ब्लड प्रेशर क्या बला है : डाॅ अनुभव सिंघल

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शरीर के कोने-कोने एवं प्रत्येक अंग में खून पहुँचाने के लिए मोटी, पतली, असंख्य शिराये पाइप लाइन की तरह फैली रहती है। इन नसों में हमारा दिल 'टुल्लू-पम्प' की तरह प्रति मिनट 72 बार खून को पम्प करता है। हर दम बहते खून के द्वारा रक्त शिराओं की दीवारों पर पड़ने वाले दबाव को रक्त का दबाव या ब्लड का प्रैशर या 'ब्लड-प्रैशर' या 'बीपी' कहते हैं।

क्या खतरा है बढ़े बीपी से ?

ब्लडप्रैशर के लम्बे समय तक बढ़े होने से कईं अंगों की रक्त शिराएं डैमेज हो जाती है जिससे उन अंगों जैसे गुर्दा, हृदय, दिमाग मे गड़बड़ी आने लगती है! कई बार सालों तक बीपी बढ़ा होने पर भी कोई परेशानी का अनुभव नहीं होता परन्तु अन्त मे गुर्दा खराब, दिल-फैलना, हार्ट-फेलियर, पक्षाघात जैसी बिमारी सामने आती है। इसीलिए 'हाई-बीपी' को 'साइलेन्ट-किलर' भी कहते हैं।

कितना बीपी ठीक है ?

ऊपर का बीपी (सिस्टोलिक 120-130mm Hg तक) एवं नीचे का बीपी (डायस्टोलिक 80-86mm Hg तक)नॉर्मल माना जाता है।

जब ऊपर का बीपी मापने पर कईं दिनो तक 136 से ज्यादा एवं नीचे का बीपी लगातार 86 से ज्यादा आने लगे तो उसे 'हाई-बीपी' या 'उच्च-रक्तचाप' या 'हाइपरटैन्शन' कहते है।केवल नीचे का बीपी कम होना (जैसे कि 50 - 60) अपने आप मे कोई बिमारी नही है, ज्यादा उम्र मे नीचे का बीपी कम ही रहता है। इलाज के दौरान ऊपर का टार्गेट बीपी 140-150 नीचे एवं नीचे का बीपी 90 के नीचे रखना चाहिए।

डॉक्टर के चैेंबर में क्यों बढ़ता है बीपी ?

30 परसेंट तक लोगों को डॉ की ओपीडी में 'एंग्जाइटी(घबराहट)

की वजह से बीपी बढ़कर आता है (व्हाइट-कोट-हाईपरटेंशन)!

बीपी चैक करने का सही तरीका क्या है ?

पांच मिनट रिलैक्स करके, शांत चित्त कुर्सी पर टेक लगाकर बैठ कर बीपी नपवाना चाहिए।

घर पर यदि डिजिटल बीपी मशीन है तो तीन बार बीपी चेक कर, ऊपर और नीचे दोनों रीडिंग का एवरेज लेना चाहिए। बीपी रेगुलर नोट कर चार्ट बनाना चाहिए।

बढे बीपी के लक्षण क्या है?

सिर में दर्द,भारीपन,आँखे चढ़ी-चढ़ी सी या बेचैनी होने लगती है। लंबे समय बीपी बढ़ने से मरीजों का चलने में सांस फूलने लगता है, रात को नींद से उठकर कईं बार पेशाब जाना पडता है (नोक्चूरिया), कई बार एक दम बहुत ज्यादा बीपी बढ़ने से(200 के ऊपर), लेटने में सांस फूलने लगती है(बैठकर आराम पडता है) क्योंकि लेटने से फेफड़ों में पानी भर जाता है (पल्मोनरी एडिमा/हार्ट-फेलियर), ऐसे मे लैसिक्स इत्यादि पेशाब की दवा से आराम पडता है।

बीपी बढने के क्या कारण हैं ?

