अनुसन्धान को गतिमान करेगा भारत-यूरोपीय संघ समझौते का नवीनीकरण

अनुसन्धान को गतिमान करेगा भारत-यूरोपीय संघ समझौते का नवीनीकरण

लखनऊ। भारत और यूरोपीय संघ ने आगामी पांच वर्षों (2020-2025) के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग पर अपने समझौते को नवीनीकृत किया है। यह दो पक्षों के बीच नोट वर्बेल के आदान-प्रदान द्वारा किया गया है। इस समझौते पर 23 नवंबर 2001 को हस्ताक्षर किए गए थे और उसके बाद 2007 और 2015 में दो बार नवीनीकृत भी किया गया था।

भारत और यूरोपीय संघ ने 15वें भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन में अगले पांच वर्षों के लिए (2020-2025) वैज्ञानिक सहयोग के क्षेत्र में समझौते को नवीनीकृत करने पर सहमति व्यक्त की, इस वर्चुअल सम्मेलन में भारत का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया। यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चाल्र्स मिशेल और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन ने किया।

बताया जाता है कि इससे वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग का विस्तार होगा और आम हित के क्षेत्रों में मिलकर काम करने से गतिविधियों के संचालन को मजबूती मिलेगी और आर्थिक तथा सामाजिक लाभ भी प्राप्त होगा। सहयोग से गतिविधियाँ संचालित करने से अनुसंधान, तकनीकी विकास और परियोजनाओं को प्रदर्शित करने में भारतीय अनुसंधान और यूरोपीय अनुसंधान संस्थाएं पारस्परिक भागीदारी के साथ कार्य कर सकती हैं।

ज्ञात हो समझौते के ढांचे के अंतर्गत भारत और यूरोपीय संघ के बीच मजबूत अनुसंधान और नवाचार सहयोग है, और यह पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। विगत 5 वर्षों में, सस्ती स्वास्थ्य सेवा, पानी, ऊर्जा, खाद्य और पोषण जैसी सामाजिक चुनौतियों के समाधान के लिए भारत-यूरोपीय संघ अनुसंधान प्रौद्योगिकी विकास परियोजनाओं पर सह-निवेश का स्तर तेजी से आगे बढ़ा है, जिसके परिणामस्वरूप कई प्रौद्योगिकियां, पेटेंट विकास, उनके लाभकारी उपयोग, संयुक्त अनुसंधान प्रकाशन, अनुसंधान सुविधा का साझाकरण और दोनों ओर के वैज्ञानिकों तथा छात्रों का आदान-प्रदान जैसे कार्यों में भी बढ़ोत्तरी हुई है।

पानी, हरित परिवहन, ई-गतिशीलता, स्वच्छ ऊर्जा, परिपत्र अर्थव्यवस्था, जैव-अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य और आईसीटी पर यह सहयोग केंद्रित है। इसके अतिरिक्त जलवायु परिवर्तन, सतत शहरी विकास, विनिर्माण, उन्नत सामग्री, नैनोटेक्नोलॉजी और जैव प्रौद्योगिकी, खाद्य प्रसंस्करण और महासागर अनुसंधान जैसे क्षेत्रों को भविष्य के प्रयासों के तहत माना जा सकता है।

स्मरण रहे कि यूरोपीय संघ और भारत मानव विकास और नवाचार में सबसे आगे हैं। भारत के लिए बचाने वाले (मितव्ययी) नवाचार के माध्यम से अपने लोगों की बुनियादी जरूरतों को संबोधित करना और उच्च तकनीक वाले बाजारों में आगे बढ़ाना दोहरे उद्देश्य हैं। दोनों क्षेत्र यूरोपीय संघ-भारत के सहयोग के लिए पारस्परिक रूप से लाभप्रद अवसर प्रदान करते हैं। छात्रों, शोधकर्ताओं और पेशेवरों के बीच आदान-प्रदान में वृद्धि से दोनों पक्षों को लाभ होगा। भारत और यूरोपीय संघ प्रतिभाओं की पारस्परिक गतिशीलता में पारस्परिक रूप से रुचि भी रखते हैं।

