदमाश के पीछे काफी दिनों से लगे थे, लेकिन उस 50 हजार के इनामी बदमाश को उसके ही साथी ने ही मारकर उसका सारा असलाह अपने कब्जे में कर लिया था। इससे उन्हें बडा अफसोस हुआ था, लेकिन उन्होंने इस घटना के 72 घंटे में उस बदमाश को भी दबोच लिया था।


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