हरियाणा में शराब घोटाले के चलते डिप्टी सीएम व गृहमंत्री में टकराव

हरियाणा में शराब घोटाले के चलते डिप्टी सीएम व गृहमंत्री में टकराव

चंडीगढ़। हरियाणा के बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच करने वाली स्पेशल इंक्वायरी टीम (एसईटी) की रिपोर्ट को लेकर डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और गृहमंत्री अनिल विज के बीच एक बार फिर से टकराव सामने आ गया है। जहां एक ओर अनिल विज व दुष्यंत चौटाला एक-दूसरे के विभागों को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं वहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दुष्यंत चैटाला से असहमति जताते हुए गृहमंत्री की सिफारिश पर शराब घोटाले की विजिलेंस जांच कराने का संकेत देकर इस पूरे विवाद को हवा दे दी है।

हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने शराब घोटाले से जुड़ी एसईटी की रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी है। यह रिपोर्ट सीनियर आईएएस अधिकारी टीसी गुप्ता के नेतृत्व वाली एसईटी ने एक सप्ताह पहले सरकार को सौंपी थी। इसके साथ ही अब इस मामले की जांच विजिलेंस को सौंपी गयी है, ताकि मामले की और गहराई से जांच हो सके।

कई गंभीर सवालों के आधे-अधूरे जवाब के साथ इस जांच रिपोर्ट में माना गया कि फरीदाबाद के डीईटीसी को छोड़कर किसी भी जिले के डीईटीसी ने दो साल में एक बार नष्ट की जाने वाली शराब को नष्ट नहीं किया। यानी उसे अवैध ढंग से बेचा गया। तीन डिस्टलरी लॉकडाउन के दौरान भी चलती रहीं। एसईटी इस नतीजे पर भी पहुंची है कि हरियाणा से बाहर पड़ोसी राज्यों में शराब अवैध तरीके से बेची गई और हरियाणा में अवैध शराब आई भी। करीब दो हजार पन्नों की इस रिपोर्ट का पूरा सार 42 पेज के छह चैप्टर (अध्याय) में है। गृह मंत्री अनिल विज ने रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए सोनीपत की तत्कालीन एसपी प्रतीक्षा गोदारा और आबकारी एवं कराधान विभाग के मुख्य आयुक्त शेखर विद्यार्थी के विरुद्ध कार्रवाई की सिफारिश मुख्यमंत्री को की है। इसके साथ ही विज ने कहा कि वह रिपोर्ट से पूरी तरह सहमत हैं। कई ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब हासिल करने के लिए गहराई में जाने की जरूरत है। इसलिए पूरे मामले की विजिलेंस जांच के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से सिफारिश की व खरखौदा और समालखा शराब गोदाम की फिजिकल वैरीफिकेशन भी एसईटी ने की है।

सीएम मनोहरलाल ने 8 अगस्त को उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के इस कथन को सिरे से खारिज कर दिया था कि वह जांच रिपोर्ट को सही नहीं मानते। सीएम मनोहरलाल ने दुष्यंत का नाम लिए बिना कहा कि किसी के मानने या नहीं मानने से व्यवस्थाएं नहीं चलतीं। सरकारी व्यवस्थाएं अपना काम कानून के दायरे में करती हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एसईटी की रिपोर्ट पर सरकार का रुख साफ करते हुए बताया कि रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक कर इस पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि जांच रिपोर्ट में जो दोषी होगा, उस पर सख्त से सख्त कार्रवाई होगी। राज्य में भ्रष्टाचार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

आबकारी एवं कराधान मंत्री के नाते उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने चंडीगढ़ में एक प्रेसवार्ता की और कहा कि एसईटी की रिपोर्ट तथ्यहीन और दुर्भावना से प्रेरित है। खास बात आपको बता दें कि गठबंधन की सरकार से पहले स्वास्थ्य विभाग में दवाइयों के घोटाले पर विज और दुष्यंत में टकराव हो चुका है। दुष्यंत ने एसईटी की रिपोर्ट में दर्ज 14 एफआईआर का जिक्र करते हुए विज से सवाल किया कि उन्हें इस बात का संज्ञान लेना चाहिए कि आज तक इन एफआईआर में ड्राइवर से ऊपर तक जांच क्यों नहीं पहुंच पाई, जबकि यह सारी एफआईआर मेरे आबकारी एवं कराधान मंत्री बनने से पहले की हैं। विज ने इन एफआईआर की गहराई से जांच क्यों नहीं कराई।

डिप्टी सीएम ने विज द्वारा बताए गए एसईटी के उन तथ्यों को भी खारिज किया, जिसमें कहा गया कि ईटीसी शेखर विद्यार्थी ने टीसी गुप्ता की टीम को किसी डिस्टलरी का दौरा नहीं करने दिया, तो वहीं अनिल विज का कहना है ''हरियाणा के शराब घोटाले के मामले में एसईटी ने एक आइपीएस प्रतीक्षा गोदारा और एक आईएएस शेखर विद्यार्थी पर कार्रवाई की सिफारिश की है। बहुत जल्द ही इस पर एक्शन होता हुआ भी नजर आएगा। हमने सार्वजनिक रूप से जांच रिपोर्ट सामने रखी है, जो एसईटी ने दी। इस रिपोर्ट के आधार पर आबकारी एवं पुलिस दोनों विभागों की खामियां रही हैं। इसलिए हमने अधिक गहराई तक जाने तथा दोषियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मंशा से विजिलेंस जांच की सिफारिश की है। इसमें किसी को कोई डर नहीं होना चाहिए।''

डिप्टी सीएम सही हैं या फिर गृह मंत्री ठीक हैं, इसका पता तो विजिलेंस जांच के बाद ही चलेगा, लेकिन विपक्ष ने गठबंधन की सरकार में पैदा हो रहे इस बखेड़े को अपना हथियार बना लिया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला और हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने फिर वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये प्रेस से बात करते हुए शराब घोटाले की जांच हाईकोर्ट के वर्तमान जज की मानीटरिंग में कराने की मांग की है, ताकि शराब घोटाले के असली आरोपी पकड़े जा सकें। सुरजेवाला और सैलजा ने कहा कि शराब माफिया के तार सीधे-सीधे उच्च पदों पर बैठे राजनीतिकों तथा आला अधिकारियों से जुड़े हुए हैं। ऐसा पहली बार हो रहा कि दुष्यंत चौटाला और अनिल विज एक दूसरे के विभागों पर आरोप मढ़ रहे हैं। हालत यह है कि अब प्रदेश में 'जूतों में दाल' बंट रही है। इस सारे विवाद में शराब माफिया व शराब तस्करों की पौ बारह है तथा दोषी खुलेआम घूम रहे हैं। इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला ने आरोप लगाया था कि नाकों पर पुलिस होने के बावजूद शराब की तस्करी कैसे हो गई? इस सवाल के जवाब में गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि इन्हीं सब बातों को जानने के लिए और शराब तस्करी की गहराई में जाने की मंशा से पूरे मामले की विजिलेंस जांच कराई जा रही है।

(नाज़नींन-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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