पांच वर्ष बढ़ायी गई न्यायपालिका के बुनियादी ढांचे के विकास की योजना

पांच वर्ष बढ़ायी गई न्यायपालिका के बुनियादी ढांचे के विकास की योजना

नयी दिल्ली। केन्द्रीय मंत्रिमण्‍डल ने न्यायपालिका के लिए बुनियादी ढांचे से जुड़ी सुविधाओं के विकास के लिए केन्द्र प्रायोजित योजना को अगले पांच वर्षों के लिए जारी रखने को बुधवार को मंजूरी दे दी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में इस बाबत फैसला किया गया। यह योजना एक अप्रैल 2021 से लेकर 31 मार्च 2021 तक पांच वर्षों के लिए जारी रखी जाएगी। इस पर आने वाली कुल 9,000 करोड़ रुपये की लागत में केन्द्र सरकार की हिस्सेदारी 5,357 करोड़ रुपये की होगी, जिसमें न्याय दिलाने एवं कानूनी सुधार से जुड़े एक राष्ट्रीय मिशन के जरिये ग्राम न्यायालय योजना को मिशन मोड में लागू किया जाएगा

केन्द्रीय मंत्रिमण्‍डल ने 50 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ पांच वर्षों की अवधि के लिए आवर्ती और अनावर्ती अनुदानों को प्रमाणित करके ग्राम न्यायालयों को समर्थन देने के निर्णय को भी मंजूरी दी हालांकि, अधिसूचित ग्राम न्यायालयों का संचालन शुरू होने और न्याय विभाग के ग्राम न्यायालय पोर्टल पर न्यायाधिकारियों की नियुक्ति किये जाने और इस बारे में रिपोर्ट दिए जाने के बाद ही राज्यों को धन जारी किया जाएगा। एक वर्ष के बाद इस बात का आंकलन किया जाएगा कि ग्राम न्यायालय योजना ने ग्रामीण इलाकों में हाशिये पर रहने वाले लोगों को त्वरित और किफायती न्याय प्रदान करने के अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल किया है या नहीं।

न्यायपालिका के लिए बुनियादी ढांचे से जुड़ी सुविधाओं के विकास के लिए सीएसएस 1993-94 से चल रही है। न्यायालयों में लंबित और बकाया मामलों को कम करने के लिए पर्याप्त न्यायिक बुनियादी ढांचे की व्यवस्था बेहद महत्वपूर्ण है। अधीनस्थ न्यायपालिका के लिए बुनियादी ढांचे के विकास की प्राथमिक जिम्मेदारी भले ही राज्य सरकारों की होती है, लेकिन केन्द्र सरकार इस सीएसएस के जरिये सभी राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों में न्यायिक अधिकारियों के लिए न्यायालय भवनों और आवासीय क्वार्टरों के निर्माण के लिए राज्य सरकारों के संसाधनों में वृद्धि करती है। वर्तमान प्रस्ताव में वकीलों के लिए हॉल, शौचालय परिसरों और डिजिटल कंप्यूटर कक्षों के निर्माण जैसी अतिरिक्त गतिविधियों कका प्रावधान है।

वार्ता

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