दो 'दलबदलुओं' के बीच है सुरखी में मुख्य मुकाबला

दो दलबदलुओं के बीच है सुरखी में मुख्य मुकाबला

सागर। मध्यप्रदेश के सागर जिले के सुरखी विधानसभा उपचुनाव में राज्य के पूर्व परिवहन एवं राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत इस बार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर विधानसभा में पहुंचने के लिए पूरा जोर लगाते हुए नजर आ रहे हैं।

बुंदेलखंड अंचल के सुरखी में गोविंद सिंह राजपूत का मुख्य मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी एवं पूर्व विधायक पारुल साहू से है, हालाकि इन दोनों को मिलाकर कुल 15 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमाने के लिए चुनाव मैदान में हैं। दोनों मुख्य प्रतिद्वंद्वियों को लेकर रोचक तथ्य यह है कि इस बार दोनों ही दल बदलकर चुनाव मैदान में हैं। यानी गोविंद सिंह राजपूत अब तक कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते आए थे, वहीं साहू भाजपा से विधायक रह चुकी हैं।

सुरखी विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार समाप्त होने में अब कुछ ही दिन शेष हैं और दोनों प्रमुख दलों के नेता प्रचार अभियान के दौरान अपने अपने तरीके से मुद्दे उठा रहे हैं। भाजपा नेता राज्य की तत्कालीन कमलनाथ सरकार में विकास नहीं होने और चुनावी वादे पूरे नहीं होने के साथ ही भाजपा शासन में हुए कार्याें का जिक्र कर रहे हैं। तो कांग्रेस नेता 'गद्दारी' का मुद्दा उठाकर इसे भुनाने की काेशिश में हैं। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान गोविंद सिंह राजपूत और कुछ अन्य नेताओं ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता और इस साल मार्च माह में सौदेबाजी कर विधायक पद से त्यागपत्र देकर भाजपा का दामन थाम लिया। इस कृत्य को कांग्रेस नेता 'गद्दारी' निरुपित करते हुए दावा कर रहे हैं कि इसी वजह से आम जनता पर अनावश्यक रूप से उपचुनाव लाद दिया गया।

गोविंद सिंह राजपूत के पक्ष में कल पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने चुनावी सभा में संबोधन के दौरान गोविंद सिंह राजपूत को विजयी बनाने का अनुरोध करते हुए कहा कि उन्होंने कांग्रेस की सरकार गिराकर राज्य हित में कार्य किया है। उन्होंने मंत्री और विधायक पद छोड़कर जाेखिम उठाया है, इसलिए जनता को उन्हें फिर से जिताना चाहिए। उनके पक्ष में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया और अन्य नेता भी सभाएं कर चुके हैं, तो पारुल साहू के पक्ष में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ मुख्य रूप से सभा लेने पहुंचे।

सुरखी विधानसभा क्षेत्र में तीन नवंबर को मतदान के चलते एक नवंबर की शाम पांच बजे चुनावी शोरगुल थम जाएगा। उपचुनाव में दो लाख पांच हजार आठ सौ दस मतदाता 297 मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का उपयोग कर सकेंगे। इनमें एक लाख 11 हजार 917 पुरुष, 93 हजार आठ सौ अस्सी महिला मतदाता और 13 अन्य मतदाता शामिल हैं।सुरखी विधानसभा क्षेत्र में अब तक 15 चुनावों में नौ बार कांग्रेस, तीन बार भाजपा और शेष तीन बार अन्य दलों का कब्जा रहा है। लक्ष्मी नारायण यादव, विट्ठल भाई पटेल और भूपेंद्र सिंह दो-दो बार विधायक चुने गए हैं, तो गोविंद सिंह गोविंद सिंह राजपूत तीन बार विधायक (कांग्रेस के टिकट पर) के रूप में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। पारुल साहू वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में सुरखी से भाजपा के टिकट पर पहली बार विधायक बनी थीं। उन्होंने उस समय कांग्रेस प्रत्याशी रहे गोविंद सिंह राजपूत को मात्र लगभग 140 मतों के अंतर से पराजित किया था। इस बार फिर दोनों आमने सामने हैं, लेकिन दोनों के दल बदल गए हैं।

दिवंगत वरिष्ठ नेता माधवराव सिंधिया और इसके बाद उनके पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक रहे गोविंद सिंह राजपूत ने 2018 के विधानसभा चुनाव में सुरखी में भाजपा प्रत्याशी सुधीर यादव को 20 हजार से अधिक मतों से पराजित किया था। इसके बाद वे कमलनाथ सरकार में परिवहन मंत्री बने। लेकिन इस वर्ष मार्च माह के राजनैतिक घटनाक्रमों के चलते उन्होंने विधायक पद से त्यागपत्र देकर भाजपा का दामन थाम लिया। वे भाजपा सरकार में भी मंत्री थे, लेकिन संवैधानिक प्रावधानों के तहत छह माह के अंदर विधायक नहीं चुने जाने के कारण उन्होंने 20 अक्टूबर को मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया है।

सुरखी क्षेत्र के प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला 10 नवंबर को मतों की गिनती के साथ हो जाएगा।

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