मनीष सिसोदिया का अनुरोध

मनीष सिसोदिया का अनुरोध

नई दिल्ली। जनप्रतिनिधि होने के नाते दिल्ली में कोरोना से बिगड़ते हालात के बीच डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने सेना से मदद का अनुरोध किया है। यह उनका दायित्व है और साथ ही व्यवस्था पर सवालिया निशान भी लगाता है। मनीष सिसोदिया ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर ऑक्सीजन, आईसीयू बेड और मेडिकल टीम की सहायता मांगी।

उन्होंने कहा- हमें जरूरत की आधी आॉक्सीजन ही मिल रही है। यह मामला लोगों की समझ में नहीं आ रहा क्योंकि आक्सीजन की कमी कझ लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी गुहार लगाई थी। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा था। हाईकोर्ट में केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि दिल्ली के लिए पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन दी गयी है लेकिन सरकार ने टैंकर की व्यवस्था ही नहीं की। इस प्रकार मनीष सिसोदिया की सरकार ही कठघरे में खड़ी कर दी गयी थी।अब फिर वही मामला सामने आया है। दिल्ली में कोरोना संक्रमण से बिगड़े हालात के बीच डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मदद मांगी है। डिप्टी सीएम ने अपने पत्र में रक्षा मंत्री से दिल्ली के लिए ऑक्सीजन, आईसीयू बेड और मेडिकल टीम की मदद देने की मांग की है। दिल्ली सरकार के वकील ने गत 3 मई को हाईकोर्ट में यह जानकारी दी थी।आक्सीजन की कमी की शिकायत कर्नाटक और उत्तर प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्यों से भी मिल रही है। कोरोना संक्रमण से बचाने का संघर्ष पूरी ताकत के साथ चल रहा है लेकिन इस महामारी ने जितनी तेजी से हमला किया है, उतनी तेजी से हमने तैयारी नहीं की। यह हमारी सरकार की भी गलती है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले साल इन्हीं दिनों अक्सर देशवासियों को संबोधित करते हुए कहते थे कि कोरोना ने अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में तबाही मचा रखी है जो चिकित्सा के क्षेत्र में हमसे कयी गुना आगे हैं, इसलिए हमें सावधान रहना पड़ेगा । मास्क,सैनिटाइजेशन और दो गज की दूरी से हम इसके संक्रमण से बच सकते हैं। पीएम मोदी ने यह भी कहा था कि अगर हमने कोताही की तो इसकी बहुत बड़ी कीमत हमें चुकानी पड़ेगी। कहने की जरूरत नहीं कि जान और जहान का ऐलान होते ही जनता कोरोना गाइडलाइन को भूल गयी तो सरकार अपने दायित्त्व को । सरकार को पता था कि अगर कोरोना ने विकराल रूप धारण किया तो भारत की इतनी बड़ी आबादी के लिए दवाईयों और आक्सीजन की कमी पड़ जाएगी। सरकार ने उस समय यह भी देखा था कि लाकडाउन की घोषणा होते ही राशन, फल और सब्जियों का लोग भंडारण करने लगते थे और इसी के साथ कालाबाजारी भी शुरू हो जाती थी। सरकार तब यह बात क्यों नहीं सोच पायी कि यदि दवाईयों और आक्सीजन की जमाखोरी और कालाबाजारी होने लगी तो लोगों की जान बचाना मुश्किल हो जाएगा । आखिर, वही स्थिति सामने आ गयी। अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों ने कोरोना के रेमडेसिवीर जैसे इंजेक्शनों का आपातकालीन भंडारण कर लिया लेकिन हम सिर्फ मास्क और सैनिटाइजर तक सीमित रहे। सरकार को भी कोरोना से ज्यादा चुनाव की चिंता रही। मद्रास हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को कठघरे में इसीलिए खड़ा किया क्योंकि जनता अगर लापरवाह थी तो देश की जिम्मेदार संस्थाएं उससे भी ज्यादा लापरवाह हो गयी थीं।अब वे अपनी जिम्मेदारी से बचना चाहती हैं।

इस बीच कोरोना की वैक्सीन भी आ गयी। हमारे देश ने भी दो वैक्सीन सफल परीक्षण के बाद पेश कर दीं लेकिन यहां भी हम पर्याप्त भंडारण करने से चूक गये। कोविड-19 के खिलाफ चल रहे टीकाकरण अभियान के मौजूदा तीसरे चरण में 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीन दिए जाने का सिलसिला 1मई से शुरू हो चुका है। दिल्ली में भी तीसरा चरण चल रहा है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 3मई को एक वैक्सीनेशन सेंटर का दौरा करते हुए टीकाकरण और व्यवस्थाओं का जायजा लिया। यह अच्छी बात है लेकिन कोरोना की दवाईयों और आक्सीजन की जमाखोरी और कालाबाजारी पर सरकार को जितनी सख्ती करनी चाहिए, उतनी नहीं हो पा रही है। दिल्ली में कोरोना के मुश्किल हालात के संदर्भ में इससे पहले यह खबर भी महत्वपूर्ण रही कि किस तरह कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज में ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया।विनोद नगर के एक कोविड 19 वैक्सीनेशन सेंटर में चल रहे 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के वैक्सीनेशन का जायजा लेने पहुंचे मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार के 76 स्कूलों में बने 301 सेंटरों में 18-45 साल के लोगों के वैक्सीनेशन का प्रोग्राम शुरू हुआ। चलिए, ये काम भी जरूरी है लेकिन उससे भी जरूरी संक्रमितों को जरूरत पडने पर तत्काल आक्सीजन सिलेंडर की है। दिल्ली सरकार ने अदालत को बताया कि उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को चिट्ठी लिखी है और मदद मांगी है।