शोधकर्ताओं और अन्वेषकों की गतिशीलता को दोनों दिशाओं में बढ़ावा दिया जाएगा। यूरोपीय संघ और भारत के सहयोग को यूरोपीय संघ और भारतीय अन्वेषकों, स्टार्ट-अप्स, इन्क्यूबेटरों और त्वरक के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के साथ-साथ ऑफलाइन और वर्चुअल दोनों तरह के संयुक्त मंच स्थापित करने और कोचिंग, प्रशिक्षण और कर्मचारियों की अदला-बदली के जरिए नवाचार को बढ़ावा देना चाहिए। अत्यधिक योग्य कामगारों को भारतीय और यूरोपीय संघ के नेतृत्व वाले नवाचार प्रणाली उद्योगों में एकीकृत किया जा सकता है। साथ ही प्रौद्योगिकी आधारित नेतृत्व और सर्वोत्तम प्रणालियों को साझा करने, एसएमई के अंतर्राष्ट्रीयकरण और वैश्विक मूल्य श्रंखला में योगदान देने में सहायता कर सकते हैं।

भारत-ब्रिटेन के रिश्तों में गर्मजोशी

उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व भारत और ब्रिटेन ने 24 जुलाई, 2020 को वर्चुअल तरीके से 14वीं संयुक्त आर्थिक एवं व्यापार समिति की बैठक का आयोजन किया । इसकी सह-अध्यक्षता वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री अगले पांच वर्षों (2020-25) के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग के क्षेत्र में भारत-यूरोपीय संघ समझौते का नवीनीकरण गोयल एवं ब्रिटेन की अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री एलिजाबेथ ट्रस्स द्वारा की गई। वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी एवं ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय व्यापार राज्य मंत्री रानिल जयावर्देना भी उपस्थित रहे।

वाणिज्य मंत्री गोयल एवं मंत्रीएलिजाबेथ ट्रस्स ने मुक्त व्यापार समझौता एवं चरणबद्ध तरीके से अर्ली हार्वेस्ट करारों की दिशा में अपनी सामूहिक प्रतिबद्धता की पुष्टि की। निर्णय किया गया कि वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी एवं ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय व्यापार राज्य मंत्री रानिल जयावर्देना इस संवाद में तेजी लाने के लिए मासिक बैठकें करेंगे। यह भी तय किया गया कि मंत्रीद्वय के नेतृत्व में एक बैठक इस संवाद को और आगे ले जाने के लिए नई दिल्ली में वर्ष 2020 में शीत ऋतु में आयोजित की जाएगी। पिछले जेटको के दौरान गठित व्यवसाय प्रेरित जीवन विज्ञान एवं स्वास्थ्य, आईसीटी तथा फूड एवं ड्रिंक पर संयुक्त कार्य समूहों के सह अध्यक्षों ने मंत्रियों के समक्ष अपनी अनुशंसाएं प्रस्तुत कीं।

औपचारिक वार्ताओं के पश्चात वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी एवं ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय व्यापार राज्य मंत्री रानिल जयावर्देना तथा ब्रिटेन के निवेश राज्य मंत्री गेरी ग्रिमस्टोन के नेतृत्व में व्यवसाय जगत की प्रमुख शस्खसियतों के साथ परस्पर संवाद के साथ एक पूर्ण सत्र का आयोजन किया गया। जिसमें सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी एवं भारत ब्रिटेन सीईओ फोरम के सह अध्यक्ष पीरामल भी सहभागी हुए।भारत और ब्रिटेन के बीच 2019-20 में द्विपक्षीय व्यापार 15.5 अरब डॉलर रहा। 2018-19 में यह 16.87 अरब डॉलर रहा था।

बताया जाता है कि दोनों पक्षों ने खुले दिमाग के साथ वार्ता में भाग लिया एवं भारत तथा ब्रिटेन के बीच दीर्घकालिक व्यापार तथा आर्थिक संबंधों के पुनरोत्थान एवं पुनःसुदृढ़ीकरण के प्रति साझा प्रतिबद्धता प्रदर्शित की। दोनों पक्षों ने कोविड-19 की वर्तमान महामारी को देखते हुए विशेष रूप से स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग करने के प्रति भी प्रतिबद्धता व्यक्त की।

(मानवेन्द्र नाथ पंकज-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

epmty
epmty
Top