आधुनिक मेडिकल साइंस अभी तक बीपी बढने के पूरे कारण नहीं ढूंढ सकी है।

ज्यादा नमक खाने,वसा/चर्बीयुक्त खानपान,बीडी-सिगरेट,पान-मसाले-गुटका खाने से खून गाढ़ा होता है एवं शिराओं की दिवारों पर चर्बी के जमने से पूरी पाईपलाइन संकरी होने लगती है, जिससे खून का दबाव बढ़ता जाता है।ज्यादा गुस्सा, अत्यधिक मैंटल टैन्शन, भागदौड़ की व्यस्त शहरी जिन्दगी, प्रकृति से दूरी (खुली साफ हवा, सूरज की किरणों, मिट्टी-घास का सम्पर्क न होना) से भी ये धमनिया तन कर ब्लडप्रेशर को बढ़ाती हैं।गुर्दे की खराबी से भी बीपी बढता है।ज्यादा सर्दियों में नसों में स्पाज्म(संकुचन/तनाव) होने से बीपी बहुत ज्यादा बढ़ जाता है! कईं बार दर्द की गोलियां(पेन-किलर्स) भी बीपी को अन्कन्ट्रोल कर मरीजों को रात्रि मे हॉस्पिटल की इमरजेंसी मे भर्ती करा देती हैं। पतले-दुबले लोगों मे या फिर अगर दिल फैला है/पम्पिंग कम है तो बीपी कम ही रहता है।

बिना एलोपैथिक दवा, बीपी कम करने के क्या तरीके हैं?

ज्यादा नमक,फास्ट-फूड, चाय-कॉफी,अण्डे, मांस-मीट, वसा युक्त आहार से बचें। थोडी मात्रा मे 'सैंधा-नमक' लें, शहद मे प्याज का रस बराबर मात्रा मे मिक्स कर सुबह लें, लहसून की दो फांक खाने के बाद चबाएं।नींबू पानी, तरबूज की गिरी,खसखस, मेथी दाना, पका पपीता, तुलसी के पत्ते, गेहूं चना मिक्स आटे की रोटी चोकर सहित लें।महीने मे दो बार उपवास रखें, हल्का व्यायाम करें,रूद्राक्ष पहनें, नंगे पैर रोज घूमें, हरी दोब पर टहलें, सुबह उठ कर पानी पीयें, योग, तनाव रहित प्रसन्नचित्त जीवन शैली अपनाएं।

बीपी की गोली लेते समय क्या ध्यान रखें ?

ज्यादातर लोगो को बीपी की गोली लम्बे समय या लाइफ लोंग लेनी पड़ती हैं। बीपी की गोली सुबह उठकर, खाली पेट जल्द से जल्द लेनी चाहिए।सर्दियों में बीपी ज्यादा बढता है(विशेषकर रात्रि/अर्ली मॉर्निंग मे),कडी निगरानी कर डाॅ की सलाह से दवाएं बढाएं।एम्लोकाइन्ड(एम्लोडिपीन) से पैरो मे सूजन, रैमिप्रिल (रैमिस्टार, कार्डेस) से गले मे खराश/सूखी खांसी हो सकती है।एटीनोलोल/मैटोप्रोलोल से पुरुषों मे नपुंसकता भी आ सकती है। हाइड्रोक्लोरथाइजाइड ('H' नाम वाली दवाएं जैसे टैल्मा-'H') से वृद्धो मे सोडियम कम हो सकता है। बहुत ज्यादा बीपी मे जीभ के नीचे रखने वाली, पुराने टाइम से प्रचलित गोली - 'डिपिन' नही लेनी चाहिए, क्योंकि कईं बार यह ज्यादा बीपी कम कर ब्रेन-स्ट्रोक (पैरालिसिस) कर सकती है।





डाॅ अनुभव सिंघल

(एम.डी,मेडिसिन-गोल्ड मेडल)

डीएम-काॅर्डियोलोजी (एसजीपीजीआई, लखनऊ)

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