ओम प्रकाश धनखड़ के काम आया दीर्घ अनुभव

ओम प्रकाश धनखड़ के काम आया दीर्घ अनुभव

लखनऊ। हरियाणा में भाजपा का नया प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ को बनाया गया। भाजपा ने एक बार फिर जाट चेहरे पर दांव लगाया है। धनखड़ ने सुभाष बराला की जगह ली है और ये भी जाट समुदाय से आते हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर गैर जाट समुदाय से आते हैं और इस नियुक्ति के जरिये पार्टी नेतृत्व ने संदेश दिया कि वह राज्य में जाट और गैर जाटों के बीच संतुलन की राजनीति करता रहेगा। हरियाणा में लंबे समय से चली आ रही खींचतान के बीच प्रदेश अध्यक्ष का फैसला हो गया है। सुभाष बराला के स्थान पर पूर्व कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ को आलाकमान ने यह जिम्मेदारी सौंपी गई। अमित शाह की पहली पसंद होने के बावजूद कैप्टन अभिमन्यु की बात नहीं बन पाई। खबरों की माने तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल कैप्टन अभिमन्यु को किसी कीमत पर नहीं चाह रहे थे।

भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, किसान मोर्चा और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे हैं। पार्टी ने जाट नेता सुभाष बराला के बाद दूसरे जाट नेता ओमप्रकाश धनखड़ पर ही विश्वास जताया। ओपी धनखड़ हाईकमान को यह समझाने में पूरी तरह कामयाब रहे कि अगर जाटों को दरकिनार किया गया तो भाजपा फिर उसी जगह पहुंच जाएगी, जहां से शिखर का सफर शुरू किया था। सामाजिक समरसता के लिए जाटों को मुख्यधारा में शिखर के दो में से एक पद पर रखना जरूरी था। लंबी जद्दोजहद के बाद धनखड़ के नाम पर सहमति बनी और धनखड़ की संगठन के माध्यम से हरियाणा की सक्रिय राजनीति में दमदार वापसी हुई है। नए अध्यक्ष की तलाश पिछले साल दिसंबर से ही शुरू हो गई थी। विधानसभा चुनाव में पार्टी के औसत प्रदर्शन और अपनी सीट नहीं बचा पाने के बाद सुभाष बराला ने अध्यक्ष पद छोड़ने की इच्छा जताई थी। इस बीच उनका कार्यकाल भी पूरा हो गया था। करीब चार से पांच महीने की माथापच्ची के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने धनखड़ के नाम पर मुहर लगाई। बादली से चुनाव हारने के बाद से यह बात चल रही थी कि धनखड़ को एडजस्ट करना है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्र होने और जेपी नड्डा के साथ नजदीकियां धनखड़ के काम आईं।

हरियाणा में फिलहाल जाट चेहरे को पार्टी का अध्यक्ष बनाने के बाद अब मंत्रिमंडल में एडजस्टमेंट के समीकरण बदल गए हैं। मंत्रिमंडल विस्तार में नान जाट चेहरों को प्राथमिकता दी जाएगी। हरियाणा सरकार में फिलहाल दो मंत्री बनने हैं। जिसमें से एक पद जजपा के खाते में और एक पद भाजपा के खाते में जाएगा। ऐसे में नान परफार्मिंग मंत्रियों को किनारे कर सरकार कुछ नए चेहरों को आगे लाने की तैयारी कर रही है। दो पद पहले से ही खाली हैं। दो और नियुक्तियों पर कैंची चल सकती है। पिछली सरकार में भी दो मंत्रियों का काम संतोषजनक न होने के कारण उन्हें हटाया गया था। बहरहाल जुलाई के बाद किसी भी समय मंत्रिमंडल विस्तार संभव है।

भाजपा अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हुए पूर्व मंत्री ओपी धनखड़ प्रदेश संगठन का मुखिया बनने में लंबा अनुभव काम आया है। 18 साल आरएसएस के लिए कार्य करना भी फायदेमंद रहा। जाट के बदले जाट पर भरोसा जताना भाजपा का कूटनीतिक कदम है। चूंकि, नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा व डिप्टी सीएम दुष्यंत चैटाला दोनों जाट हैं। इसलिए भाजपा ने जाट प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला को हटाकर गैर जाट की ताजपोशी का जोखिम नहीं उठाया। धनखड़ मुखर हैं और आक्रामक तेवर भी अपना लेते हैं, जिसका फायदा भाजपा हुड्डा और चैटाला के खिलाफ उठाएगी। बरौदा उपचुनाव सिर पर है, ऐसे में भाजपा जाटों में कोई गलत संदेश भी नहीं जाने देना चाहती थी।

ओम प्रकाश धनखड़ साल 1996 में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े और उन्हें राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी मिली। यह अटल-आडवाणी युग था। इसके बाद ओपी धनखड़ को हिमाचल प्रदेश का प्रदेश प्रभारी बनाया गया। पर्वतीय प्रदेश में भाजपा के कमल को खिलाने में धनखड़ ने अहम भूमिका अदा की। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में धनखड़ ने तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंदर सिंह हुड्डा के खिलाफ रोहतक से चुनाव लड़ा और दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। 2014 में बादली विधानसभा सीट से उन्होंने जीत दर्ज की थी। 2019 में फिर बादली से ही चुनाव लड़ा लेकिन जीत हासिल नहीं कर सके। धनखड़ हरियाणा की पूर्व भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। उन्होंने पशुपालन व कृषि मंत्रालय संभाला। इसके अलावा धनखड़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट 'स्टेच्यू ऑफ यूनिटी' के नेशनल कोआर्डिनेटर की जिम्मेदारी निभाई। बता दें कि इससे पहले ओम प्रकाश धनखड़ भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 2011 से 2013 और 2013 से 2015 तक भारतीय किसान मोर्चा के अध्यक्ष रहे। हरियाणा की किसान आधारित राजनीति में एक किसान चेहरे को आगे लाना भी भाजपा के लिए फायदे का सौदा माना गया। धनखड़ की एक किसान नेता के रूप में निर्विवाद पहचान है।

(केशव कान्त कटारा-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

epmty
epmty
Top