उन्होंने रक्षा मंत्रालय से दिल्ली में 10000 ऑक्सीजन युक्त बेड और 1000 आईसीयू बेड बनाने में मदद मांगी है। साथ ही दुर्गापुर, कलिंगा नगर आदि प्लांटों से टैंकर के जरिए दिल्ली में ऑक्सीजन लाने में सहायता करने की मांग की है। इससे पहले डिप्टी सीएम ने मीडिया के साथ बातचीत के दौरान कहा था कि हमें जितनी ऑक्सीजन मिल रही है, वह हमारी जरूरत की आधी है। इससे हमें राहत तो मिलती दिख रही है, लेकिन समस्या खत्म नहीं हो रही। मनीष सिसोदिया ने बताया कि दिल्ली को गत 2 मई को 440 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिली है, जबकि दिल्ली का कोटा 590 मीट्रिक टन है। सिसोदिया ने कहा कि हमें प्रतिदिन 976 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है। क्योंकि दिल्ली में हम लगातार कोरोना संक्रमितों के लिए बेड्स की संख्या बढ़ा रहे हैं। दिल्ली की सरकार भी अपनी गलती को छिपा रही है। आक्सीजन के छोटे छोटे सिलेंडर भी बनवाये जा सकते थे जो कम मात्रा में आक्सीजन को ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंदों तक पहुंचाया जा सकता। बहरहाल , मनीष सिसोदिया की सरकार जरूरतमंदों तक ईमानदारी से उपलब्ध आक्सीजन पहुंचाने में ही सफल हझ जाए और इसमें वीआईपी कल्चर दखल न दे तो कितने ही लोगों की जान बच जाएगी। युवाओं का वैक्सिनेशन भी जरूरी है। दिल्ली में तीसरे चरण में सरकार ने जिन 77 स्कूलों में टीका लगाने के इंतजाम किए हैं, उन्हें नजदीकी अस्पतालों से जोड़ा गया है। सरकार ने अपील की है कि ज्यादा से ज्यादा लोग सेंटरों पर आकर टीका लगवाएं। दिल्ली सरकार के अधिकारी के अनुसार दिल्ली में करीब 90 लाख लोग इस चरण में टीकाकरण के लिए पात्र हैं और तीसरे चरण में टीकाकरण के लिए 77 स्कूलों में पांच-पांच टीकाकरण बूथ बनाए गए हैं। राजधानी के करीब 500 केंद्रों में अभी तक 45 साल से अधिक आयु के लोगों को टीका लगाया जा रहा था।

कर्नाटक के चामराजनगर में भी ऑक्सीजन की कमी के चलते 3 मई को 24 से ज्यादा कोरोना मरीजों की मौत हो गई । कहा जा रहा है कि जिन मरीजों का कोरोना से इलाज चल रहा था वो सारे वेंटिलेटर पर थे। ये दूसरा मौका है जब कर्नाटक में ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत हुई है। इससेएक दिन पहले भी राज्य में 12 मरीजों की जान गई थी। हालांकि सरकार ने ऑक्सीजन की कमी की बात से इनकार किया है।

चामराजनगर जिला अस्पताल में मृतकों के परिजन रोते-बिलखते नजर आए और उनके परिवारों ने अस्पताल में प्रदर्शन भी किया । आरोप लगाया कि यहां ऑक्सीजन की कमी थी । चामराजनगर जिला प्रभारी मंत्री एस सुरेश कुमार ने कहा कि उन्होंने घटना में जिला प्रशासन से मौत की ऑडिट रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है। वह इस बात पर कायम रहे कि सभी मौतें ऑक्सीजन की कमी की वजह से नहीं हुई हैं। मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने भी जिला के उपायुक्त से घटना के बारे में सूचना प्राप्त की है। सुरेश कुमार ने कहा कि मौत की ऑडिट रिपोर्ट से पता चलेगा कि ये मरीज किस बीमारी से ग्रस्त थे, उन्हें कोई और गंभीर बीमारियां थी और उन्हें किसी स्थिति में अस्पताल लाया गया था। उन्होंने कहा, श्जितने भी लोगों की मौत हुई है जरूरी नहीं कि सभी की मौत ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई हो। उन्होंने इतना जरूर कहा कि 6,000 लीटर तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन थी लेकिन ऑक्सीजन सिलेंडरों की जरूरत थी। कुमार ने कहा, श्ये सिलेंडर मैसुरु से आने वाले थे लेकिन कुछ समस्या हो गई.। उन्होंने कहा कि यह स्थिति राज्य के मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री के निजी सचिव और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक प्रताप रेड्डी को भी समझाई जो राज्य में ऑक्सीजन आपूर्ति के प्रभारी हैं। कुमार ने कहा, मैंने अधिकारियों को चामराजनगर जिले में ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए स्थायी समाधान खोजने को भी कहा है। (हिफी)

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